- भारत,
- 21-Sep-2025 10:14 PM IST
Palestine News: ब्रिटेन ने रविवार को फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा की। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कदम मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने और दो-देश समाधान को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है। स्टार्मर ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय हमास की जीत नहीं है और भविष्य में फिलिस्तीन सरकार में हमास को कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शांतिपूर्ण भविष्य के लिए हमास को सभी बंधकों को रिहा करना होगा, और इजराइल को गाजा में लगाए गए प्रतिबंधों को हटाना होगा।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का साथ
ब्रिटेन के इस ऐलान से कुछ ही घंटे पहले, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी। कनाडा इस मामले में पहला G7 देश बन गया है। कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने उम्मीद जताई कि यह कदम इजराइल और फिलिस्तीन दोनों के लिए शांतिपूर्ण भविष्य सुनिश्चित करेगा। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने इसे ब्रिटेन और कनाडा के साथ मिलकर उठाया गया सामूहिक कदम बताया, जिसका उद्देश्य दो-देश समाधान को लागू करना है।
फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
फ्रांस ने 13 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-देश योजना का समर्थन किया गया। इस प्रस्ताव को भारत और चीन सहित 142 देशों का समर्थन मिला, जबकि अमेरिका, इजराइल, अर्जेंटीना, और सात अन्य देशों ने इसका विरोध किया। फ्रांस जल्द ही फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर सकता है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 147 देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।
इजराइल का विरोध
इजराइल के विदेश मंत्रालय ने इस मान्यता को हमास को "इनाम" देने जैसा बताया और दावा किया कि ब्रिटेन में मौजूद मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों से हमास को समर्थन मिल रहा है। हालांकि, स्टार्मर ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह कदम क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए जरूरी है।
ब्रिटेन का फैसला: समय और कारण
ब्रिटेन ने यह घोषणा रविवार को इसलिए की, क्योंकि सोमवार शाम से यहूदी त्योहार रोश हशाना शुरू हो रहा है। इस दौरान घोषणा करना कुछ लोगों को आपत्तिजनक लग सकता था। इसके अलावा, स्टार्मर इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग नहीं ले रहे हैं, इसलिए उन्होंने इस महत्वपूर्ण घोषणा को स्वयं करना उचित समझा।
केवल मान्यता पर्याप्त नहीं
ब्रिटेन की मुस्लिम काउंसिल ने इस कदम का स्वागत किया, लेकिन जोर दिया कि मान्यता के साथ-साथ ठोस कार्रवाई भी जरूरी है। फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, और कनाडा ने भी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में इजराइल पर दबाव बढ़ाने के लिए इस कदम को समर्थन दिया है। यह अंतरराष्ट्रीय प्रयास मध्य पूर्व में शांति और दो-देश समाधान को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
