MLA Fund Scam / MLA फंड घोटाले में विधायकों की बढ़ेंगी मुश्किलें: फिर होगी पूछताछ, BAP विधायक भी बुलाए गए

राजस्थान में विधायक निधि में भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय विधायकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विधानसभा की सदाचार कमेटी ने तीन विधायकों और बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल को 07 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। विधायकों पर विधायक निधि में कमीशनखोरी और सवाल पूछने के बदले घूस लेने का आरोप है।

राजस्थान में विधायक निधि के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विधानसभा की सदाचार कमेटी ने इस मामले में तीन प्रमुख विधायकों को फिर। से पूछताछ के लिए तलब किया है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इन विधायकों में खींवसर से भाजपा विधायक रेवंत राम डांगा, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना रूपबास से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत शामिल हैं। इन तीनों पर विधायक निधि के पैसे की मंजूरी के लिए कमीशन लेने का आरोप है। इसके अतिरिक्त, बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल को भी कमेटी ने बुलाया है, जिन पर विधानसभा में सवाल पूछने के बदले घूस लेने का गंभीर आरोप है।

सदाचार कमेटी की बैठक और नए नोटिस

विधानसभा में मंगलवार को सदाचार कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता सभापति कैलाश वर्मा ने की। इस बैठक के बाद, कमेटी ने एक कड़ा रुख अपनाते हुए उपरोक्त सभी विधायकों को 07 जनवरी को पूरी तैयारी के साथ कमेटी के सामने पेश होने के लिए नोटिस भेजा है। यह कदम तब उठाया गया है जब पूर्व में हुई पूछताछ के दौरान विधायकों ने आरोपों से इनकार करते हुए दस्तावेज जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी और कमेटी अब इस मामले की तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है।

स्टिंग ऑपरेशन से हुआ था खुलासा

विधायक निधि में कमीशनखोरी का यह पूरा मामला बीते दिनों एक समाचार पत्र द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो के जरिए सामने आया था। इस स्टिंग वीडियो में स्पष्ट रूप से खींवसर से भाजपा विधायक रेवंत राम डांगा, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना रूपबास से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत पर विधायक निधि का पैसा मंजूरी करने के लिए कथित तौर पर कमीशन खाने का आरोप लगा था। इस खुलासे ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया था और पारदर्शिता तथा जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे।

विधायकों का आरोपों से इनकार और पार्टियों की कार्रवाई

हालांकि, स्टिंग ऑपरेशन के सामने आने के बाद तीनों ही विधायकों। ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से फर्जी बताया था। उन्होंने किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या कमीशनखोरी में शामिल होने से साफ इनकार किया था और इसके बावजूद, मामले की गंभीरता को देखते हुए, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। विधायकों ने इन नोटिसों का जवाब भी दिया था, जिसमें उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया था और यह दर्शाता है कि पार्टियों ने भी इन आरोपों को गंभीरता से लिया था और अपने स्तर पर जांच शुरू की थी।

पूर्व में हुई पूछताछ और समय की मांग

मामले की जांच कर रही विधानसभा की सदाचार कमेटी ने बीते शुक्रवार, 19 दिसंबर को तीनों विधायकों से आरोपों को लेकर पहली बार पूछताछ की थी। इस पूछताछ के दौरान, विधायकों ने अपने बचाव में दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी और भाजपा विधायक रेवंत राम डांगा ने 15 दिन का समय मांगा था, जबकि निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत ने 10 दिन और कांग्रेस विधायक अनीता जाटव ने 7 दिन का समय लिया था। कमेटी ने उस समय उनकी मांग को स्वीकार कर लिया था, ताकि वे अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें।

बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल पर भी आरोप

विधायक निधि में कमीशनखोरी के आरोपों के अलावा, बीएपी विधायक जयकृष्ण पटेल पर भी गंभीर आरोप लगे हैं और उन्हें विधानसभा में सवाल पूछने के बदले घूस लेने का आरोपी बताया गया है। सदाचार कमेटी ने जयकृष्ण पटेल को भी पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कमेटी केवल विधायक निधि घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि विधानसभा के भीतर अन्य प्रकार के कदाचार की भी जांच कर रही है। यह मामला विधायकों की नैतिक और कानूनी जवाबदेही पर एक व्यापक बहस छेड़ सकता है।

आगामी पूछताछ का महत्व

07 जनवरी को होने वाली यह पूछताछ विधायकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। कमेटी ने उन्हें 'पूरी तैयारी के साथ' आने के लिए कहा है, जिसका अर्थ है कि उन्हें अपने बचाव में ठोस सबूत और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने होंगे। यदि विधायक अपने ऊपर लगे आरोपों को संतोषजनक ढंग से खारिज नहीं कर पाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उनकी विधानसभा सदस्यता पर भी संकट आ सकता है। यह मामला राजस्थान की राजनीति में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त। शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

नैतिकता और जवाबदेही का सवाल

यह पूरा प्रकरण जनप्रतिनिधियों की नैतिकता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विधायक निधि का उद्देश्य जनता के कल्याण के लिए विकास कार्यों को गति देना है, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए इसका दुरुपयोग करना। सदाचार कमेटी की यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि सार्वजनिक धन का उपयोग ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हो। आगामी पूछताछ और उसके परिणाम राज्य की राजनीतिक शुचिता के लिए एक मिसाल कायम करेंगे।