दिल्ली / प्रवेश के लिए तीन बड़े दरवाजे, पांच हजार मजदूरों ने बनाया, जाने मशहूर जामा मस्जिद का पूरा इतिहास

AMAR UJALA : Dec 28, 2019, 11:06 AM
जामा मस्जिद | दिल्ली में नागरिकता कानून 2019 (CAA - Citizenship Act 2019 ) को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019 को जामा मस्जिद तक पहुंच गया। भीम आर्मी की ओर से जामा मस्जिद गेट नंबर 1 से लेकर जंतर-मंतर तक मार्च निकाला गया। इस मार्च में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए। हाथों में तिरंगा, सीएए विरोध के नारे लिखे पोस्टर्स लेकर मार्च निकाला गया। इस बीच जामा मस्जिद इलाके में स्थानीय लोगों ने दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी व मौजूद अन्य अधिकारियों को गुलाब के फूल देकर शांति और सौहार्द बनाए रखने का संदेश भी दिया। इन सब के बीच दिल्ली की मशहूर जामा मस्जिद एक बार फिर से चर्चा में आ गई है।

तो फिर जामा मस्जिद के बारे में जानना भी जरूरी हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि जामा मस्जिद का असली नाम कुछ और है? हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या है देश के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक और मशहूर दिल्ली के जामा मस्जिद का इतिहास? आगे की स्लाइड पढ़ें।

कब और किसने बनवाया

  • दिल्ली के जामा मस्जिद को मुगल सम्राट शाह जहां ने बनवाया था।
  • इस मस्जिद के निर्माण का काम वर्ष 1650 में शुरू हुआ था और यह 1656 में बनकर तैयार हुई थी।
  • इस मस्जिद के बरामदे में करीब 25 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।
  • इस मस्जिद का उद्घाटन बुखारा (वर्तमान के उज्बेकिस्तान) के इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया था।
  • इतिहासकार बताते हैं कि जामा मस्जिद को पांच हजार से ज्याद मजदूरों ने मिलकर बनाया था।
  • इसे बनवाने में उस समय करीब 10 लाख रुपये का खर्च आया था।
  • इसमें प्रवेश के लिए तीन बड़े दरवाजे हैं। मस्जिद में दो मीनारें हैं जिनकी ऊंचाई 40 मीटर (करीब 131.2 फीट) है।
  • पाकिस्तान के लाहौर में जो बादशाही मस्जिद है, वह भी दिल्ली के जामा मस्जिद से मिलती जुलती है।
  • बादशाही मस्जिद के वास्तुशिल्प का काम (Architectural Plan) शाह जहां के बेटे औरंगजेब ने बनाया था।
  • दिल्ली की जामा मस्जिद का निर्माण कार्य सदाउल्लाह खान की देखरेख में किया गया था, जो उस वक्त शाह जहां शासन में वजीर (प्रधानमंत्री) थे।
  • 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जीत हासिल करने के बाद अंग्रेजों ने जामा मस्जिद पर कब्जा कर लिया था और वहां अपने सैनिकों का पहरा लगा दिया था।
  • इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेज शहर को सजा देने के लिए मस्जिद तोड़ना चाहते थे। लेकिन देशवासियों के विरोध के सामने अंग्रेजों को झुकना पड़ा था।
  • 1948 में हैदराबाद के आखिरी निजाम असफ जाह-7 से मस्जिद के एक चौथाई हिस्से की मरम्मत के लिए 75 हजार रुपये मांगे गए थे। लेकिन निजाम ने तीन लाख रुपये आवंटित किए और कहा कि मस्जिद का बाकी का हिस्सा भी पुराना नहीं दिखना चाहिए।
  • 14 अप्रैल 2006.. जब शुक्रवार को जुमे की नमाज के ठीक बाद एक के बाद एक दो धमाके हुए थे। हालांकि धमाके कैसे हुए, इसका पता नहीं चल पाया था। इसमें नौ लोग घायल हुए थे। फिर नवंबर 2011 में दिल्ली पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था जो इंडियन मुजाहिद्दीन से ताल्लुक रखते थे, जिनका धमाके में हाथ बताया गया था।
  • 15 सितंबर 2010.. एक मोटरसाइकिल पर आए बंदूकधारियों ने मस्जिद के गेट नंबर- 3 पर खड़ी बस पर फायरिंग शुरू कर दी थी। इसमें दो ताइवानी पर्यटक घायल हुए थे।
  • दिल्ली समेत दुनियाभर में जामा मस्जिद के नाम से मशहूर है। लेकिन इसका वास्तविक नाम है - मस्जिद-ए-जहां नुमा (Masjid e Jahan Numa)।
  • इसका अर्थ होता है - मस्जिद जो पूरी दुनिया का नजरिया दे।

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