- भारत,
- 22-May-2025 08:41 AM IST
Donald Trump News: अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के बीच हालिया शिखर वार्ता उस वक्त कूटनीतिक ड्रामे में तब्दील हो गई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के बीच ओवल ऑफिस में तीखी बहस हुई। मुद्दा था – दक्षिण अफ्रीका में गोरे किसानों के खिलाफ कथित अत्याचार और हत्याएं। इस मुलाकात ने केवल दोनों राष्ट्राध्यक्षों के दृष्टिकोण में विरोध को उजागर किया, बल्कि अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों में मौजूद खटास को भी सार्वजनिक कर दिया।
ट्रंप के तीखे आरोप और नाटकीय प्रस्तुतिकरण
बैठक की शुरुआत में ही ट्रंप ने अपने विशिष्ट अंदाज़ में माहौल गरमा दिया। उन्होंने ओवल ऑफिस की लाइटें मंद करवाईं और एक बड़ा टीवी स्क्रीन लगवाकर वह वीडियो चलवाया जिसमें दक्षिण अफ्रीका के विपक्षी नेता जूलियस मालेमा एक विवादास्पद गाना गा रहे थे – “किल द बोअर” (बोअर यानी गोरे किसान को मारो)। ट्रंप ने इस गाने को "श्वेत किसानों के खिलाफ हिंसक मानसिकता" का प्रमाण बताया।
उन्होंने आगे कई न्यूज रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया क्लिप्स दिखाए, जिनमें सड़क किनारे लगे सफेद क्रॉस को मृत गोरे किसानों की कब्र का प्रतीक बताया गया। ट्रंप का दावा था कि दक्षिण अफ्रीकी सरकार श्वेत विरोधी नीतियों के तहत जमीन छीन रही है और किसान मारे जा रहे हैं। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को “नरसंहार” कहा और दावा किया कि लोग अपनी जान बचाकर देश छोड़ रहे हैं।
रामाफोसा का संयमित जवाब
राष्ट्रपति रामाफोसा ट्रंप के इन बयानों से स्पष्ट रूप से असहज दिखे, लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में संतुलन बनाए रखा। उन्होंने ट्रंप के सभी आरोपों का कड़ा खंडन करते हुए कहा, “यह हमारी सरकार की नीति नहीं है, और हम इन आरोपों का पूरी तरह खंडन करते हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश में अपराध की समस्या रंगभेद नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानता से उपजी है – और इसका शिकार सभी नस्लों के किसान हो रहे हैं।
रामाफोसा ने बैठक को तनावमुक्त करने की भी कोशिश की। उन्होंने ट्रंप को दक्षिण अफ्रीका के गोल्फ कोर्स पर आधारित 14 किलोग्राम वज़न की एक भव्य पुस्तक भेंट की और कहा कि वे अपने गोल्फ कौशल को सुधारने में लगे हैं।
गहराता अविश्वास और रणनीतिक असहमति
ट्रंप प्रशासन पहले ही दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक चुका है। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि दक्षिण अफ्रीका ईरान और हमास जैसे संगठनों का समर्थन कर रहा है और इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुखर हो रहा है। विशेष रूप से, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गाजा संघर्ष को लेकर उठाए गए दक्षिण अफ्रीका के कदम ने अमेरिका को और चिढ़ाया है।
एलन मस्क की मौजूदगी भी इस मुलाकात में दिलचस्प रही। मस्क ने दावा किया कि उनकी कंपनी स्टारलिंक को लाइसेंस इसलिए नहीं मिला क्योंकि वे "ब्लैक" नहीं हैं। जबकि दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने कहा कि स्टारलिंक ने कभी आधिकारिक आवेदन ही नहीं किया।
एक और ‘जेलेंस्की मोमेंट’?
रामाफोसा ने शायद राष्ट्रपति जेलेंस्की की फरवरी में हुई ‘अपमानजनक’ मीटिंग से सबक लिया था। वे इस बार ट्रंप को प्रभावित करने के लिए पूरी तैयारी से आए थे — डेलिगेशन में शामिल थे प्रसिद्ध गोल्फर एर्नी एल्स और अफ्रीकनर बिज़नेसमैन जोहान रूपर्ट। इसके बावजूद, ट्रंप ने जिस तरह से मुद्दा उठाया और उसे सार्वजनिक कर दिया, उसने दिखा दिया कि यह बैठक सिर्फ शिष्टाचार भर नहीं थी, बल्कि राजनीतिक मतभेदों की गूंज लिए हुए थी।
कूटनीति के पर्दे में शक्ति और पहचान की जंग
इस मुलाकात ने अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों में मौजूद फूट को सामने ला दिया है। जहां ट्रंप प्रशासन मानवाधिकार और नस्लीय उत्पीड़न के नाम पर कठोर रुख अपना रहा है, वहीं रामाफोसा सरकार इसे “झूठे आरोपों” और “भ्रमित जानकारी” का परिणाम बता रही है।
ट्रंप की शैली हमेशा से ही आक्रामक रही है, और यह बैठक भी उसका उदाहरण बनी। वहीं रामाफोसा की भूमिका एक संतुलित नेता की रही, जो अपने देश की छवि बचाने की कोशिश कर रहा था।
व्हाइट हाउस की यह मुलाकात किसी समाधान की बजाय विवादों की एक नई परत छोड़ गई है — जिससे साफ होता है कि अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका को अपने संबंध सुधारने के लिए अब गंभीर और निरपेक्ष संवाद की ज़रूरत है, न कि सार्वजनिक मंचों पर आरोप-प्रत्यारोप की।