प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 8 अक्टूबर को बिहार के सीतामढ़ी में एक विशाल चुनावी सभा को संबोधित करते हुए दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जीत सुनिश्चित हो चुकी है और उन्होंने इस जीत का श्रेय विशेष रूप से राज्य की महिलाओं और बेटियों को दिया, जिन्होंने रिकॉर्ड संख्या में मतदान कर एनडीए के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पहले चरण के मतदान ने 'जंगलराज' के समर्थकों को 65 वोल्ट का झटका दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार के युवा और महिलाएं विकास और एनडीए के साथ खड़े हैं और उन्होंने बिहार की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने विकास के एजेंडे को प्राथमिकता दी है और राज्य को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है।
बिहार में एनडीए की जीत का दावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीतामढ़ी में अपने संबोधन की शुरुआत ही बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के परिणामों पर विश्वास व्यक्त करते हुए की। उन्होंने कहा कि पहले चरण के मतदान के बाद पूरे बिहार में यह चर्चा है कि 'जंगलराज' के दिन अब खत्म हो चुके हैं और विकास की राजनीति को जनता ने स्वीकार कर लिया है और पीएम मोदी ने विशेष रूप से बिहार की 'बहन-बेटियों' की सराहना की, जिन्होंने बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंचकर एनडीए की रिकॉर्ड विजय को सुनिश्चित किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं की भागीदारी ने चुनाव का रुख बदल दिया है और यह दर्शाता है कि वे सुरक्षित और विकसित बिहार चाहती हैं और प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के नौजवानों ने भी विकास को चुना है, एनडीए को चुना है, और यह स्पष्ट संदेश है कि राज्य अब पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह जनादेश केवल एक राजनीतिक दल के लिए नहीं, बल्कि बिहार के उज्ज्वल भविष्य के लिए है, जहां हर नागरिक को सम्मान और अवसर मिले।
मां सीता के आशीर्वाद से विकसित बिहार
महागठबंधन पर तीखा हमला
सीतामढ़ी की पवित्र भूमि से, जिसे मां सीता की जन्मभूमि माना जाता है, प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मां सीता के आशीर्वाद से ही बिहार एक विकसित राज्य बनेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव केवल सरकार चुनने का नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में बिहार के बच्चों और उनकी संतानों के भविष्य को आकार देने का भी है। पीएम मोदी ने सीतामढ़ी में उमड़े जनसैलाब को देखकर अपनी खुशी व्यक्त की और कहा कि यह माहौल स्पष्ट संदेश दे रहा है कि जनता 'कट्टा सरकार' नहीं, बल्कि 'फिर एक बार एनडीए सरकार' चाहती है और उन्होंने कहा कि मां सीता की इस पुण्य भूमि पर आकर उन्हें विशेष ऊर्जा मिलती है और इसी ऊर्जा के साथ वे बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि एनडीए सरकार मां सीता के आदर्शों पर चलते हुए बिहार। में सुशासन, समृद्धि और सामाजिक समरसता लाएगी, जिससे राज्य का हर वर्ग लाभान्वित होगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाले महागठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरजेडी के नारों का जिक्र करते हुए कहा कि उनके मंचों से बच्चों को 'रंगदार' (गुंडा या वसूली करने वाला) बनने के लिए उकसाया जा रहा है और पीएम मोदी ने सवाल किया कि क्या बिहार के बच्चे रंगदार बनना चाहेंगे या डॉक्टर, इंजीनियर और जज बनना चाहेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार में 'हैंड्स अप' (अपराधियों द्वारा। हथियार उठाने) की नहीं, बल्कि 'स्टार्ट अप' (उद्यमिता) की जगह होगी। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार बच्चों के हाथों में किताबें, कंप्यूटर, लैपटॉप दे रही है और उन्हें खेल में आगे बढ़ने के लिए बैट, हॉकी स्टिक, फुटबॉल और वॉलीबॉल जैसे उपकरण प्रदान कर रही है और उन्होंने महागठबंधन पर आरोप लगाया कि वे बिहार के युवाओं को गलत दिशा में धकेलना चाहते हैं, जबकि एनडीए उन्हें उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाना चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के बच्चे अब रंगदारी नहीं, बल्कि शिक्षा और कौशल के माध्यम से अपना भविष्य बनाएंगे।
