देश / यह किसानों का अपमान हैः किसानों की मौत के रिकॉर्ड को लेकर सरकार के जवाब पर खड़गे

Zoom News : Dec 02, 2021, 08:23 AM
Winter Session of Parliament: संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. केंद्र सरकार (Central Govt) ने मंगलवार को सदन में कहा था कि तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को रद्द करने की मांग को लेकर सालभर से चल रहे आंदोलन (Farmer’s Agitation) के दौरान कितने किसानों की मौत (Farmer’s Death) हुई है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है. इसलिए किसी भी तरह की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रश्न ही नहीं उठता. इस पर बुधवार को संसद में जनकर हंगामा हुआ. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कहा, ‘तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान 700 किसानों ने अपनी जान गंवाई. केंद्र सरकार यह कैसे कह सकती है कि उसके पास इन मौतों का कोई आंकड़ा नहीं है. यह तो किसानों का अपमान है.’ मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, अगर सरकार के पास 700 किसानों की मौत (700 Farmer’s Death) का आंकड़ा नहीं है तो फिर उसने कोरोना पेंडेमिक (Coronavirus) के दौरान लाखों मौतों का आंकड़ा कैसे जुटाया. उन्होंने कहा, कोविड-19 (Covid19) की वजह से पिछले 2 साल में 50 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4 लाख लोगों ने ही इस वायरस के कारण जान गंवाई है.

कांग्रेस के तमाम नेता सरकार और कृषि मंत्री पर हमलावर हैं. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी (Manish Tewari) किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को 5 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने किसान नेताओं की एमएसपी (MSP) सहित अन्य मांगों का भी समर्थन किया. संसद के शून्य काल में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, किसान आंदोलन ऐतिहासिक है, जिसके कारण काले कानून वापस लिए गए हैं. उन्होंने कहा, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन में पिछले 1 साल में 700 किसान शहीद हुए हैं.

दूसरी ओर दोआब किसान कमेटी के स्टेट चीफ जंगवीर सिंह चौहान ने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि आईबी और दिल्ली पुलिस के पास हर तरह का डाटा उपलब्ध है. सरकार किसानों की मौत का डाटा नहीं होने की झूठी बात कह रही है. उन्होंने कहा, इसके बावजूद अगर सरकार मुआवजा देती है तो हम किसानों की मौत का पूरा आंकड़ा देने को तैयार हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को संबोधित करते हुए ट्वीट किया, तोमर साहब, नाकामी छुपाने के लिए इतना बड़ा झूठ! सच्चाई – 2020 में 10677 किसानों ने आत्महत्या की. 4090 किसान वो जिनके खुद के खेत हैं, 639 किसान जो ठेके पर जमीन ले खेती करते थे, 5097 वो किसान जो दूसरों के खेतों में काम करते थे. पिछले 7 सालों में 78303 किसान आत्महत्या कर चुके.

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को लोकसभा में सांसदों के एक समूह द्वारा ‘कृषि कानूनों के आंदोलन’ पर उठाए गए सवालों के जवाब में बताया कि उनके पास किसानों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है. अन्य सवालों के अलावा, सांसद आंदोलन के संबंध में किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या जानना चाहते थे. इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में और उसके आसपास चल रहे आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की संख्या पर डाटा और क्या सरकार का उक्त आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का विचार है, इसकी जानकारी भी मांगी गई थी.

मंत्रालय का इस पर स्पष्ट उत्तर था कि इस मामले में उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रश्न ही नहीं उठता. इस प्रश्न के पहले भाग में, जवाब देते हुए विस्तृत रूप से बताया गया था कि कैसे सरकार ने स्थिति को काबू में करने के लिए किसान नेताओं के साथ 11 दौर की चर्चा की है.

तीन विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने की मुख्य मांग के अलावा – जिन्हें अब आधिकारिक तौर पर संसद द्वारा निरस्त कर दिया गया है – एक साल से अधिक समय से चल रहे आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और मृतक किसानों को मुआवजे का भुगतान करने की भी मांग की गई है. किसान आंदोलन के दौरान मृतक किसानों के परिजनों के लिए पुनर्वास की मांग भी की गई है. बता दें कि किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान मृतक किसानों को शहीद किसान कहा है.

आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि पिछले साल से आंदोलन के दौरान लगभग 700 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं.

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