विश्व / कश्मीर पर लिया गया फैसला सिर्फ और सिर्फ वहां के विकास के लिए, यह हमारा आंतरिक मामला

NavBharat Times : Sep 28, 2019, 06:55 AM
UNGA |  74वां सत्र अब समाप्त होने को है। इसके साथ ही आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत के कूटनीतिक अभियान का पहला अध्याय भी पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रवार शाम को संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन खत्म होते-होते भारत ने दुनिया को यह साफ संदेश दे दिया कि कश्मीर पर लिया गया फैसला सिर्फ और सिर्फ वहां के विकास के लिए है और इस लिहाज से यह हमारा 'आंतरिक' मामला है।

भारत की दलीलों से करीब-करीब पूरी दुनिया सहमत

भारत ने दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि वास्तविक चुनौती आतंकवाद की है जिससे पूरा विश्व प्रभावित है और जिसका केंद्रबिंदु पाकिस्तान है। भारत ने यह भी साफ शब्दों में कह दिया है कि पाकिस्तान के साथ कोई भी मुद्दा सिर्फ और सिर्फ द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाया जाएगा। चीन और पाकिस्तान को छोड़कर करीब-करीब पूरी दुनिया भारत की ये दलीलें मान भी चुकी है। अब भारत को अपने वादों पर खरा उतरना होगा। इस कारण भारत के मौजूदा अभियान का दूसरा चरण थोड़ा और पेचिदा हो जाएगा।

अब पूरा करना होगा कश्मीर पर किया वादा

अमेरिकी विदेश विभाग की अधिकारी एलिस वेल्स ने मीडिया को कहा, 'हम आशा करते हैं कि भारत सरकार स्थानीय नेताओं के साथ बातचीत शुरू कर वहां जल्द-से-जल्द चुनाव कराएगी। पीएम मोदी ने वादा किया है कि कश्मीर में हालिया बदलावों से कश्मीरियों का जीवन स्तर सुधरेगा। हम उनसे यह वादा पूरा किए जाने की उम्मीद रखते हैं।'

पाकिस्तान पर बनाए रखने का संकेत

साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाने का दबाव भी बना रहेगा। यह दबाव अक्टूबर महीने में ही अपना रंग दिखा सकता है और टेरर फाइनैंसिंग एवं मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने में असफलता के कारण पाकिस्तान को फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैक लिस्ट में धकेला जा सकता है।

पाकिस्तान के लिए घातक होगा इमरान का बड़बोलापन

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान न्यू यॉर्क में बीते पूरे सप्ताह शेखी बघारते हुए एक ही राग अलापते रहे। उन्होंने 'संभावित नरसंहार' और 'फासिस्ट मोदी' को लेकर बार-बार जो चेतावनी दी, उसने वास्तव में उनकी शिकायतों को ही कमजोर किया। वेल्स ने कहा, 'मुझे लगता है कि फिलहाल राजनीतिक गतिविधियों की बहाली और प्रमुख पक्षों के बीच बातचीत पर ध्यान केंद्रित है। कांग्रेस (अमेरिकी संसद) सदस्यों ने भी (ट्रंप) प्रशासन को भेजी अपनी चिट्ठी में यही मुद्दा उठाया और उन्होंने इसे दक्षिण एशिया में मानवाधिकार की कसौटी के रूप में पेश किया है।'

अमेरिकी विदेश विभाग ने की पाकिस्तान की खिंचाई

हालांकि, वेल्स ने इमरान खान के दावों पर सहज अविश्वास प्रकट किया। उन्होंने कश्मीर के मुसलमानों को लेकर शिकायतों का अंबार लगाने और चीन के शिंजियांग प्रांत में मुसलमानों को पाबंदियों में रखे जाने पर चुप्पी साधे रहने पर पाकिस्तान की इशारों-इशारों में खिंचाई की। उन्होंने कहा, 'मैं पश्चिमी चीन में मुसलमानों को हिरासत में लिए जाने और वहां बिल्कुल कंस्ट्रेशन कैंप जैसे हालात पर भी इसी (कश्मीर) तरह की चिंता जाहिर करते देखना चाहूंगी। इसलिए, मुसलमानों के मानवाधिकार के प्रति चिंतित होने का विस्तार कश्मीर से बाहर दूर-दूर तक होना चाहिए।'

कश्मीर में अपनी करतूतों से बाज नहीं आएगा पाकिस्तान

भारत आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहेगा। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी कैंपों की दोबारा बहाली से तनाव बढ़ने की आशंका है। भारत का कहना है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। हालांकि, यह भी सच है कि पाकिस्तानी आर्मी और वहां के जिहादी ग्रुप कश्मीर में संकट पैदा करने की कोशिश में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे।

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