ECI SIR / राहुल गांधी का ECI पर बड़ा हमला: 'SIR कोई सुधार नहीं, थोपा गया जुल्म'

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को 'थोपा गया जुल्म' बताते हुए सरकार और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने पिछले तीन हफ्तों में काम के दबाव के कारण 16 बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) की मौत का जिक्र किया, जिसमें आत्महत्या और हार्ट अटैक शामिल हैं, और ECI पर पुरानी मतदाता सूची प्रणाली के माध्यम से लोकतंत्र को कमजोर करने की 'साजिश' का आरोप लगाया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर सरकार और चुनाव आयोग पर कड़ा प्रहार किया है और उन्होंने इस प्रक्रिया को 'थोपा गया जुल्म' करार दिया है और आरोप लगाया है कि इसके कारण देशभर में अफरा-तफरी का माहौल है, जिसका सीधा असर बूथ स्तर के अधिकारियों (BLOs) पर पड़ रहा है। गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी बात रखते हुए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विवाद

राहुल गांधी ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कोई सुधार नहीं है, बल्कि एक तरह से लोगों पर थोपा गया जुल्म है। उन्होंने इस प्रक्रिया के कारण देशभर में मचे अफरा-तफरी के माहौल का जिक्र किया,। जिससे आम नागरिक और चुनावी प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं। गांधी के अनुसार, इस प्रक्रिया ने एक ऐसा वातावरण बना दिया है जहां पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी साफ दिखती है, जिससे चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। यह प्रक्रिया, जिसे सुधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, वास्तव में नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है और प्रशासनिक मशीनरी पर अनावश्यक दबाव डाल रही है।

बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) पर जानलेवा दबाव

राहुल गांधी ने SIR के भयावह परिणामों को उजागर करते हुए बताया कि पिछले। करीब तीन हफ्तों में 16 बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) की जान चली गई है। उन्होंने कहा कि इन BLO में से किसी ने काम के अत्यधिक दबाव के चलते आत्महत्या कर ली, तो किसी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। यह आंकड़ा चुनावी प्रक्रिया से जुड़े जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं पर पड़ रहे भारी मानसिक और शारीरिक तनाव की भयावह तस्वीर पेश करता है। गांधी ने आगे कहा कि आज भी सैकड़ों BLO भारी तनाव में SIR का काम कर रहे हैं, जो दर्शाता है कि यह समस्या कितनी व्यापक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर एक ऐसा। सिस्टम बनाया है, जिसमें आयोग के अधिकारी BLO पर अत्यधिक दबाव डाल रहे हैं। यही दबाव, तनाव, हार्ट अटैक और आत्महत्या का कारण बन रहा है, जिससे इन अधिकारियों का जीवन खतरे में पड़ गया है।

पुरानी मतदाता सूचियां और 'वोट चोरी' के आरोप

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची प्रबंधन प्रणाली पर भी तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा कि ECI ने ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें नागरिकों को खुद को तलाशने। के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्ने पलटने पड़ रहे हैं। यह प्रक्रिया इतनी जटिल और समय लेने वाली है कि इसका सीधा असर मतदाताओं की भागीदारी पर पड़ सकता है। गांधी ने आरोप लगाया कि इसका मकसद साफ है: सही मतदाता थककर हार जाए और वोट चोरी बिना रोक-टोक जारी रहे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक आधुनिक लोकतांत्रिक देश में, जहां तकनीक इतनी उन्नत है, नागरिकों को अपनी पहचान स्थापित करने के लिए ऐसी पुरानी और अक्षम प्रणाली से जूझना पड़ रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी विफलता है। यह प्रणाली न केवल मतदाताओं के लिए असुविधाजनक है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर भी सवाल उठाती है।

भारत की तकनीकी क्षमता बनाम ECI का कागजी जंगल

कांग्रेस नेता ने भारत की तकनीकी प्रगति और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली के बीच एक विरोधाभास प्रस्तुत किया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, मगर भारत का चुनाव आयोग आज भी कागजों का जंगल खड़ा करने पर ही अड़ा है। गांधी ने तर्क दिया कि अगर नीयत साफ होती तो मतदाता सूची डिजिटल, सर्चेबल और मशीन-रीडेबल होती और एक डिजिटल और आसानी से खोज योग्य सूची न केवल नागरिकों के लिए सुविधाजनक होती, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता भी लाती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग को 30 दिन की हड़बड़ी में अंधाधुंध काम ठेलने के बजाय उचित समय लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान देना चाहिए और यह तकनीकी पिछड़ापन एक जानबूझकर की गई अनदेखी प्रतीत होती है, जो आधुनिक भारत की छवि के विपरीत है।

लोकतंत्र को कमजोर करने की 'साजिश'

राहुल गांधी ने SIR को एक 'सोची-समझी चाल' बताया, जहां नागरिकों को परेशान किया जा रहा है। और BLO की अनावश्यक दबाव से हुई मौतों को 'कॉलैटरल डैमेज' मानकर अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह केवल एक नाकामी नहीं है, बल्कि एक गहरा षड़यंत्र है। गांधी के अनुसार, यह षड़यंत्र 'सत्ता की रक्षा में लोकतंत्र की बलि' देने जैसा है और उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करना और चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर की संभावनाओं को बढ़ाना है। नागरिकों को परेशान करके और जमीनी स्तर के अधिकारियों पर अत्यधिक दबाव डालकर, एक ऐसी प्रणाली बनाई जा रही है जो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह आरोप भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए गंभीर चिंताएं पैदा करता है।

पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग

राहुल गांधी ने अपने बयान में चुनाव आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 30 दिन की हड़बड़ी में काम करने के बजाय, आयोग को पर्याप्त समय लेना चाहिए ताकि मतदाता सूची को त्रुटिहीन और सुलभ बनाया जा सके। एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो नागरिकों को आसानी से अपनी जानकारी तक पहुंचने में मदद करे और BLOs पर अनावश्यक दबाव न डाले। गांधी का मानना है कि केवल एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रिया ही भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि हर नागरिक का वोट सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से दर्ज हो। यह मांग चुनावी प्रक्रिया में सुधार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।