Ram Navami 2020 / जानिए क्‍यों और कैसे मनाई जाती है राम नवमी

NavBharat Times : Apr 02, 2020, 07:49 AM
Ram Navami 2020: आस्‍था और धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्‍व है। हर साल चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र में और कर्क लग्‍न में भगवान राम का जन्‍म हुआ था। इस बार यह तिथि 2 अप्रैल को है। लेकिन इस बार देश भर में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हुआ है। अयोध्‍या में इस बार भगवान राम का जन्‍मोत्‍सव धूमधाम से मनाने की तैयारी है। आइए जानते हैं कैसे और क्‍यों मनाई जाती है राम नवमी…

राम नवमी पूजा विधि

रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करने के बाद पीले स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत करने का संकल्‍प करें। घर के पूजा स्‍थल में पूजा से जुड़ी सभी सामग्री लेकर बैठें। विष्‍णु अवतार होने के कारण भगवान राम की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य माना जाता है। घर के पूजा स्‍थल में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर राम दरबार की तस्‍वीर या फिर मूर्ति स्‍थापित करें। पूजा आरंभ करने के लिए भगवान की प्रतिमा पर सबसे पहले गंगाजल से छीटें दें। तांबे का कलश चावल के ढेर पर रखें और उस पर चौमुखी दीया जलाकर रखें।

रामलला को झुलाएं झूला

रामनवमी के दिन कुछ लोग बाजार से छोटा सा पालना लाकर रामलला की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। इसको करने के बाद भगवान राम की आरती करें। फिर चाहें तो विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं। भगवान राम को खीर, फल और मिष्‍ठान का भोग लगाएं।

इसलिए मनाते हैं राम नवमी

हिंदू धर्म ग्रथों में भगवान राम और उनके तीनों भ्राताओं के जन्‍म को लेकर एक पौराणिक कथा बताई गई है। इसके अनुसार राजा दशरथ की तीनों रानियों कौशल्‍या, सुमित्रा और कैकयी में से तीनों को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। प्रसाद में यज्ञ से निकली खीर को तीनों रानियों को खिला दिया गया। कुछ समय के पश्‍चात राजा दशरथ के घर में खुशखबरी सुनने को मिली यानी तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। उसके बाद चैत्र शुक्‍ल नवमी के दिन कौशल्‍या माता ने राम, कैकयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्‍मण और शत्रुघ्‍न को जन्‍म दिया। राजा दशरथ को अब उनके उत्‍तराधिकारी मिल चुके थे। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनाई जाती है।

इन खास संयोग में हुआ भगवान राम का जन्‍म

अगस्‍त्‍य संहिता में उल्‍लेख मिलता है कि जिस वक्‍त प्रभु श्रीराम का जन्‍म हुआ था उस वक्‍त दोपहर की घड़ी थी। उस समय पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क लग्‍न और मेष राशि थी। शास्‍त्रों में बताया गया है कि भगवान राम के जन्‍म के वक्‍त सूर्य और 5 ग्रहों की शुभ दृष्टि भी थी और इन खास योगों के बीच राजा दशरथ और माता कौशल्‍या के पुत्र का जन्‍म हुआ।

रामचरितमानस की शुरुआत हुई इसी दिन

गोस्‍वामी तुलसीदास ने महाकाव्‍य रामचरितमानस की रचना में अयोध्‍या में इसी शुभ मौके पर शुरू की थी। इसलिए अयोध्‍या नगरवासियों और रामभक्‍तों के लिए इस दिन का विशेष महत्‍व होता है। भारत ही नहीं विदेश में यह पर्व हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है। रामनवती के मुहूर्त को शुभ कार्यों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन सभी मांगलिक कार्य बिना सोचे समझे कर सकते हैं। गृह प्रवेश, दुकान या व्‍यवसाय का मुहूर्त भी इस दिन लोग करवाते हैं।

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