देश / किसान और सरकार दोनों का बड़ा सहारा बनकर उभरी यह स्कीम, 70 हजार करोड़ से अधिक की मदद मिली

News18 : Apr 22, 2020, 10:01 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM kisan samman nidhi scheme) लॉकडाउन के दौरान किसानों और सरकार का बड़ा सहारा बनकर उभरी है। वरना कोविड-19 में सरकार को किसानों के लिए कुछ न कुछ अलग से करना पड़ता। अभी पीएम-किसान योजना के लिए पहले से तय बजट में से ही पैसा भेजकर राहत दी जा रही है। लॉकडाउन लगने के बाद पीएम-किसान योजना के तहत देश के 8।89 करोड़ किसानों (Farmers) को 17,793 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। हर किसान को 2000-2000 रुपये। फिलहाल, इस स्कीम के तहत तीन किश्तों में सालाना 6000 रुपये दिए जाने का प्रावधान है। जिसे बढ़ाने की मांग अब कई मोर्चों से उठने लगी है।

सबसे अधिक लाभान्वित राज्य

इस स्कीम से सबसे अधिक लाभान्वित राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं।  पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने यहां इसे अब भी लागू नहीं किया है।

जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार ममता सरकार से किसानों को उनका हक दिलाने के लिए डाटा वेरीफाई करके केंद्र को भेजने की अपील कर चुके हैं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी भी पश्चिम बंगाल सरकार से कह चुके हैं। दूसरी ओर, दिल्ली सरकार ने इस स्कीम को विधानसभा चुनाव से ऐन पहले लागू किया।

आजादी के बाद पहली बार सीधी मदद पहुंची

दरअसल, आजादी के बाद पहली बार किसानों को डायरेक्ट उनके बैंक अकाउंट में मदद दी जा रही है। जबकि पहले योजनाओं के लिए पैसे जारी तो होते थे लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों का दीमक उस पैसे को फाइलों में ही चट कर जाता था। उसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता था।

कैसे हुई शुरुआत

केंद्र सरकार कृषि के लिए जो बजट जारी करती थी उसका लाभ किसानों को नहीं पहुंच पाता था। इसलिए मोदी सरकार (Modi Government) ने सीधे अकाउंट में पैसे भेजने का फैसला लिया। इसकी अनौपचारिक शुरुआत तो 2019 के चुनाव को देखते हुए सरकार ने दिसंबर 2018 में ही कर दी थी। लेकिन औपचारिक तौर पर 24 फरवरी 2019 को यूपी के गोरखपुर से इसकी घोषणा की गई।

इस योजना के तहत दिसंबर 2018 से अब तक करीब 70 हजार करोड़ रुपये किसानों के बैंक अकाउंट (Bank Account) में सीधे भेजे जा चुके हैं। जिसका 9 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है।

किसी भी पार्टी ने इस स्कीम का विरोध नहीं किया। क्योंकि इसका लाभ किसानों को सीधे मिल रहा था। इसमें कोई बिचौलिया नहीं था। हालांकि नौकरशाही को यह स्कीम पसंद नहीं आई थी क्योंकि इसमें पैसा खाने का कोई जुगाड़ नहीं था।

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