Ishaq Dar / पाकिस्तान ने स्वीकारा 'ऑपरेशन सिंदूर' में नूर खान एयरबेस को हुआ था नुकसान

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने आखिरकार स्वीकार किया है कि भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' में उनका नूर खान एयरबेस क्षतिग्रस्त हुआ था। यह खुलासा पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे दावों के विपरीत है कि उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ था। इस हमले में सैन्य प्रतिष्ठान को क्षति पहुंची और कर्मी भी घायल हुए।

भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के संबंध में पाकिस्तान ने लंबे समय। तक यह दावा किया था कि उसे कोई खास नुकसान नहीं हुआ। यह दावा पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार दोहराया जाता रहा था, जिसका उद्देश्य भारत की सैन्य कार्रवाई की प्रभावशीलता को कम आंकना था। हालांकि, अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि भारत के इस सैन्य अभियान में उनके नूर खान एयरबेस को क्षति पहुंची थी।

यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान के पूर्व के बयानों से बिल्कुल उलट है, जहां वह लगातार भारत के हमलों से हुए नुकसान को नकारता रहा था। इशाक डार जैसे उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा यह खुलासा करना, पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी विश्वसनीयता पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब अपनी पुरानी झूठी कहानी को बनाए रखने में असमर्थ है, और उसे अंततः सच्चाई को स्वीकार करना पड़ा है। इस घटनाक्रम ने भारत की सैन्य शक्ति और खुफिया जानकारी की सटीकता को भी। रेखांकित किया है, जिसने पाकिस्तान के भीतर महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।

पहलगाम हमले के बाद भारत की कड़ी कार्रवाई

यह सैन्य कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए एक आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद भारत ने आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाने का फैसला किया। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगी। इसी क्रम में, भारत ने 7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों और उनके समर्थन करने वाले सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना था और इस ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था, जिससे क्षेत्रीय शांति पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था। पाकिस्तान ने भी भारत पर हमला करने की कुछ नाकाम कोशिशें कीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अंततः, बढ़ते तनाव को कम करने के लिए 10 मई को दोनों। देशों के बीच युद्धविराम हुआ, जिससे स्थिति कुछ हद तक शांत हुई।

नूर खान एयरबेस को पहुंचा गंभीर नुकसान

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने शनिवार को साल के अंत की प्रेस ब्रीफिंग के। दौरान पुष्टि की कि भारत ने रावलपिंडी के चकलाला स्थित नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया था। नूर खान एयरबेस पाकिस्तान वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक ठिकाना है, और। इस पर हमला पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। डार ने बताया कि इस हमले में एयरबेस पर मौजूद सैन्य प्रतिष्ठान को गंभीर क्षति पहुंची और कई सैन्यकर्मी भी घायल हुए। उन्होंने इस कार्रवाई के पैमाने और सटीकता पर भी जोर दिया, यह स्वीकार करते हुए कि भारत की क्षमताएं काफी प्रभावशाली थीं। डार ने यह भी बताया कि भारत ने 36 घंटे के भीतर पाकिस्तानी क्षेत्र में कई ड्रोन भेजे थे। उनके अनुसार, कुल 80 ड्रोन में से 79 को सफलतापूर्वक रोका गया, लेकिन एक ड्रोन सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचाने में सफल रहा। यह स्वीकारोक्ति भारत के दावों को बल देती है कि उसने सटीक और प्रभावी हमले किए थे।

9 आतंकी ठिकानों को बनाया गया निशाना

इशाक डार ने घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए बताया कि 9 मई की रात को पाकिस्तान के। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में देश के नागरिक और सैन्य नेतृत्व की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। यह बैठक भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति का आकलन करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक में मौजूदा हालात की गंभीरता को देखते हुए कुछ अहम फैसलों को मंजूरी दी गई थी, जो पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई से संबंधित थे। इस बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारी, खुफिया प्रमुख और प्रमुख कैबिनेट मंत्री शामिल थे, जो उस समय की नाजुक स्थिति को दर्शाता है। इस तरह की उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन स्वयं इस बात का प्रमाण है कि भारत के हमलों का प्रभाव कितना गहरा था और पाकिस्तान को कितनी गंभीरता से इस पर विचार करना पड़ा था।

डार के बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि मई में भारत की सशस्त्र सेनाओं ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर रणनीतिक कार्रवाई की थी। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में स्थित कुल 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इन ठिकानों में वे स्थान शामिल थे जहां से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था। चकलाला स्थित पाकिस्तान वायुसेना का नूर खान एयरबेस इन सटीक हमलों में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए प्रमुख ठिकानों में से एक था। भारत की इस कार्रवाई का उद्देश्य पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देना था। कि वह अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। इन हमलों ने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को भी बड़ा झटका दिया था, जिससे उनकी क्षमताएं प्रभावित हुईं।

सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ नुकसान का खुलासा

13 मई को मैक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरों ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को हुए भारी नुकसान की पुष्टि की थी, जिनमें नूर खान एयरबेस भी शामिल था और ये तस्वीरें स्वतंत्र रूप से भारत के दावों का समर्थन करती हैं और पाकिस्तान के इनकार को झूठा साबित करती हैं। इन तस्वीरों में चार पाकिस्तानी एयरबेस को नुकसान स्पष्ट रूप से दिखाई दिया था: रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस, सरगोधा का पीएएफ बेस मुशाफ, भोलारी एयरबेस और जैकबाबाद का पीएएफ बेस शाहबाज। 25 अप्रैल और 10 मई को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों की तुलना से एयरबेस की सुविधाओं को हुए नुकसान की पुष्टि हुई, जिससे नूर खान एयरबेस पर हुए हमलों की गंभीरता सामने आई और इन तस्वीरों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान के झूठे दावों को बेनकाब कर दिया और भारत की कार्रवाई की सटीकता को प्रमाणित किया।

पहले भी स्वीकार कर चुके हैं प्रधानमंत्री शरीफ

यह पहली बार नहीं है जब किसी शीर्ष पाकिस्तानी अधिकारी ने नूर खान एयरबेस पर भारत के हमलों को स्वीकार किया हो और इससे पहले मई में, तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी यह माना था कि 10 मई को भारत की बैलिस्टिक मिसाइलें नूर खान एयरबेस और अन्य ठिकानों पर गिरी थीं। यह एक दुर्लभ स्वीकारोक्ति थी, क्योंकि आमतौर पर पाकिस्तान भारत की सैन्य कार्रवाई से हुए नुकसान से इनकार करता रहा है और पाकिस्तान का यह रवैया उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचाता रहा है। इन लगातार स्वीकारोक्तियों से भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता और पाकिस्तान को हुए वास्तविक नुकसान की पुष्टि होती है। यह घटनाक्रम पाकिस्तान की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जहां उसे अपनी पुरानी स्थिति से पीछे हटना पड़ा है और सच्चाई को स्वीकार करना पड़ा है।