Chakka Jam / चक्का जाम के बाद टिकैत का सरकार को अल्टीमेटम, 2 अक्टूबर तक का दिया समय

Zoom News : Feb 06, 2021, 07:29 PM
Chakka Jam: किसानों के 3 घंटे के चक्का जाम के समापन के बाद गाजीपुर बॉर्डर के मंच से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाए नहीं तो आंदोलन जारी रहेगा। हम पूरे देश में यात्राएं करेंगे और पूरे देश में आंदोलन होगा। टिकैत ने कहा कि हमने कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दिया है। इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे। हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे। 

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को नोटिस भेजकर डरा रही है, लेकिन इससे किसान डरने वाले नहीं हैं। किसानों की डाली मिट्टी पर जवान का पहरा है। इससे व्यापारी हमारी जमीन पर बुरी नजर नहीं डालेगा। हमारा मंच और पंच एक ही है। सरकार वार्ता के लिए बुलाएगी तो हम तैयार हैं। टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार को व्यापारियों से लगाव है, किसानों से नहीं।

बता दें कि, कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को किसानों के तीन घंटे का राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' किया। इस दौरान किसी भी तरह के अप्रिय हालात से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के हजारों जवानों को तैनात किया था और सभी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। हालात पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली गई। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को कहा था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में शनिवार को चक्का जाम के दौरान मार्गों को बंद नहीं किया जाएगा। मोर्चा ने कहा कि किसान देश के अन्य हिस्सों में शांतिपूर्ण तरीके से तीन घंटे के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों को बाधित करेंगे। 

गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 73वें दिन भी जारी है। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। 

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER