राजस्थान / फ्लोर टेस्ट में तय होगा राजस्थान का​ किंग, जानें क्या है विधानसभा का नंबर गेम

News18 : Jul 24, 2020, 03:56 PM
जयपुर। राजस्थान की सियासत में भले ही अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर भारी पड़ते दिखाई देते हों, लेकिन कानूनी लड़ाई में पायलट (Sachin Pilot) की जीत ने गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) पर संकट ला दिया है। हाईकोर्ट की ओर से विधानसभा स्पीकर के द्वारा दिए गए नोटिस पर स्टे लगाए जाने के बाद से एक बात तो साफ हो गई है कि राजस्थान में मचा सियासी हड़कंप अभी शांत होता नहीं दिख रहा है। कोर्ट के स्टे के बाद पायलट गुट के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे। ऐसे में तय हो गया है कि राजस्थान की लड़ाई अब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बाद ही खत्म होगी। पायलट और गहलोत में जो विधायकों का समर्थन जुटाने में कामयाब रहेगा वही राजस्थान का किंग साबित होगा।

कानूनी रूप से भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हर बार हार का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन वह राजनीतिक रूप से अभी भी मजबूती से डटे हुए हैं। उधर, सचिन पायलट को साधने में बीजेपी और केंद्र सरकार जुटी हुई है। यही कारण है कि राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के सामने फ्लोर टेस्ट पास करना इतना भी आसान नहीं होगा।


अभी विधानसभा की क्या है स्थिति?


अशोक गहलोत गुट :--

कुल नंबर 100 (विधानसभा स्पीकर 1)


• कांग्रेस – 87 (कुल 106, लेकिन 19 बागी)


• निर्दलीय – 10


• बीटीपी 2


• सीपीएम 1


सचिन पायलट गुट :--


मौजूदा नंबर - 19


निर्दलीय - 3


बीजेपी+ : कुल 75


• भाजपा – 72


• आरएलपी - 3


सीपीएम - 1 (अलग)

अभी नंबर के हिसाब से देखें तो अशोक गहलोत सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं। सीएम के पास बहुमत के करीब या फिर बहुमत जितने ही विधायकों का समर्थन हासिल है। गहलोत को पता है कि उन्हें सरकार बचानी है तो फ्लोर टेस्ट पास करना जरूरी होगा। ऐसे में वह अपने मौजूदा विधायकों की एकजुटता कायम रखने के साथ ही पायलट गुट को अपनी ओर करने की रणनीति में काम कर रहे हैं। ऐसे में ये तय है कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान अगर 5 से 6 विधायक भी इधर से उधर चले जाते हैं तो समीकरण बिगड़ सकते हैं।


दूसरी तरफ सचिन पायलट के गुट में अभी 22 विधायक हैं, जिसमें 19 कांग्रेस के और 3 निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे में अगर सचिन पायलट को बीजेपी समर्थन कर देती है तो गहलोत सरकार पर संकट गहरा सकता है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER