खुशखबरी / दुनिया को परेशान करने वाले वायरसों को खाने वाले सूक्ष्मतम जीव मिले...

AajTak : Sep 24, 2020, 01:34 PM
कोरोना वायरस से पूरी दुनिया परेशान है। दुनिया में ऐसे कई खतरनाक वायरस हैं। अभी तक लोगों को यह डर लगता था कि वायरस कैसे खत्म होगा क्योंकि इसे कोई जीव खाता नहीं। लेकिन वैज्ञानिकों को समुद्र में एक ऐसा सूक्ष्म जीव मिला है जो कई तरह के वायरस खाता है। यह दुनिया का पहला ऐसा जीव है जो पुख्ता तौर पर वायरस ही खाता है। वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि कई बार जांच करने के बाद की है। 

ये सूक्ष्म जीव स्पेन (Spain) के कैटालोनिया (Catalonia) के पास मैन की खाड़ी (Gulf of Maine) और भूमध्यसागर (Mediterranean Sea) में मिला है। इसे साइंटिस्ट प्रोटिस्ट्स (Protists) कह रहे हैं। जब प्रोटिस्ट्स का अध्ययन किया गया तो इसमें भी दो प्रकार के समूह निकले। इन्हें चोआनोजोंस (Choanozans) और पिकोजोंस (Picozoans) कहते हैं। क्योंकि इनके DNA में मामूली सा अंतर होता है। 

मैन कस्बे में रहने वाली बिग्लो लेबोरेट्री फॉर ओशन साइंसेज की शोधकर्ता और इस प्रोटिस्ट्स को खोजने वाली जूलिया ब्राउन का कहना है कि प्रोटिस्ट्स दुनिया में मौजूद किसी भी जीव-जंतु के DNA से मैच नहीं करता। जिन वायरसों की वजह इंसान, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे परेशान रहते हैं, मर जाते हैं अब उन्हें खाने वाला जीव मिल गया है। 

जूलिया ब्राउन ने बताया कि पहले हमे लगा कि प्रोटिस्ट्स (Protists) पर वायरस का संक्रमण हो गया है। लेकिन जब हमनें बारीकी से जांच की तो पता चला इस सूक्ष्म जीव ने वायरस को तोड़ डाला है। उसे अपने पेट में समा लिया है। वायरस को खा लिया है। इसके बाद हमने रिपोर्ट तौयार की, जो फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी नामक मैगजीन में प्रकाशित हुई है। 

विएना यूनिवर्सिटी के माइक्रोबियल इकोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ग्रीबलर ने कहा कि वो इस बात से सहमत नहीं हो पा रहे हैं कि वायरस किसी सूक्ष्म जीव के पेट में कैसे गया। क्योंकि वायरस हमला करता है, उसे खाना मुश्किल है। इस पर और अध्ययन करने की जरूरत है। अगर यह सूक्ष्म जीव सच में वायरस खाता है तो हमें खुश होने का मौका मिलेगा। 

साइंटिस्ट इस बात से खुश हैं कि उन्हें फूड चेन के एक नए अध्याय का पता चला है। प्रोटिस्ट्स (Protists) अपने न्यूक्लियस में DNA रखते हैं, जिसे यूकारियोट्स (Eukaryotes) कहते हैं।  क्रिश्चियन ग्रीबलर ने ये बात मानी है कि यूकारियोट्स (Eukaryotes) में जरूर वायरस के अंश मिले हैं। इससे थोड़ी उम्मीद तो जगती है कि यह प्रोटिस्ट्स वायरस खाते होंगे। 

जूलिया ब्राउन ने मैन की खाड़ी से 1700 प्रोटिस्ट्स (Protists) का अध्ययन किया। इन 1700 प्रोटिस्ट्स में 10 अलग-अलग समूहों के प्रोटिस्ट्स (Protists) शामिल थे। फिर इन सबके डीएनए की जांच की गई। पता चला कि मैन की खाड़ी में से निकाले गए 51 फीसदी प्रोटिस्ट्स (Protists) में और भूमध्यसागर से निकाले गए सूक्ष्मजीवों में से 35 फीसदी प्रोटिस्ट्स (Protists) बैक्टीरियोफेज के रूप वायरस को खाते हैं। 

बैक्टीरियोफेज वायरस का मतलब होता है वो वायरस जो बैक्टीरिया को इन्फेक्ट करते हैं। हालांकि जब वैज्ञानिकों ने चोआनोजोंस (Choanozans) और पिकोजोंस (Picozoans) की पूरी जांच की तो पता चला कि इनके 100 फीसदी सैंपल में वायरस के डीएनए सिक्वेंस मिले हैं। ये तथ्य इस बात को पुख्ता करते हैं कि प्रोटिस्ट्स वायरस को किसी न किसी प्रकार से खाते जरूर हैं। 

क्रिश्चियन ग्रीबलर ने कहा कि चोआनोजोंस (Choanozans) के बैक्टीरिया खाने की बात तो पहले से प्रमाणित थी। लेकिन, पिकोजोंस (Picozoans) के खाने-पीने को लेकर एक रहस्य बना हुआ था। जूलिया और उनकी टीम की स्टडी से हमें इस फूड चेन का एक किनारा मिला है। अभी इस पर अध्ययन करना जरूरी है। 

क्रिश्चियन ग्रीबलर ने कहा कि हो सकता है कि भविष्य में वायरसों से होने वाली बीमारियों को ठीक करने में इन सूक्ष्म जीवों की मदद लेनी पड़े। क्योंकि ये सूक्ष्मजीव पूरी धरती पर मौजूद हैं। इनकी आबादी कभी खत्म नहीं होने वाली। धरती के पूरे बायोमास का 50 फीसदी हिस्सा इन्हीं का है। इसलिए अगर गहन अध्ययन किया जाए तो इन सूक्ष्म जीवों से हमें कई बीमारियों से बचाने वाली दवाएं मिल सकती हैं। 

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