Share Market Today / निवेशकों को किया ट्रंप के ऑर्डर ने कंगाल, बाजार के डूबे 5.63 लाख करोड़

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों के 5.63 लाख करोड़ रुपए डूब गए। सेंसेक्स 849 अंकों और निफ्टी 255 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुए। फार्मा, स्टील और रिलायंस जैसे दिग्गज शेयर सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।

Share Market Today: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक ताजा कार्यकारी आदेश ने भारतीय शेयर बाजार को झकझोर कर रख दिया है। इस आदेश के तहत भारत के निर्यात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है, जिससे निवेशकों के करीब 5.63 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए। सेंसेक्स और निफ्टी में बंद होने तक लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। देश की प्रमुख कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 2 प्रतिशत से अधिक की टूट देखी गई, जबकि फार्मा सेक्टर की दिग्गज सन फार्मा में 3.40 प्रतिशत और टाटा स्टील में करीब 3 प्रतिशत की कमी आई। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला रात 12 बजे के बाद प्रभावी हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा कि इस टैरिफ का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और भारत पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, फार्मा और स्टील जैसे क्षेत्रों पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क ने बाजार को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। आइए जानते हैं कि बाजार में क्या आंकड़े सामने आए और गिरावट के पीछे अन्य क्या वजहें हैं?

बाजार में भारी गिरावट का सिलसिला

मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार ने गहरी गिरावट का सामना किया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का मुख्य सूचकांक सेंसेक्स 849.37 अंकों यानी 1 प्रतिशत से ज्यादा की कमी के साथ 80,786.54 पर बंद हुआ। दिन के दौरान यह 949.93 अंकों तक गिरकर 80,685.98 के स्तर पर पहुंच गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में और गिरावट संभव है।

वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 255.70 अंकों की गिरावट के साथ 24,712.05 पर थमा। कारोबार के दौरान निफ्टी 278.15 अंक गिरकर 24,689.60 के निचले स्तर पर आया। एक समय बाजार में रिकवरी की झलक दिखी, लेकिन बंद होने से ठीक एक घंटे पहले फिर से तेज गिरावट शुरू हो गई।

प्रमुख शेयरों में भारी टूट

निफ्टी में तीसरे सबसे बड़े वजन वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 2 प्रतिशत से ज्यादा लुढ़के, जिसने पूरे बाजार को नीचे खींचा। फाइनेंशियल सेक्टर में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जहां एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे दिग्गजों में 0.8 से 1.5 प्रतिशत तक की कमी दर्ज हुई। फार्मास्यूटिकल्स शेयर 1.7 प्रतिशत नीचे आए, और सन फार्मा में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई। बैंक ऑफ अमेरिका ने इस शेयर को 'अंडरपरफॉर्म' रेटिंग दी, जिसमें प्रीमियम वैल्यूएशन के जोखिम का जिक्र किया गया।

उपभोक्ता वस्तुओं का सेक्टर अकेला ऐसा रहा जहां तेजी बनी रही, निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स 0.8 प्रतिशत ऊपर बंद हुआ। लेकिन कपड़ा, रसायन और झींगा उत्पादन जैसे क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा, जो अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वोडाफोन आइडिया के शेयर 10 प्रतिशत तक गिरे, क्योंकि सरकार से बकाया राहत की उम्मीदें धराशायी हो गईं। ब्रॉडर मार्केट भी दबाव में रहा, मिड-कैप में 1.6 प्रतिशत और स्मॉल-कैप में 2 प्रतिशत की गिरावट आई।

गिरावट के मुख्य कारक

अमेरिकी टैरिफ का असर

ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीद के बदले निर्यात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया। भारतीय निर्यातक अब वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा टैरिफ का सामना करेंगे। निवेशकों को देरी या समझौते की उम्मीद थी, लेकिन पुष्टि ने बाजार को हिला दिया। होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, नया शुल्क बुधवार सुबह 12:01 बजे ईडीटी (भारतीय समयानुसार रात 9:31 बजे) से लागू होगा।

मुनाफावसूली का दौर

पिछले सप्ताह जीएसटी सुधारों पर उत्साह से बाजार में तेजी आई थी, लेकिन अब निवेशक मुनाफा वसूल रहे हैं। मोदी सरकार दिवाली तक छोटी कारों पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 प्रतिशत और हेल्थ इंश्योरेंस पर 5 प्रतिशत या शून्य करने की योजना बना रही है। फाइनेंशियल शेयरों में गिरावट रही, निफ्टी बैंक 1.3 प्रतिशत और पीएसयू बैंक 2 प्रतिशत नीचे। आईटी सेक्टर, जो अमेरिका से ज्यादा कमाई करता है, 0.6 प्रतिशत गिरा।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

एफआईआई ने 25 अगस्त को 2,466 करोड़ रुपये निकाले, जबकि घरेलू निवेशकों ने 3,176.69 करोड़ की खरीदारी की। अगस्त में अब तक 20,976 करोड़ की शुद्ध बिकवाली हुई, और साल भर में 1.2 लाख करोड़ निकले। जेफरीज ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश दशक के निचले स्तर पर है।

रुपये की कमजोरी

रुपया 0.1 प्रतिशत गिरकर 87.68 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह लगातार पांचवां सत्र है। कमजोर रुपया आयात महंगा करता है, जिससे कॉरपोरेट लाभ प्रभावित होता है। ट्रंप के फेड गवर्नर लिसा कुक को हटाने के फैसले ने डॉलर को भी दबाव में डाला।

वैश्विक बाजारों का दबाव

ट्रंप-फेड टकराव से वैश्विक बाजार गिरे। निक्केई 1 प्रतिशत और STOXX 600 0.8 प्रतिशत नीचे। कच्चा तेल दो सप्ताह के उच्च स्तर पर रहा, ब्रेंट 68.29 डॉलर और WTI 64.23 डॉलर पर।

निवेशकों को 6 लाख करोड़ का झटका

बीएसई का मार्केट कैप 4,55,02,643.25 करोड़ से गिरकर 4,49,39,255.92 करोड़ पर आया, यानी 5,63,387.33 करोड़ का नुकसान। तीन दिनों में कुल 6,88,156.53 करोड़ स्वाहा हो चुके हैं। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अनिश्चितता बनी रहेगी, लेकिन घरेलू निवेश से कुछ राहत मिल सकती है।