दुनिया / इस गुफा में आज भी रखा है रावण का शव, नहीं किया गया था अंतिम सस्कार, जानिए क्या है रहस्य

Zoom News : Oct 08, 2021, 12:41 PM
रामायण से जुड़े रहस्यों के बारे में जानने की जिज्ञासा हर किसी को होती है। माना जाता है कि आज भी रामायण और भगवान राम से जूड़े कई चिन्ह और सबूत श्रीलंका में मौजूद हैं जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है। यह स्थल भगवान श्रीराम और रावण से जुड़ी कई सच्चाई बयां करते हैं। नवरात्र समाप्त होने के बाद दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है जिसे विजयदशमी कहते हैं। मान्यता है कि दशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था। 

एक रिसर्च में दावा किया गया है कि करीब 50 ऐसे स्थान हैं जिनका संबंध रामायण से है। इस रिसर्च के मुताबिक, एक पहाड़ी में बनी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित है। यह गुफा श्रीलंका के रैगला के घने जंगलों में स्थित है। बताया जाता है कि भगवान श्रीराम के हाथों रावण के वध को 10 हजार साल से भी ज्यादा हो गए हैं। 


जिस गुफा में रावण का शव रखा गया है वह रैगला के जंगलों में 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर रावण के शव को ममी बनाकर एक ताबूत में रखा गया है। इस पर एक खास किस्म का लेप लगाया गया है, जिसके चलते हजारों सालों से वो वैसा का वैसा ही दिखता है।

यह शोध श्रीलंका के इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर द्वारा किया गया है। इस रिसर्स के मुताबिक, 18 फीट लंबे और 5 फीट चौड़े ताबूत में रावण का शव रखा गया है। यह भी कहा जाता है कि इस ताबूत के नीचे रावण का बेशकीमती खजाना है। इस खजाने की रखवाली एक भयंकर नाग और कई खूंखार जानवर करते हैं।


मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, उन्होंने उसके शव को विभीषण को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया था। लेकिन विभीषण ने राजगद्दी संभालने की जल्दी में रावण का अंतिम संस्कार नहीं किया और शव वैसे ही छोड़ दिया।

कहा जाता है कि इसके बाद रावण के शव को नागकुल के लोग अपने साथ लेकर चले, क्योंकि उन लोगों को विश्वास था कि रावण की मौत क्षणिक है, वह फिर जिंदा हो जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद उन्होंने रावण के शव को ममी बना दिया, ताकि सालों तक सुरक्षित रहे। 


रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि रावण की अशोक वाटिका कहां थी और उसका पुष्पक विमान कहां उतरता था। इसके अलावा भगवान हनुमान के पैरों के निशान भी खोजने का दावा किया गया है। लेकिन इन सभी चीजों की प्रमाणिकता अभी तक सिद्ध नहीं हो पाई है। 

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