Russia-US Friendship: रियाद में हुई वार्ता में मॉस्को और वाशिंगटन ने अपने कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को पुनः मजबूत क रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद इन संबंधों में एक नई शुरुआत देखी जा रही है। इसे वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव और नए वर्ल्ड ऑर्डर के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इस बढ़ती करीबी को चीन चिंता की नजर से देख रहा है।
दूतावासों की बहाली: संबंध सुधार की दिशा में कदम
गुरुवार को अमेरिका और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता हुई, जिसमें वर्षों बाद राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने और दूतावासों के संचालन को पुनः सुचारू करने पर चर्चा की गई। यह वार्ता इस्तांबुल में हुई, जहां दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने राजनयिक मिशनों की बहाली के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसे रूस-अमेरिका संबंधों में सुधार के बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
रूसी राष्ट्रपति भवन 'क्रेमलिन' के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि इस वार्ता का आयोजन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई चर्चा तथा सऊदी अरब में हुई उच्चस्तरीय बैठकों के परिणामस्वरूप किया गया। हाल ही में रियाद में हुई अमेरिका-रूस वार्ता ने वाशिंगटन की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत दिया है। इससे यूक्रेन संकट के चलते रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव दिख रहा है।
रूस-अमेरिका वार्ता: चीन की चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप की रूस से बढ़ती नजदीकियां अमेरिका की नई रणनीति का हिस्सा हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य चीन की बढ़ती शक्ति को संतुलित करना है। अमेरिका की इस रणनीति के तहत रूस के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। चीन के लिए यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है क्योंकि रूस और अमेरिका का मेल उसकी वैश्विक रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
रियाद वार्ता: अमेरिका-रूस संबंधों में अहम मोड़रने तथा युद्ध समाप्ति की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। इस वार्ता में राजनयिक मिशनों की पुनः बहाली भी एक प्रमुख विषय रही। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच राजनयिक निष्कासन, दूतावासों के बंद होने और अन्य प्रतिबंधों के कारण संबंधों में तनाव बढ़ा था। अब इस तनाव को कम करने के लिए वार्ता की जा रही है।
अंकारा में अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि इस्तांबुल वार्ता में राजनयिक मिशनों के संचालन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई। रूस की उच्च सदन की अध्यक्ष वेलेंटिना मतविएन्को ने तुर्किये की यात्रा के दौरान कहा कि यह वार्ता दोनों देशों के राजनयिक मिशनों के पूर्ण संचालन को पुनः स्थापित करने में मदद करेगी।
क्या यह अमेरिका-रूस सहयोग का नया दौर है?
रूस-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियां वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती हैं। हालांकि, यूक्रेन संकट अभी भी एक जटिल मुद्दा बना हुआ है। इस वार्ता में किसी भी यूक्रेनी अधिकारी की मौजूदगी न होना यह दर्शाता है कि यह मुख्य रूप से अमेरिका-रूस संबंधों को पुनः स्थापित करने पर केंद्रित है।क्रेमलिन ने स्पष्ट किया है कि इस बैठक का उद्देश्य अमेरिका के साथ संबंधों को फिर से बहाल करना और वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है, जिससे अंततः शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो सके। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका-रूस के बीच यह नया समीकरण वैश्विक कूटनीति को किस दिशा में ले जाता है और क्या यह सहयोग दीर्घकालिक रहेगा।