Share Market News / शेयर बाजार में 19 घंटे में 6 लाख करोड़ का नुकसान: विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली बनी वजह

भारतीय शेयर बाजार में लगातार तीन दिनों की गिरावट से निवेशकों को 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की मुनाफावसूली और वैश्विक बाजार की कमजोरियां हैं।

भारतीय शेयर बाजार में पिछले तीन कारोबारी सत्रों में निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। लगभग 19 घंटों के इन कारोबारी सत्रों में, बाजार पूंजीकरण में 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब अक्टूबर के महीने में सेंसेक्स में 4। प्रतिशत से अधिक की तेजी देखी गई थी, जिससे निवेशकों में आशा का संचार हुआ था। हालांकि, अब यह तेजी थम गई है और बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

लगातार तीसरे दिन गिरावट का दौर

शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार, सेंसेक्स में 750 से अधिक अंकों की गिरावट देखने को मिली है, जबकि निफ्टी में 271 अंकों से अधिक की कमी आई है। शुक्रवार के कारोबारी सत्र की बात करें तो, सेंसेक्स में शुरुआती दौर में 640 अंकों की बड़ी गिरावट आई थी, हालांकि बाद में इसमें कुछ रिकवरी देखने को मिली और यह 94. 73 अंकों की मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। इसी तरह, निफ्टी भी 191 अंकों से अधिक गिरकर 17 और 40 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। यह दर्शाता है कि बाजार में बिकवाली का दबाव बना हुआ है, लेकिन। कुछ स्तरों पर खरीदारी भी देखी गई, जिससे गिरावट की तीव्रता थोड़ी कम हुई।

सेंसेक्स और निफ्टी के आंकड़े

3 नवंबर को सेंसेक्स 83,978 और 49 अंकों पर बंद हुआ था, जो शुक्रवार को घटकर 83,216. 28 अंकों पर आ गया। इस प्रकार, तीन दिनों में सेंसेक्स में कुल 762. 21 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और शुक्रवार को कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 82,670. 95 अंकों के निचले स्तर तक भी पहुंच गया था, जिससे तीन दिनों की कुल गिरावट 1,300 अंकों से अधिक हो गई थी, लेकिन बाद में इसमें सुधार आया। निफ्टी की बात करें तो, 3 नवंबर को यह 25,763. 35 अंकों पर बंद हुआ था और शुक्रवार को 25,492. 30 अंकों पर रहा, जिससे तीन दिनों में कुल 271. 05 अंकों की गिरावट आई। शुक्रवार को निफ्टी भी 25,318. 45 अंकों के निचले स्तर तक गिर गया था।

गिरावट के मुख्य कारण

शेयर बाजार में इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। इनमें सबसे बड़ा हाथ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली का है। विदेशी निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी है और नवंबर में अब तक 6,214 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं। जुलाई से अब तक, वे कैश सेगमेंट में लगभग 1. 4 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। यह बिकवाली भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीदों के कम होने के बीच हो रही है।

वैश्विक बाजारों में कमजोरी

भारतीय बाजार में गिरावट का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण वैश्विक बाजारों में कमजोरी है। वॉल स्ट्रीट पर बढ़े हुए वैल्यूएशन को लेकर निवेशकों की धारणा में बदलाव आया है। 7 नवंबर को, जापान का निक्केई और कोरिया का कोस्पी जैसे प्रमुख एशियाई शेयर बाजार 2-2 प्रतिशत तक गिर गए, जबकि वॉल स्ट्रीट में रातोंरात 2 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की संभावनाओं में कमी भी वैश्विक निवेशकों को प्रभावित कर रही है। इसके अतिरिक्त, 1 अक्टूबर से शुरू हुआ अमेरिकी सरकार का सबसे लंबा बंद, आर्थिक आंकड़ों की कमी पैदा कर रहा है और बाजार में अनिश्चितता बढ़ा रहा है।

आर्थिक संकेतकों का प्रभाव

हाल ही में जारी हुए आर्थिक संकेतकों के आंकड़े भी शेयर बाजार को समर्थन देते हुए नहीं दिख रहे हैं। चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही) की. पहली तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7. 8 प्रतिशत की प्रभावशाली दर से बढ़ा, जो कि एक सकारात्मक संकेत है और हालांकि, नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में घटकर 8. 8 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 9. 6 प्रतिशत थी। यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में अभी भी कुछ कमजोरियां मौजूद हैं। इसके अलावा, अगस्त में 15 साल के शिखर पर पहुंचने के बाद, भारत का सर्विस सेक्टर अक्टूबर में 5 महीने के निचले स्तर पर आ गया, जिससे आर्थिक गतिविधियों में कुछ सुस्ती का संकेत मिलता है और वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े 28 नवंबर को जारी होने वाले हैं, जिन पर बाजार की नजर रहेगी।

तकनीकी और कमोडिटी कंपनियों की स्थिति

इस साल वैश्विक बाजार में आई तेजी मुख्य रूप से तकनीकी कंपनियों के कारण रही है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर मजबूत आशावाद से प्रेरित है। भारत में इस सेक्टर में मजबूत वैश्विक कंपनियों का अभाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि यही एक कारण है कि भारतीय शेयर। बाजारों ने इस साल अब तक वैश्विक स्तर पर खराब प्रदर्शन किया है। जीक्वांट के संस्थापक शंकर शर्मा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर, दो क्षेत्र – तकनीक और कमोडिटी – इस तेजी को। गति दे रहे हैं, और भारत में इन क्षेत्रों में कई मजबूत नाम नहीं हैं, जिससे भारतीय बाजार पिछड़ रहा है।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता भी निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित कर रही है और कई सकारात्मक संकेतों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच स्पष्ट सौहार्द के बावजूद, व्यापार समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। गुरुवार को ट्रंप ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत अच्छी तरह आगे बढ़ रही है और वह अगले साल अमेरिका का दौरा कर सकते हैं, लेकिन इस समझौते पर अंतिम मुहर न लगने से निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है। यह अनिश्चितता भारतीय शेयर बाजार के लिए एक बड़ी बाधा बनी हुई है, क्योंकि निवेशक स्पष्टता और स्थिरता पसंद करते हैं।