'जंगलराज' की परिभाषा
पीएम मोदी ने 'जंगलराज' शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि इसका मतलब 'कट्टा, क्रूरता, कटुता, कु:संस्कार और करप्शन' है और उन्होंने महागठबंधन के नेताओं को 'कु:संस्कार से भरे हुए लोग' बताया जो 'कुशासन का राज' चाहते हैं। उन्होंने बिहार की जनता से आह्वान किया कि वे ऐसे लोगों को सत्ता में न आने दें जो राज्य को फिर से अराजकता और भ्रष्टाचार के दौर में धकेलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार की जनता ने पहले चरण में ही जंगलराज वालों को करारा जवाब दे दिया है और दूसरे चरण में भी वे विकास के पक्ष में मतदान करेंगे। उन्होंने विस्तार से बताया कि 'कट्टा' का अर्थ है बंदूक संस्कृति और कानून-व्यवस्था का अभाव, 'क्रूरता' का अर्थ है मानवीय संवेदनाओं की कमी और अत्याचार, 'कटुता' का। अर्थ है समाज में विभाजन और वैमनस्य फैलाना, 'कु:संस्कार' का अर्थ है नैतिक मूल्यों का पतन और 'करप्शन' का अर्थ है भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार इन सभी बुराइयों से बिहार को मुक्त कर एक सुरक्षित और समृद्ध राज्य का निर्माण करेगी।
सीतामढ़ी से जुड़ी पुरानी यादें
प्रधानमंत्री मोदी ने सीतामढ़ी से अपनी पुरानी यादों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें 8 नवंबर, 2019 का दिन याद है, जब वे माता सीता की इस धरती पर आए थे। उस समय उन्हें अगले दिन पंजाब में करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लोकार्पण के लिए निकलना था और उसी के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर फैसला भी आना था। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने मन ही मन प्रार्थना की थी कि सीता मैया के आशीर्वाद से फैसला रामलला के पक्ष में ही आए। उन्होंने भावुक होकर कहा कि जब सीता माता की धरती से प्रार्थना की जाती है, तो वह कभी विफल नहीं जाती और ऐसा ही हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में ही फैसला दिया। यह स्मरण उन्होंने सीतामढ़ी की पवित्रता और उसके महत्व को रेखांकित करने के लिए किया और उन्होंने कहा कि उस दिन की तरह ही आज भी सीतामढ़ी की धरती से उन्हें एक नई ऊर्जा और प्रेरणा मिल रही है, जिससे वे बिहार के विकास के लिए और अधिक समर्पण के साथ काम कर सकें। यह घटनाक्रम सीतामढ़ी के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है और प्रधानमंत्री। के लिए इस स्थान के व्यक्तिगत महत्व को भी उजागर करता है।
बिहार के भविष्य का चुनाव
प्रधानमंत्री ने अपनी रैली के अंत में एक बार फिर इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव बिहार के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव तय करेगा कि आने वाले सालों में बिहार के बच्चों का भविष्य क्या होगा, उनकी संतानों का भविष्य क्या होगा और उन्होंने बिहार की जनता से अपील की कि वे सोच-समझकर मतदान करें और विकास, सुशासन और समृद्धि के मार्ग को चुनें। पीएम मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि बिहार की जनता एनडीए को एक बार फिर मौका देगी ताकि राज्य में विकास की गति को और तेज किया जा सके और मां सीता के आशीर्वाद से एक विकसित और समृद्ध बिहार का निर्माण हो सके। उन्होंने कहा कि यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि बिहार के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक उत्थान का चुनाव है और प्रधानमंत्री ने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग करते समय बिहार के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखें और उन ताकतों को नकारें जो राज्य को पीछे धकेलना चाहती हैं।