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- 19-Sep-2025 08:41 AM IST
Jolly LLB 3 Review: इन दिनों हर हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्मों और वेब सीरीज की लाइन लग रही है, और हमारा काम होता है कि इन्हें देखें और आपको बताएं कि कौन सी देखनी चाहिए और कौन सी नहीं। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिनके लिए सिर्फ ‘देख लो’ बोलकर बात खत्म नहीं होती। ‘जॉली एलएलबी 3’ ऐसी ही एक फिल्म है। ये सिर्फ थिएटर में बैठकर पॉपकॉर्न खाने वाली फिल्म नहीं है, बल्कि वो फिल्म है, जिसे आप अपने खास दोस्तों और परिवार के साथ देखना चाहेंगे।
कहानी: किसानों की लड़ाई और कोर्टरूम ड्रामा
‘जॉली एलएलबी 3’ की कहानी हमें 2011 के राजस्थान के बीकानेर जिले के छोटे से गांव परसौल में ले जाती है। यहां एक रसूखदार बिजनेसमैन हरिभाई खेतान (गजराज राव) अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘बीकानेर टू बोस्टन’ को शुरू करने की योजना बनाता है। लेकिन इसके लिए उसे गांव के किसानों की जमीन चाहिए। कुछ किसान अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं होते, और यहीं से शुरू होती है असली कहानी।
हरिभाई अपनी पहुंच और ताकत का इस्तेमाल कर स्थानीय नेताओं व अफसरों की मदद से किसानों को गुमराह करता है और उनकी जमीनें अवैध तरीके से हथिया लेता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब एक किसान आत्महत्या कर लेता है। उसकी विधवा जानकी (सीमा बिस्वास) न्याय के लिए इस बड़े बिजनेसमैन से लड़ने का फैसला करती है। अब इस लड़ाई में कौन सा जॉली (अक्षय कुमार या अरशद वारसी) जानकी का साथ देता है और कौन इसके खिलाफ खड़ा होता है, ये जानने के लिए आपको थिएटर जाना होगा।
फिल्म की खासियत: मनोरंजन के साथ सशक्त संदेश
‘जॉली एलएलबी 3’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारे समाज की उस कड़वी सच्चाई का आईना है, जिसे हम अक्सर शहरी चकाचौंध में भूल जाते हैं। ये फिल्म किसानों की आत्महत्या और उनकी जमीनों को हथियाने जैसे गंभीर मुद्दों को उठाती है, लेकिन डायरेक्टर सुभाष कपूर ने इसे कॉमेडी और इमोशन के ऐसे तड़के के साथ पेश किया है कि आप हंसते-हंसते भावुक भी हो जाएंगे। ये उन चुनिंदा फिल्मों में से है, जो मनोरंजन के साथ-साथ एक स्ट्रांग मैसेज भी देती है।
निर्देशन: सुभाष कपूर का जादू
सुभाष कपूर ने एक बार फिर साबित किया है कि वो गंभीर सामाजिक मुद्दों को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने में माहिर हैं। उनकी राइटिंग और डायरेक्शन का कमाल इस फिल्म में साफ दिखता है। फिल्म का एक डायलॉग, “आज किसानों के लिए कानून वो लोग बना रहे हैं, जिन्हें पालक और सरसों में फर्क नहीं पता,” सीधे दिल को छूता है। सुभाष कपूर ने हर किरदार को बराबर अहमियत दी है, जिससे फिल्म सिर्फ सुपरस्टार अक्षय कुमार के इर्द-गिर्द नहीं घूमती। चाहे कोर्टरूम सीन हों या इमोशनल पल, हर दृश्य में उनका जादू चलता है।
एक्टिंग: दमदार कास्ट का जलवा
अक्षय कुमार: अपनी सिग्नेचर मुस्कान और स्टाइल के साथ अक्षय कोर्टरूम में हंसी के ठहाके लगवाते हैं, लेकिन गंभीर दृश्यों में भी उनका अभिनय प्रभावित करता है।
अरशद वारसी: हमेशा की तरह सहज और सटायर से भरे वन-लाइनर्स के साथ अरशद हर सीन में छा जाते हैं। उनकी और अक्षय की केमिस्ट्री फिल्म की यूएसपी है।
सीमा बिस्वास: जानकी के किरदार में सीमा बिस्वास की खामोशी और उनकी आंखों का दर्द रोंगटे खड़े कर देता है। खासकर क्लाइमेक्स का एक सीन आपके दिल को छू लेगा।
गजराज राव: नेगेटिव रोल में गजराज राव सरप्राइज पैकेज हैं। उनकी खलनायकी इतनी प्रभावशाली है कि आप उनसे नफरत करने लगेंगे।
सौरभ शुक्ला: जस्टिस त्रिपाठी के किरदार में सौरभ शुक्ला इस फ्रेंचाइजी की जान हैं। उनकी हाजिरजवाबी और परफेक्ट टाइमिंग हर सीन को यादगार बना देती है।
हुमा कुरैशी और अमृता राव: दोनों को कम स्क्रीन टाइम मिला, लेकिन अपने किरदारों को उन्होंने बखूबी निभाया।
सच्ची घटना से प्रेरित
‘जॉली एलएलबी 3’ उत्तर प्रदेश की एक सच्ची घटना से प्रेरित है। ये फिल्म हमें उस कड़वे सच से रूबरू कराती है, जहां विकास के नाम पर गांव खाली हो रहे हैं और किसानों की जमीनें कौड़ियों के दाम पर हथियाई जा रही हैं। ये हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम मॉल में 28 रुपये किलो प्याज खरीदते हैं, लेकिन सड़क पर बैठे किसान से 5-7 रुपये में वही प्याज मांगते हैं।
देखें या न देखें?
‘जॉली एलएलबी 3’ उन फिल्मों में से है, जो न सिर्फ ऑरिजनल कहानी पेश करती है, बल्कि समाज को आईना भी दिखाती है। हां, कुछ कमियां हैं, जैसे कोर्टरूम ड्रामा को और बढ़ाया जा सकता था या महिला किरदारों को ज्यादा स्क्रीन स्पेस मिल सकता था। लेकिन ये छोटी-मोटी कमियां फिल्म के प्रभाव को कम नहीं करतीं।
ये फिल्म हमें याद दिलाती है कि एक आम आदमी की मर्जी की भी वैल्यू होती है। अगर आप ऐसी फिल्मों को सपोर्ट नहीं करेंगे, जो मनोरंजन के साथ-साथ समाज को झकझोरें, तो हम दर्शक के तौर पर कहीं न कहीं फेल हो जाएंगे।
फिल्म का नाम: जॉली एलएलबी 3
कास्ट: अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, सीमा बिस्वास, गजराज राव
निर्देशक: सुभाष कपूर
रिलीज: थिएटर
रेटिंग: 4 स्टार्स
