- भारत,
- 21-Jun-2025 08:40 AM IST
Income Tax Department: इनकम टैक्स विभाग की सख्त निगरानी और टेक्नोलॉजी-आधारित टूल्स के इस्तेमाल ने टैक्स प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। फाइनेंस मिनिस्ट्री के ताजा आंकड़ों के अनुसार असेसमेंट ईयर 2024-25 में विदेशी आय और संपत्तियों की डिक्लेरेशन में 45.17% की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष 2.31 लाख टैक्सपेयर्स ने अपनी विदेशी संपत्तियों और इनकम का विवरण प्रस्तुत किया, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.59 लाख था।
इस दौरान 24,678 टैक्सपेयर्स ने अपने आयकर रिटर्न (ITR) को संशोधित किया और 5,483 लोगों ने लेट रिटर्न फाइल किया। इन प्रकटन में कुल 29,208 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्तियों और 1,089.88 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विदेशी इनकम का खुलासा किया गया — जो सरकार की टैक्स पारदर्शिता नीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
डेटा मैचिंग और वैश्विक सहयोग बना मास्टरस्ट्रोक
इन नतीजों के पीछे एक अहम ट्रिक रही — ऑटोमैटिक डेटा मैचिंग और इंटरनेशनल को-ऑपरेशन फ्रेमवर्क का इस्तेमाल। भारत ने FATCA (Foreign Account Tax Compliance Act) और CRS (Common Reporting Standard) के तहत 108 से अधिक देशों से फाइनेंशियल जानकारी जुटाई। इसी के आधार पर 19,501 टैक्सपेयर्स को एसएमएस और ईमेल द्वारा नोटिफाई किया गया कि वे अपनी जानकारियों को अपडेट करें।
इसके अतिरिक्त, विभाग ने 2024 में 30 अवेयरनेस सेशन आयोजित किए, जिनमें 8,500 से ज्यादा लोगों को विदेशी संपत्ति की घोषणा के नियमों और दायित्वों के बारे में जानकारी दी गई।
नॉन-कंप्लायंस पर कड़ी चेतावनी
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि टैक्सपेयर्स को अब किसी भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है। यदि कोई व्यक्ति विदेशी संपत्ति या आय की जानकारी छिपाता है, तो ब्लैक मनी (अनडिस्क्लोज्ड फॉरेन इनकम एंड एसेट्स) एक्ट, 2015 के तहत उस पर ₹10 लाख तक का जुर्माना या जेल तक हो सकती है। हालांकि, विभाग ने ‘वॉलंटरी डिस्क्लोजर’ का विकल्प भी खुला रखा है जिससे जांच से पहले संपत्तियों का स्वैच्छिक खुलासा कर टैक्सपेयर्स राहत पा सकते हैं।
डेटा-ड्रिवन इनफोर्समेंट और डिजिटल निगरानी
इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत अब सोशल मीडिया गतिविधियों, ईमेल कम्युनिकेशन और बैंक अकाउंट ट्रांजैक्शंस की निगरानी को भी और मजबूत किया जा रहा है। हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह मॉनिटरिंग प्राइवेसी और कानूनी दायरे में रहकर की जाएगी।
बदलती टैक्स संस्कृति की बुनियाद
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा-बेस्ड अप्रोच और इंटरनेशनल ट्रैकिंग रणनीति न केवल टैक्स चोरी पर लगाम लगा रही है, बल्कि भारत को ग्लोबल टैक्स ट्रांसपेरेंसी मानकों के करीब भी ले जा रही है। टैक्सपेयर्स में बढ़ती जागरूकता और सरकार की स्पष्ट नीति ने मिलकर एक ऐसी टैक्स संस्कृति की नींव रखी है, जहां जिम्मेदारी और पारदर्शिता दोनों को बढ़ावा मिल रहा है।