Teesta Supreme Court / सुप्रीम कोर्ट से तीस्ता सीतलवाड़ को राहत, हाईकोर्ट के आदेश पर 7 दिन की रोक

Zoom News : Jul 01, 2023, 08:12 PM
Teesta Supreme Court: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को अंतरिम राहत देते हुए कहा है कि हम गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हैं. गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को Teesta Setalvad को जमानत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया था. वहीं, हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं, जहां शनिवार रात जमानत याचिका पर सुनवाई की गई और उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है. साथ ही गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री हर अर्जी को चीफ जस्टिस के सामने रखेगी ताकि मामले की सुनवाई उसके मुताबिक हो सके.

वहीं, सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आप बार-बार एक ही बात कर रहे हैं. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सितंबर से जमानत मिली हुई है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए 7 दिन का समय भी क्यों नहीं दिया गया? हाईकोर्ट की तरफ से जो आदेश दिया गया है, वो समझने में मैं विफल हूं.

SC ने पूछा- हमारे आदेश को क्यों नजरअंदाज किया गया?

हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक व्यक्ति हर मंच और हर संस्था का इस्तेमाल कर रहा है. इस पर अदालत ने कहा कि अभी सिर्फ अंतरिम राहत पर सुनवाई की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हाईकोर्ट ने इस अदालत के आदेश को नजरअंदाज किया है?

सॉलिसिटर जनरल को बताया गया कि हम सुबह तक मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार हैं. हाईकोर्ट के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करने के फैसले को लेकर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं सिर्फ यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि आखिर क्यों हाईकोर्ट मे रेगुलर जमानत नहीं दी और सरेंडर करने को कहा, क्योंकि यह किसी आम नागरिक का मामला नहीं है.

तीस्ता के वकील ने क्या दलीलें रखीं?

शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता हुए पेश हुए, जबकि तीस्ता की तरफ से वकील सीयू सिंह ने दलीलें रखीं. तीस्ता के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत दी गई. इसमें साफ किया गया था कि हाईकोर्ट जब तक रेगुलर जमानत पर आदेश ना दे, तब तक अंतरिम जमानत जारी रहेगी.

दलीलें रखते हुए तीस्ता के वकील ने आगे कहा कि उनके मुवक्किल ने कोई उल्लंघन का गलती नहीं की है. आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. तीस्ता हरेक तारीख में पेश हुई हैं. उनकी तरफ से जमानत की शर्तों का उल्लंघन भी नहीं किया गया है.

वकील की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आज सिर्फ अंतरिम संरक्षण पर गौर कर रहे हैं. वकील से पूछा गया कि हाईकोर्ट की तरफ से आदेश आदेश कब दिया गया. इसके जवाब में वकील ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश आज आया है. इसलिए हम 30 दिन की अंतरिम राहत प्रदान करने की मांग करते हैं. हाईकोर्ट ने तत्काल सरेंडर करने का भी आदेश दिया है.

सीयू सिंह ने कहा कि अंतरिम राहत को सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक जारी रखने में कानूनी और प्रक्रियागत रूप में भी कोई हर्ज नहीं होगा. तीस्ता का पासपोर्ट भी जमा है. वह जांच में सहयोग भी कर रही हैं. चार्ज फ्रेम हो चुके हैं और दो धाराएं गैर जमानती हैं.

गुजरात सरकार से नाराज दिखी सुप्रीम कोर्ट

गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश पर कहा कि उसके जरिए किसी सामान्य नागरिक की जमानत को रद्द नहीं किया गया है. इस मामले में बहुत कुछ है और मामले को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट नाराज था. यही वजह थी कि मेहता के दलील रखने के बीच में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का तरीका ठीक नहीं है. जब हमारी ओर से दी गई जमानत में कोई उल्लंघन नहीं हुआ, तो फिर आदेश को क्यों चुनौती दी गई.

इस पर एसजी ने कहा कि ऐसे मामले में उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में जांच चल रही है. एसजी ने कहा कि आदेश में कृपया कोई टिप्पणी ना करें. फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हरेक तथ्य को आदेश में दर्ज कर रहे हैं. एसजी का कहना था कि देश मे ही नहीं देश के बाहर भी तीस्ता ने देश की छवि को खराब किया. एसजी ने कहा कि तीस्ता का फोकस झूठे मामलों में लोगों को फंसाना और राज्य सरकार को अस्थिर करना था. यह आम नागरिक नहीं कर सकता. यह एजेंडा के तहत किया गया.

गुजरात दंगों की आरोपी हैं तीस्ता

दरअसल, तीस्ता सीतलवाड़ के ऊपर 2002 में हुए गुजरात दंगे में निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप है. उन पर आरोप है कि उन्होंने निर्दोषों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़े थे. पिछले साल जून में तीस्ता को गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ हिरासत में लिया गया था. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर को तीस्ता द्वारा दायर की गई अंतरिम जमानत को मंजूर कर लिया. इसके बाद वह तीन सितंबर को जेल से बाहर आई थीं.

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