India-Pakistan War / शहबाज-मुनीर की 9 मई तक अटकीं सांसें, बिन मारे भारत ने कैसे उड़ाई नींद?

भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर है, पर इस बार भारत ने सैन्य जवाब की बजाय वैश्विक मंचों पर कूटनीतिक हमला बोला है। IMF की कर्ज समीक्षा से पहले भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरा है। नतीजतन, पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है और हालात बेहद असहज हैं।

India-Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार का घटनाक्रम कई मायनों में असाधारण है। 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने भारत को गहराई से झकझोर दिया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस हमले में शामिल पांच आतंकियों में से तीन की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में होने से स्थिति और गंभीर हो गई। हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है, पर भारत के पास कथित तौर पर ऐसे तकनीकी और खुफिया प्रमाण हैं, जिन्हें वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पेश करने की तैयारी में है।

लेकिन इस बार भारत ने परंपरागत सैन्य प्रतिक्रिया के स्थान पर एक चौंकाने वाली कूटनीतिक चाल चली है। भारत ने IMF और अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों से पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक सहायता पर पुनर्विचार की मांग की है। यह मांग उस समय आई है जब पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है और 9 मई को IMF की समीक्षा में उसे 7 बिलियन डॉलर की पहली किश्त मिलने की उम्मीद है।

बिना गोली चलाए दबाव बनाने की रणनीति

भारत की यह रणनीति बेहद सोच-समझकर तैयार की गई प्रतीत होती है। सैन्य टकराव की बजाय, वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और उसके सबसे नाजुक मोर्चे—आर्थिक निर्भरता—पर चोट करने की नीति अपनाई गई है। भारत ने यह संकेत दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर पल रहे आतंकवादी ढांचों को समाप्त नहीं करता, तब तक उसे कोई भी अंतरराष्ट्रीय सहायता नहीं दी जानी चाहिए।

कूटनीतिक शिकंजा और पाकिस्तान की बौखलाहट

पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को 'राजनीतिक स्टंट' कहकर खारिज किया है। लेकिन सच यह है कि शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर की चिंता साफ दिखाई दे रही है। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ जैसे पाकिस्तानी अखबारों की रिपोर्ट से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि इस पूरे घटनाक्रम ने इस्लामाबाद में हलचल मचा दी है। पाकिस्तान को डर है कि अगर IMF की बैठक से पहले भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद से जुड़ा कोई ठोस प्रमाण रख देता है, तो कर्ज की पहली किश्त लटक सकती है।

भारत की कूटनीति का नया रूप

यह घटनाक्रम भारत की बदलती रणनीतिक सोच को दर्शाता है। अब सिर्फ सीमाओं पर प्रतिक्रिया देने के बजाय भारत वैश्विक प्रभाव और दबाव का इस्तेमाल कर रहा है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि नई दिल्ली अब सिर्फ आक्रामक नहीं, बल्कि निर्णायक नीति की दिशा में आगे बढ़ रही है।

IMF जैसे वैश्विक संस्थानों के समक्ष पाकिस्तान को आतंकवाद का आश्रयदाता दिखाने की भारत की यह कोशिश केवल एक घटनाक्रम नहीं है, बल्कि आने वाले समय में एक बड़े कूटनीतिक बदलाव की बुनियाद है।

निर्णायक मोड़ पर भारत-पाक संबंध

भारत की इस रणनीति ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं—अब आतंक के खिलाफ केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी। पाकिस्तान की आर्थिक नब्ज पर पकड़ बनाकर भारत ने यह जता दिया है कि वह अब सिर्फ जवाबी नहीं, बल्कि सक्रिय और आक्रामक कूटनीति अपनाने को तैयार है।