राजस्थान की राजनीति में इन दिनों विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) को लेकर एक बड़ा सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख नेता एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप. लगा रहे हैं, जिससे प्रदेश का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. इस प्रक्रिया को लेकर दोनों दलों के अपने-अपने तर्क और चिंताएं हैं, जो सार्वजनिक मंचों पर मुखर रूप से सामने आ रही हैं.
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कांग्रेस पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि उन्हें SIR से डर लग रहा है.
परनामी के अनुसार, कांग्रेस को यह आशंका है कि इस संशोधन प्रक्रिया से उनके द्वारा गलत तरीके से बनाए गए वोटर उजागर हो जाएंगे. उन्होंने इस स्थिति को कांग्रेस की 'फटी बनियान' दिखने की आशंका बताया, जिसका अर्थ है कि उनके छिपे हुए राज सामने आ जाएंगे. परनामी का यह बयान कांग्रेस की रणनीति और मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर सवाल उठाता है, जिससे यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है.
लोकतंत्र की रक्षा के लिए अयोग्य वोटरों को हटाना जरूरी
परनामी ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस को इस बात का संकोच है कि SIR से बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य विदेशी घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे. उन्होंने दावा किया कि इनमें पाकिस्तानी घुसपैठिए भी शामिल हैं, जिन्हें पिछली कांग्रेस सरकारों में वोटर आईडी दिए गए थे. भाजपा नेता के मुताबिक, ये लोग कांग्रेस को पूरी तरह वोट देते हैं और SIR से उनका नाम कटने से पार्टी को बड़ा नुकसान होगा. परनामी ने इस बात पर बल दिया कि ऐसे अयोग्य वोटरों को सूची से हटाना अत्यंत आवश्यक है ताकि लोकतंत्र की शुचिता और अखंडता की रक्षा की जा सके और यह कदम निष्पक्ष चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है.
बिहार का उदाहरण: 75 लाख वोटर हटाए गए
अशोक परनामी ने अपने तर्क को मजबूत करने के लिए बिहार का उदाहरण दिया, जहां SIR प्रक्रिया के तहत 75 लाख वोटर हटाए गए थे. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ऐसा न होता तो बाहर के लोग बिहार की सरकार चुनते, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गलत होता और परनामी ने पूछा कि क्या बाहरी लोगों को लोकतंत्र में सरकार चुनने का हक होना चाहिए? उन्होंने कहा कि SIR से ऐसी अनियमितताएं दूर होंगी और चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी बने रहेंगे. यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे मतदाता सूची का शुद्धिकरण चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण है.
कांग्रेस का पलटवार: BLOs की मौतों पर सरकार को घेरा
दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने. SIR प्रक्रिया को आम लोगों के लिए खतरनाक करार दिया है. उन्होंने इस प्रक्रिया के दौरान देश के कई राज्यों में 10 से ज्यादा मौतों को दुखद बताया और इस पर गहरी चिंता व्यक्त की. डोटासरा ने कहा कि इससे आम लोगों में डर और अनिश्चितता फैल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जिससे उनके परिवार उजड़ रहे हैं और कांग्रेस का यह रुख सरकार पर मानवीय पहलुओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाता है.
राजस्थान में BLOs की दुखद मौतें
डोटासरा ने राजस्थान में हुई दो दुखद घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि जयपुर के BLO मुकेश जांगिड़ की आत्महत्या और सवाई माधोपुर के हरीओम बैरवा की मौत ने सबको झकझोर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का असहनीय दबाव, सस्पेंशन की धमकियां और तानाशाही रवैया BLOs को मानसिक रूप से परेशान कर रहा है और उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवारों ने सरकारी व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन सरकार इसे 'नेचुरल डेथ' कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है, जो कि अत्यंत निंदनीय है.
पारदर्शिता और न्याय की मांग
गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार से सवाल किया कि वह BLOs पर इतना दबाव क्यों डाल रही है? क्या वोटर लिस्ट में हेराफेरी की कोई जल्दी है? उन्होंने मांग की कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, बिना किसी दबाव के. डोटासरा ने यह भी मांग की कि अनुचित भार डालने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और इसके साथ ही, उन्होंने सरकार से मुकेश जांगिड़ और हरीओम बैरवा के परिवारों को न्याय देने और दोषियों को सजा देने की अपील की. कांग्रेस का यह रुख BLOs के हितों की रक्षा और प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.
चुनावी हार के बाद कांग्रेस के बहाने: भाजपा
जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए अशोक परनामी और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अंकित चेची ने यूथ कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल उठाए. परनामी ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस हर चुनावी हार के बाद नए बहाने ढूंढती है. उन्होंने याद दिलाया कि कभी EVM पर शक तो कभी SIR पर विरोध, यह कांग्रेस की पुरानी रणनीति रही है और परनामी ने यह भी याद दिलाया कि EVM मामले में कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन वहां उसे हार का सामना करना पड़ा था. अब SIR पर पूरे देश में विरोध कर रही है,. जबकि निर्वाचन आयोग निष्पक्ष तरीके से काम कर रहा है.
निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर जोर
परनामी ने जोर देकर कहा कि निर्वाचन आयोग किसी से नहीं डरता और वह पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से अपना काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में SIR प्रक्रिया चल रही है, जो आयोग की व्यापक पहुंच और प्रतिबद्धता को दर्शाता है. भाजपा नेताओं का यह बयान कांग्रेस के विरोध को राजनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसका उद्देश्य चुनावी हार के लिए बहाने ढूंढना है, न कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की वास्तविक चिंता करना. यह दर्शाता है कि दोनों दल इस मुद्दे पर अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में लगे हैं, जिससे राजस्थान की राजनीति में SIR एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है.