Share Market News / शेयर मार्केट में निवेश का तरीका बदलेगा: तीन बड़े कानून होंगे मर्ज

भारत सरकार तीन पुराने मार्केट कानूनों को मिलाकर 'सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल 2025' ला रही है। यह बिल नियमों को आसान बनाएगा, निवेशकों का काम सरल करेगा और एफडीआई बढ़ाएगा, जिससे शेयर और बॉन्ड मार्केट आधुनिक व पारदर्शी बनेंगे। यह बिल शीतकालीन सत्र में पेश होगा।

भारत सरकार देश के वित्तीय बाजारों में एक अभूतपूर्व बदलाव लाने की तैयारी में है। 'सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल 2025' नामक एक महत्वाकांक्षी विधेयक पेश किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तीन दशकों से चले आ रहे पुराने बाजार कानूनों को एक एकीकृत और आधुनिक ढांचे में समाहित करना है। यह कदम न केवल नियमों को सरल बनाएगा, बल्कि निवेशकों के लिए निवेश प्रक्रिया को भी आसान करेगा और देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देगा। इस महत्वपूर्ण बदलाव से भारत के शेयर और बॉन्ड मार्केट दोनों ही अधिक आधुनिक और पारदर्शी बनेंगे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी

भारत सरकार तीन पुराने और महत्वपूर्ण कानूनों को एक साथ मिलाकर एक नया, व्यापक कानून लाने की तैयारी में है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जो भारत के वित्तीय बाजार के नियामक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देगा और जिन तीन कानूनों को 'सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल 2025' में विलय किया जा रहा है, वे हैं सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट (रेगुलेशन) एक्ट 1956। ये कानून दशकों से भारतीय पूंजी बाजार के आधार स्तंभ रहे हैं, लेकिन समय के साथ इनकी अलग-अलग प्रकृति ने जटिलताएं पैदा की हैं और इन सभी को एक छत के नीचे लाने से नियामक ढांचे में एकरूपता आएगी, जिससे कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए अनुपालन आसान हो जाएगा। यह समेकन केवल एक प्रशासनिक अभ्यास नहीं है, बल्कि भारत के वित्तीय बाजारों को। आधुनिक बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा।

शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल

यह महत्वपूर्ण विधेयक, जिसका नाम 'सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल 2025' है, आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा और इस सत्र में बिल का पेश होना सरकार की इस सुधार को जल्द से जल्द लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। संसदीय प्रक्रिया के तहत, बिल को पेश करने के बाद उस पर चर्चा होगी, जिसमें विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। इसके बाद ही इसे संसद के दोनों सदनों से पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। इस बिल का सफल पारित होना भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जो निवेश के माहौल को और अधिक अनुकूल बनाएगा।

वित्त मंत्री की दूरदर्शिता

इस बड़े सुधार की घोषणा सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 के बजट में की थी। उन्होंने उस समय स्पष्ट किया था कि अलग-अलग कानूनों की वजह से कंपनियों और निवेशकों को नियमों का पालन करने में काफी झंझट और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनका दृष्टिकोण यह था कि एक ही जगह पर सभी संबंधित प्रावधानों को शामिल करने से निवेशकों को कानूनों को समझने और उनका पालन करने में बहुत आसानी होगी। यह पहल वित्त मंत्री की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जिसका लक्ष्य भारत के पूंजी बाजार को अधिक कुशल, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाना है। एक एकीकृत कानून से नियामक स्पष्टता बढ़ेगी, जिससे बाजार सहभागियों के लिए अनिश्चितता कम होगी।

आम निवेशकों के लिए बड़े फायदे

इस नए कानून से आम निवेशकों को कई बड़े फायदे होने वाले हैं। वर्तमान में, कंपनियों को विभिन्न कानूनों का पालन करने में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जो नए कानून के लागू होने के बाद काफी कम हो जाएंगे। सेबी, डिपॉजिटरी और सरकार के अलग-अलग नियमों में जो भ्रम की स्थिति बनी रहती है, वह पूरी तरह से दूर हो जाएगी। सभी नियम एकदम साफ और आसान हो जाएंगे, जिससे निवेशकों को निवेश संबंधी निर्णय लेने में अधिक स्पष्टता मिलेगी। यह सरलीकरण छोटे निवेशकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा, क्योंकि उन्हें अब जटिल कानूनी प्रावधानों को समझने में कम समय और प्रयास खर्च करना पड़ेगा। इससे बाजार में उनकी भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

बाजार में बढ़ेगा विदेशी भरोसा

इस नए कानून का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें। सरकारी बॉन्ड और लोन से जुड़े कानून भी शामिल किए जा रहे हैं। यह एकीकरण विदेशी निवेशकों के लिए भारत को और अधिक आकर्षक बनाएगा और एक एकीकृत और पारदर्शी नियामक ढांचा विदेशी निवेशकों को भारत के पूंजी बाजार में अधिक विश्वास के साथ निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जब नियम स्पष्ट और सुसंगत होते हैं, तो विदेशी पूंजी आकर्षित होती है, जिससे देश में एफडीआई में वृद्धि होती है। यह वृद्धि न केवल बाजार को गहरा करेगी बल्कि भारतीय कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने के नए अवसर भी पैदा करेगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

आधुनिक और पारदर्शी बाजार की ओर

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया कानून आते ही भारत का शेयर मार्केट पूरी तरह से आधुनिक हो जाएगा। शेयर मार्केट हो या बॉन्ड मार्केट, सब कुछ एक ही छत के नीचे आ जाएगा, जिससे नियामक ओवरलैप और विसंगतियां समाप्त हो जाएंगी और यह एकीकरण बाजार की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाएगा। छोटे निवेशक से लेकर बड़े-बड़े फंड तक, सभी की जिंदगी आसान हो जाएगी। पैसा लगाना, निकालना, ट्रेडिंग करना सब कुछ तेज और सरल हो जाएगा। यह सुधार भारतीय पूंजी बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और कंपनियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन जाएगा।

निवेश के तरीके में आमूल-चूल परिवर्तन

यदि यह बिल संसद से पारित हो जाता है, तो आने वाले कुछ सालों में शेयर मार्केट में निवेश करने का पूरा तरीका ही बदल जाएगा। यह बदलाव केवल नियामक ढांचे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह निवेश प्रक्रियाओं, प्रौद्योगिकी के उपयोग और निवेशक अनुभव को भी प्रभावित करेगा और उम्मीद है कि यह एक अधिक सुव्यवस्थित, कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल निवेश पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त करेगा। डिजिटल प्लेटफॉर्म और फिनटेक नवाचारों को एक सरल नियामक वातावरण में पनपने का अवसर मिलेगा, जिससे निवेश और भी सुलभ हो जाएगा। यह भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगा।

बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा में वृद्धि

'सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल 2025' के साथ-साथ, सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक और महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी। यह विधेयक बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता है। यह कदम बीमा क्षेत्र में अधिक विदेशी पूंजी और विशेषज्ञता को आकर्षित करने के। लिए उठाया जा रहा है, जिससे इस क्षेत्र में विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट भाषण में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने इसे 'नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों' का हिस्सा बताया था और बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने से विदेशी बीमा कंपनियों को भारतीय बाजार में अधिक निवेश करने और अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की अनुमति मिलेगी। इससे भारतीय बीमा कंपनियों को भी वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और अपनी सेवाओं में सुधार करने का अवसर मिलेगा। यह अंततः उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पादों और सेवाओं के साथ-साथ अधिक विकल्प प्रदान करेगा, जिससे भारतीय बीमा बाजार का समग्र विकास होगा।