Parliament Winter Session / संसद शीतकालीन सत्र 2025: मोदी सरकार लाएगी 14 बड़े बिल, कांग्रेस हंगामे को तैयार

संसद का शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें मोदी सरकार 14 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी। सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सत्र की अवधि को छोटा बताया और कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की मांग की। कांग्रेस ने 'वोट चोरी', एसआईआर/बीएलओ की मौत और विदेश नीति की विफलता जैसे मुद्दों पर हंगामा करने की तैयारी की है।

संसद का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर, सोमवार से शुरू होने जा रहा है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र के दौरान कुल 15 कार्यदिवस निर्धारित किए गए हैं। मोदी सरकार ने इस सत्र के लिए लोकसभा और राज्यसभा में पेश करने हेतु 14 महत्वपूर्ण विधेयकों की एक सूची तैयार की है। इन विधेयकों पर चर्चा के साथ-साथ केंद्र और विपक्ष के बीच कई अन्य ज्वलंत मुद्दों पर तीखी बहस और हंगामे की पूरी संभावना है, जिससे यह सत्र काफी गहमागहमी भरा रहने का अनुमान है।

सर्वदलीय बैठक का आयोजन

शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले, रविवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री। राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सत्र के सुचारु संचालन और विभिन्न दलों के एजेंडे पर विचार-विमर्श करना था और बैठक में सरकार की ओर से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू जैसे वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गौरव गोगोई, प्रमोद तिवारी और कोडिकुनिल सुरेश जैसे प्रमुख नेता शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव और द्रमुक के तिरुचित शिवा सहित कई अन्य दलों के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान सभी नेताओं ने शीतकालीन सत्र से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और सत्र को लेकर अपनी अपेक्षाएं व्यक्त कीं।

सत्र की अवधि और विपक्ष की चिंताएं

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें कुल 15 कार्यदिवस होंगे। विपक्ष ने इस सत्र की अवधि को अपेक्षाकृत छोटा बताया है। सामान्य परिस्थितियों में, शीतकालीन सत्र में आमतौर पर लगभग 20 बैठकें आयोजित की जाती हैं, लेकिन इस बार कार्यदिवसों की संख्या कम है और विपक्ष ने रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत और गहन चर्चा के लिए अधिक समय की मांग की। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से अभी तक इस मांग पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। है, और यह माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र के लिए निर्धारित 15 कार्यदिवस ही रहेंगे। यह कम अवधि विपक्ष को अपनी बात रखने के लिए। पर्याप्त समय न मिलने की चिंता को बढ़ा रही है।

प्रस्तावित 14 महत्वपूर्ण विधेयक

मोदी सरकार ने इस शीतकालीन सत्र के लिए लोकसभा और राज्यसभा में पेश करने हेतु 14 विधेयकों की एक विस्तृत सूची तैयार की है। इन विधेयकों में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण कानून शामिल हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था, प्रशासन और सामाजिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं और इन विधेयकों में जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) विधेयक, 2025 (IBC), और मणिपुर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं, जिसे एक अध्यादेश को बदलने के लिए लाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, रीपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल, 2025, नेशनल हाइवेज (संशोधन) विधेयक, 2025, और एटॉमिक एनर्जी बिल, 2025 भी सूची में हैं। कॉरपोरेट लॉज (संशोधन) बिल, 2025, सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल (SMC), 2025, और इंश्योरेंस लॉज (संशोधन) बिल, 2025 जैसे आर्थिक सुधार से जुड़े विधेयक भी पेश किए जाएंगे। शिक्षा के क्षेत्र में हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया बिल, 2025 और वित्तीय मामलों से संबंधित सेंट्रल एक्साइज (संशोधन) बिल, 2025, हेल्थ। सिक्योरिटी सेस/नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025, तथा वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम पूरक अनुदान मांगें (फाइनेंशियल बिजनेस) भी इस सत्र का हिस्सा होंगी। इन विधेयकों पर सदन में विस्तृत चर्चा और बहस होने की उम्मीद है।

कांग्रेस के हंगामे के मुद्दे

विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस, ने शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दों की पहचान की है। कांग्रेस ने 'वोट चोरी' के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का संकल्प लिया है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र की हत्या की जा रही हो और सिर्फ 'वोट चोरी' नहीं, बल्कि 'वोट डकैती' की जा रही हो, तो यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है। इसके अलावा, कांग्रेस एसआईआर (SIR) और बीएलओ (BLO) की मौतों से जुड़े मामलों को भी संसद में उठाने की तैयारी में है। प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की विफलता और लाल किले के। पास हुए विस्फोट जैसी घटनाओं को भी सरकार के खिलाफ मुद्दा बनाने की बात कही है। इन मुद्दों पर विपक्ष द्वारा जोरदार हंगामा किए जाने की संभावना। है, जिससे सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित हो सकती है।

एक तूफानी सत्र की उम्मीद

कुल मिलाकर, संसद का यह शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है। सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी, जबकि विपक्ष। विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने और जवाबदेही तय करने की कोशिश करेगा। 15 कार्यदिवसों की सीमित अवधि में 14 विधेयकों पर चर्चा और विपक्ष द्वारा। उठाए गए संवेदनशील मुद्दों पर बहस, दोनों सदनों में गतिरोध पैदा कर सकती है। सर्वदलीय बैठक में भले ही सत्र को सुचारु रूप से चलाने पर विचार-विमर्श हुआ हो, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि। केंद्र और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर गहरे मतभेद हैं, जो सत्र को एक चुनौतीपूर्ण और तूफानी सत्र बना सकते हैं।