Trump Gold Tariff / ट्रंप ने फोड़ा एक और बम, सोना अब 10,000 रुपए महंगा हो जाएगा

अमेरिका ने एक किलो और 100 औंस के गोल्ड बार्स पर शुल्क लगाना शुरू किया, जिससे स्विट्जरलैंड से सोने-चांदी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। नए टैरिफ से इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। भारत में भी सोने की कीमतों में तेज उछाल दर्ज किया गया।

Trump Gold Tariff: अमेरिकी सरकार ने हाल ही में एक किलो और 100 औंस के गोल्ड बार्स पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय से वैश्विक स्वर्ण व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर स्विट्जरलैंड से अमेरिका में सोने-चांदी के प्रवाह पर। यह लेख इस नए टैरिफ के प्रभावों, स्विट्जरलैंड पर इसके असर, और वैश्विक और भारतीय बाजारों में सोने की कीमतों पर इसके संभावित परिणामों का विश्लेषण करता है।

अमेरिकी सीमा शुल्क का नया नियम

31 जुलाई को अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (सीबीपी) ने एक किलो और 100 औंस के गोल्ड बार्स को कैटेगिरी कोड 7108.13.5500 के तहत वर्गीकृत किया, जिस पर अब शुल्क लागू होगा। पहले की उम्मीद थी कि ये बार्स कोड 7108.12.10 के तहत टैक्स-मुक्त रहेंगे, जो गोल्ड बार्स की एकमात्र ऐसी श्रेणी थी जिस पर कोई शुल्क नहीं लगता था। इस रीकैटेगराइजेशन ने स्वर्ण व्यापारियों और रिफाइनरियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

स्विट्जरलैंड पर प्रभाव

स्विट्जरलैंड, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण रिफाइनिंग हब और अमेरिका को सोने-चांदी का प्रमुख सप्लायर है, इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। जून तक के 12 महीनों में, स्विट्जरलैंड ने अमेरिका को 61.5 अरब डॉलर मूल्य का सोना निर्यात किया। नए 39% टैरिफ के तहत, इस मात्रा पर लगभग 24 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।

स्विस एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स ऑफ प्रेशियस मेटल्स के अध्यक्ष क्रिस्टोफ वाइल्ड ने इसे “स्विट्जरलैंड-अमेरिका स्वर्ण व्यापार के लिए एक और झटका” बताया। उन्होंने कहा कि पहले यह माना जाता था कि स्विस रिफाइनरियों द्वारा पुनः पिघलाए गए सोने को टैरिफ-मुक्त भेजा जा सकता है, लेकिन अब यह स्पष्टता खत्म हो गई है।

रिफाइनरियों की प्रतिक्रिया

सीबीपी के इस फैसले के बाद, कई स्विस रिफाइनरियों ने अमेरिका को अपने शिपमेंट कम कर दिए हैं या पूरी तरह बंद कर दिए हैं। कुछ ने यह समझने के लिए वकीलों से लंबी सलाह-मशविरा किया कि क्या कोई स्वर्ण उत्पाद अभी भी छूट के दायरे में आता है। इस अनिश्चितता ने व्यापार की गति को प्रभावित किया है, जो गोल्ड मार्केट में तेजी, निश्चितता और स्पष्ट नियमों पर निर्भर करता है।

एक किलो गोल्ड बार का महत्व

एक किलो का गोल्ड बार, जो आकार में लगभग एक स्मार्टफोन जितना होता है, न्यूयॉर्क के कॉमेक्स वायदा बाजार में सबसे अधिक कारोबार वाला बार है। यह स्विट्जरलैंड से अमेरिका के अधिकांश बुलियन निर्यात का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसके विपरीत, लंदन के बाजार में 400 ट्रॉय औंस के बड़े बार उपयोग होते हैं, जिन्हें स्विट्जरलैंड में छोटे आकार में ढाला जाता है। यह त्रिकोणीय व्यापार प्रणाली वैश्विक बुलियन बाजार को गतिशील बनाए रखती थी, लेकिन अब यह खतरे में है।

वैश्विक बाजार में सोने की कीमतें

इस टैरिफ की खबर के बाद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर में 12:15 बजे 46 डॉलर प्रति औंस की तेजी के साथ 3,499.80 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार हुआ, और सत्र के दौरान यह 3,534.10 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। हालांकि, गोल्ड स्पॉट की कीमतों में 3.23 डॉलर की गिरावट के साथ 3,393.15 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार देखा गया। यूरोप और ब्रिटेन में कीमतें स्थिर रहीं, जहां सोना क्रमशः 2,914.16 यूरो और 2,527.16 पाउंड प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था।

भारत में प्रभाव

भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। 509 रुपए प्रति 10 ग्राम की तेजी के साथ कीमतें 1,01,977 रुपए प्रति औंस पर पहुंच गईं, और सत्र के दौरान 1,02,250 रुपए के रिकॉर्ड स्तर को छुआ। 2024 में अब तक सोने की कीमतों में 25,502 रुपए का उछाल आया है, जो निवेशकों के लिए 33.22% रिटर्न दर्शाता है।

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, इस टैरिफ ने वैश्विक स्तर पर पैनिक पैदा किया है, जिसके चलते सोने की कीमतों में तेजी आई है। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले एक महीने में सोने की कीमतें 150 डॉलर प्रति औंस तक बढ़ सकती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 3,640-3,650 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं। भारत में, वायदा बाजार में 10,000 रुपए तक की तेजी देखने को मिल सकती है।

राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ

यह टैरिफ अमेरिका-स्विट्जरलैंड संबंधों में हाल की तनातनी का हिस्सा है। 2024 के अंत से सोने की कीमतों में 27% की वृद्धि हुई है, जो बढ़ती महंगाई, अमेरिकी ऋण स्थिरता पर सवालों और डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व में कमी जैसे कारकों से प्रेरित है। यह नया टैरिफ एक राजनीतिक मोड़ जोड़ता है, जो सोने के सीमा-पार प्रवाह और कीमतों को और बदल सकता है।