US Tariff India: अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय फार्मा आयात पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले का भारतीय दवा उद्योग पर गहरा असर पड़ सकता है। इस कदम से भारतीय दवा निर्माताओं की उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिससे उनके उत्पाद वैश्विक बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। विशेष रूप से वे कंपनियां, जो कम मार्जिन पर काम करती हैं, इस दबाव के कारण एकीकरण या अपने कारोबार को बंद करने के लिए मजबूर हो सकती हैं। दूसरी ओर, ऑटो सेक्टर पर इसका अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका इस उद्योग के लिए प्रमुख निर्यात बाजार नहीं है।
भारत-अमेरिका व्यापार और टैरिफ नीति
भारत वर्तमान में अमेरिकी दवाओं पर लगभग 10% आयात शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई आयात शुल्क नहीं लगाता था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को "बहुत अधिक टैरिफ वाला देश" करार देते हुए कहा कि जो देश अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाते हैं, उन पर अमेरिका द्वारा जवाबी टैरिफ लगाए जाएंगे, जो दो अप्रैल से लागू होंगे। यह नीति भारतीय फार्मा उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
भारतीय दवाओं की अमेरिका में मजबूत उपस्थिति
अमेरिकी बाजार में भारतीय दवा कंपनियों की मजबूत पकड़ है। 2022 में अमेरिका में चिकित्सकों द्वारा लिखे गए 40% पर्चों के लिए भारतीय कंपनियों की दवाएं सप्लाई की गईं। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारतीय दवा कंपनियों की वजह से अमेरिकी हेल्थकेयर प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत हुई थी। 2013 से 2022 तक यह बचत कुल 1,300 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी, और अगले पांच वर्षों में समान बचत की उम्मीद है। यह बताता है कि भारतीय फार्मा उद्योग अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम का एक महत्वपूर्ण घटक है।
भारतीय निर्यात और अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
भारतीय दवा उद्योग का कुल निर्यात अमेरिका पर अत्यधिक निर्भर है, जिसमें लगभग एक-तिहाई निर्यात अकेले अमेरिकी बाजार में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए टैरिफ से अमेरिका की घरेलू हेल्थकेयर लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक भुगतान करना पड़ सकता है और दवाओं तक पहुंच प्रभावित हो सकती है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर सीमित प्रभाव
भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि का प्रभाव न्यूनतम रहने की उम्मीद है। इंडसलॉ के साझेदार शशि मैथ्यूज के अनुसार, भारतीय ऑटो सेक्टर का अमेरिकी बाजार में सीमित दखल है। हालांकि, वाहन उपकरण बाजार पर कुछ प्रभाव देखने को मिल सकता है, लेकिन यह संपूर्ण उद्योग को प्रभावित करने वाला नहीं होगा। मैथ्यूज के अनुसार, भारत सरकार की ओर से टैरिफ को शून्य स्तर तक कम करने की संभावना कम है।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा भारतीय फार्मा उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का सीधा असर भारतीय दवा कंपनियों पर पड़ेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी और कई कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ऑटोमोबाइल सेक्टर को इस नीति से अपेक्षाकृत कम नुकसान होगा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में यह बदलाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं पर प्रभाव डालेगा, जिससे हेल्थकेयर और दवा उद्योग को नए रणनीतिक फैसले लेने की आवश्यकता पड़ेगी।