आगे बढ़ सकती है लोन EMI पर मिल रही छूट / RBI गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे ब्याज दरों पर ऐलान

News18 : Aug 06, 2020, 09:27 AM
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI-Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC-Monetary Policy Committee) आज मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा करेगी। यह एमपीसी की 24वीं बैठक है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा (RBI Monetary Policy Decision Today) पर विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक आज ब्याज दरों में कटौती से बच सकता है, लेकिन कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग जैसे अन्य उपायों की घोषणा कर सकता है।

आगे बढ़ सकती है लोन EMI पर मिल रही छूट!-कोरोना के इस संकट (Coronavirus Pandemic) से आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाने को तैयार है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने EMI पर दी गई राहत (लोन मोरेटोरियम) की सुविधा आगे बढ़ाने के संकेत दिए है। उन्होंने फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI)) के कार्यक्रम में कहा था कि लोन मोरेटोरियम को लेकर RBI के साथ बातचीत चल रही है।

मार्च से लागू है लोन मोरेटोरियम-कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए मोरेटोरियम (लोन के भुगतान में मोहलत) सुविधा दी थी। यह सुविधा मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू की गई थी। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए लागू कर दिया था। यानी कुल 6 महीने की मोरेटोरियम सुविधा दी गई है।

ब्याज दरों में कटौती होगी?-खुदरा मंहगाई दर छह फीसदी से ज्यादा हो चुकी है और जो आरबीआई के दायरे से बाहर है। ऐसे में कई एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि आरबीआई रेपो रेट कटौती के मामले में अपना कदम रोक सकता है। फरवरी के बाद से रेपो रेट में 1।5 फीसदी की कटौती हो चुकी है। बैंकों ने भी नए कर्ज पर 0।72 फीसदी तक ब्याज घटाया है। इसलिए इस बात की संभावना कम लग रही है की रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करेगा। हालांकि कुछ बैंकों और विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक इस बार भी रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती कर सकता है।

खाने-पीने की चीजों ने बढ़ाई महंगाई-दरअसल मांस, मछली, खाद्यान्न और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खुदरा महंगाई दर में इजाफा हो गया है और यह स्थिति आरबीआई को रेपो रेट में कटौती से रोक सकती है। जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर 6।09 फीसदी पर पहुंच गई है। सरकार ने खुदरा महंगाई दर को चार फीसदी ( दो फीसदी ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है।

रेपो रेट में कटौती की भले ही उम्मीद कम है, लेकिन इस बीच उद्योग जगत ने बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने की मांग को लेकर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी क्या कदम उठाती है।

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