Nepal Protest / सोशल मीडिया पाबंदी पर नेपाल में मचा बवाल, संसद में घुसे प्रदर्शनकारी; 18 की मौत

नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। Gen-Z आंदोलन के तहत हजारों युवा सड़कों पर उतरे। हिंसा में कई मौतें और झड़पें हुईं। सेना और पुलिस तैनात है। पोखरा में कर्फ्यू, जबकि बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाई गई।

Nepal Protest: नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर 8 सितंबर, 2025 को भारी उथल-पुथल देखने को मिली। हजारों की संख्या में Gen-Z (1995-2010 के बीच जन्मे युवा) प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए, जो सरकार द्वारा लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंध और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए।

प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर मंडला से संसद भवन की ओर बढ़े, जहां उन्होंने बैरिकेड तोड़कर संसद परिसर में प्रवेश कर लिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार, आंसू गैस, और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जबकि कुछ स्थानों पर प्रत्यक्ष गोलीबारी की भी खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने "भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं" और "अभिव्यक्ति की आजादी" जैसे नारे लगाए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी मांगorren

सोशल मीडिया बैन: आक्रोश का कारण

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर, 2025 को फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, और ट्विटर सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इन कंपनियों ने नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण नहीं कराया था। सरकार का कहना है कि यह प्रतिबंध कर चोरी, साइबर सुरक्षा, और सामग्री नियंत्रण जैसे मुद्दों को संबोधित करने के लिए था। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, जिसने उनकी नाराजगी को और भड़का दिया।

भ्रष्टाचार और असमानता: गहरी नाराजगी

प्रदर्शन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं थे। Gen-Z का गुस्सा देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता, और विशेषाधिकार प्राप्त "नेपो किड्स" (नेपोटिज्म से लाभान्वित लोग) के खिलाफ भी था। एक प्रदर्शनकारी, युजान राजभंडारी ने कहा, "हम भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जो नेपाल में संस्थागत हो चुका है।" युवाओं का मानना है कि सरकार की नीतियां आम नागरिकों की अनदेखी करती हैं, जबकि राजनेताओं के बच्चे ऐशोआराम का जीवन जीते हैं।

देशव्यापी आंदोलन और कर्फ्यू

प्रदर्शन काठमांडू से शुरू होकर पोखरा, बिराटनगर, बुटवल, और इटहारी जैसे शहरों में फैल गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू के न्यू बनेश्वर, शीतल निवास, और बलुवाटार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया। पोखरा, नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर, भी कर्फ्यू के दायरे में आ गया। भारत-नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने भी चौकसी बढ़ा दी है।

सरकार का रुख और जवाब

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोशल मीडिया प्रतिबंध को राष्ट्रीय संप्रभुता और कानून के पालन का मुद्दा बताया। उन्होंने कहा, "राष्ट्र की स्वतंत्रता कुछ लोगों की नौकरियों के नुकसान से बड़ी है।" हालांकि, सरकार के प्रवक्ता और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने संकेत दिया कि कैबिनेट बैठक में प्रतिबंध पर पुनर्विचार हो सकता है। इस बीच, गृह मंत्री रमेश लेखक ने प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया।

प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने, भ्रष्टाचार पर रोक, और सरकार में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह और कई मशहूर हस्तियों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। प्रदर्शनकारियों ने वीपीएन और टिकटॉक जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके अपनी आवाज उठाई है।