Zoom News : Dec 25, 2020, 11:04 AM
Delhi: एक ओर, विज्ञान चंद्रमा पर आश्रय स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, दूसरी ओर, अंधविश्वास के भंवर जाल में फंसकर लोग अंधविश्वास का पाठशाला चलाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। यह स्कूल झारखंड के लातेहार जिले में चल रहा है। लातेहार सदर प्रखंड से महज 15 किमी दूर बभनहरुवा गांव में अभी भी अंधविश्वास का स्कूल चल रहा है। यहां 10 साल में एक बार, 40 लोग 4 महीने की क्लास करते हैं और मंत्र से सांप-बिच्छू का जहर निकालने का प्रशिक्षण लेते हैं।
यहां युवा से लेकर मध्यम आयु वर्ग के और वृद्ध भी तंत्र साधना में शामिल थे और उनके हाथों में चिकन, चावल और सिंदूर था। पहले बकरे की परंपरा, फिर यहाँ मुर्गे की बलि।गौरतलब है कि यह प्रशिक्षण नागपंचमी पर्व के दौरान दिया जाता है। इसके साथ ही सभी छात्रों को इस प्रशिक्षण में शिक्षा दी जाती है। यहां सभी 4 महीने तक सुबह और शाम को ट्रेनिंग लेते हैं।लातेहार के सिविल सर्जन संतोष कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले पर कहा कि आज भी लोग अस्पताल आते हैं जहाँ अंधविश्वास के कारण गाँव में समय बर्बाद करके उनकी मृत्यु हो जाती है।
यहां युवा से लेकर मध्यम आयु वर्ग के और वृद्ध भी तंत्र साधना में शामिल थे और उनके हाथों में चिकन, चावल और सिंदूर था। पहले बकरे की परंपरा, फिर यहाँ मुर्गे की बलि।गौरतलब है कि यह प्रशिक्षण नागपंचमी पर्व के दौरान दिया जाता है। इसके साथ ही सभी छात्रों को इस प्रशिक्षण में शिक्षा दी जाती है। यहां सभी 4 महीने तक सुबह और शाम को ट्रेनिंग लेते हैं।लातेहार के सिविल सर्जन संतोष कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले पर कहा कि आज भी लोग अस्पताल आते हैं जहाँ अंधविश्वास के कारण गाँव में समय बर्बाद करके उनकी मृत्यु हो जाती है।