Trump Tariff Cuts / टैरिफ प्लान में ट्रंप की विफलता, भारतीय चाय और मसाला कारोबारियों को मिलेगा बड़ा फायदा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 200 से अधिक कृषि और खाद्य उत्पादों पर टैरिफ में कटौती की घोषणा की है, जिससे भारतीय मसाला, चाय और प्रोसेस्ड फूड निर्यातकों को काफी फायदा होने की उम्मीद है। यह नीतिगत बदलाव अमेरिका में मंदी के बढ़ते डर और बढ़ती कीमतों को लेकर सार्वजनिक असंतोष के बीच आया है, जिससे ट्रंप के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" एजेंडे पर असर पड़ा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 200 से अधिक कृषि और खाद्य उत्पादों पर आयात शुल्क में भारी कटौती की घोषणा की है। इस फैसले से भारतीय मसाला, चाय और प्रोसेस्ड फूड के निर्यातकों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका में मंदी का खतरा मंडरा रहा है और बढ़ती कीमतों को लेकर जनता में असंतोष बढ़ रहा है, जिससे ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' के सपने पर असर पड़ा है।

ट्रंप की नीति में बदलाव और आर्थिक दबाव

सत्ता में आने के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर। में अपनी व्यापार नीतियों को लेकर एक मजबूत और अक्सर टकराव वाला रुख अपनाया है। उनका मुख्य उद्देश्य 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' के तहत अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों को बढ़ावा देना था, जिसके लिए उन्होंने कई आयातित उत्पादों पर टैरिफ लगाए। हालांकि, देश पर मंदी के बढ़ते संकट और अमेरिकी नागरिकों के बीच बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता ने उनके इस एजेंडे को धूमिल कर दिया है। हाल ही में हुए उपचुनावों में रिपब्लिकन पार्टी को मिली बड़ी हार ने भी ट्रंप पर दबाव बढ़ा दिया है, क्योंकि डेमोक्रेट्स ने महंगाई और खर्च जैसे मुद्दों पर जोरदार प्रचार किया था। इन परिस्थितियों ने ट्रंप को अपनी व्यापार नीतियों पर पुनर्विचार करने और कृषि उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ में भारी कटौती का ऐलान करने के लिए मजबूर किया है। यह फैसला अमेरिका में बढ़ती कीमतों और व्यापार संबंधी रुकावटों को लेकर लोगों की बढ़ती चिंता के बीच लिया गया है।

लाभान्वित होने वाले प्रमुख भारतीय उत्पाद

टैरिफ में कटौती की नई सूची में कई प्रमुख भारतीय कृषि उत्पाद शामिल हैं, जिनके अब अमेरिकी बाजार में ज्यादा बिकने के चांसेज हैं। इनमें काली मिर्च, लौंग, जीरा, इलायची, हल्दी और अदरक जैसे मसाले शामिल हैं, जो भारतीय व्यंजनों का अभिन्न अंग हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी पसंद किए जाते हैं। इसके अलावा, चाय की कई किस्में, आम से बने उत्पाद और। काजू जैसे मेवे भी इस छूट के दायरे में आए हैं। भारत ने 2024 में अमेरिका को 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा के मसाले भेजे थे, जो इस क्षेत्र में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। इसी अवधि में, चाय और कॉफी का निर्यात लगभग 8 और 3 करोड़ डॉलर का था। अमेरिका ने दुनियाभर से 84. 3 करोड़ डॉलर के काजू खरीदे, जिनमें से लगभग पांचवां हिस्सा भारत से गया, जो भारतीय काजू की गुणवत्ता और मांग को उजागर करता है। इन उत्पादों पर टैरिफ में कमी से भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी।

भारत के लिए आर्थिक लाभ का आकलन

दिल्ली के अधिकारियों के अनुसार, इस टैरिफ कटौती से भारत को लगभग। 1 अरब डॉलर के योग्य कृषि निर्यात पर फायदा होने की उम्मीद है। विशेष रूप से, लगभग 50 तरह के प्रोसेस्ड फूड, जिनका निर्यात पिछले साल लगभग 491 मिलियन डॉलर का था, को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। इनमें कॉफी और चाय के अर्क, कोको से बने सामान, फलों के रस, आम से बनी चीजें और पौधों से बनने वाले मोम शामिल हैं। 359 मिलियन डॉलर के मसाले भी बड़े लाभार्थी होंगे, क्योंकि इन पर लगने वाले शुल्क में कमी से उनकी मांग और बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त, नारियल, अमरूद, आम, काजू, केला, सुपारी और अनानास जैसे करीब 48 तरह के फल और मेवों को भी फायदा होगा, भले ही इनका कुल निर्यात सिर्फ लगभग 55 मिलियन डॉलर का था। कुल मिलाकर, यह नई सूची भारत के 5. 7 बिलियन डॉलर के कृषि निर्यात का करीब पांचवां हिस्सा और पिछले वर्ष के 86 बिलियन डॉलर के कुल वस्तु निर्यात का लगभग 40% है, जो भारत के व्यापार संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक कदम है।

अमेरिकी बाजार में भारत की रणनीतिक बढ़त

एक भारतीय अधिकारी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ये कटौतियां इन कृषि उत्पादों को बराबरी का मौका देंगी, जिन्हें अब तक दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा शुल्क भरना पड़ता था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय उत्पादों की भरोसेमंद सप्लाई, मजबूत वितरण नेटवर्क और अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी की मांग हमें अमेरिकी बाजार में एक महत्वपूर्ण बढ़त देती है और यह टैरिफ कटौती भारतीय निर्यातकों के लिए एक समान खेल का मैदान तैयार करेगी, जिससे वे अमेरिकी उपभोक्ताओं तक अपने उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पहुंचा सकेंगे। यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि अमेरिका में। उपभोक्ताओं को भी अधिक विकल्प और संभवतः कम कीमतें प्रदान करेगा।

प्रमुख छूटें और व्यापार बाधाएं

हालांकि, यह राहत भारत के सबसे ज्यादा कमाई कराने वाले कुछ कृषि उत्पादों को नहीं मिली है। झींगा, अन्य समुद्री खाद्य पदार्थ और बासमती चावल जैसे महंगे निर्यात इससे बाहर रखे गए हैं, जो भारतीय निर्यातकों के लिए कुछ निराशा का कारण हो सकता है और इसके अलावा, भारतीय रत्न, आभूषण और कपड़ा उत्पादों पर अमेरिका फिलहाल 50% का भारी शुल्क लगा रहा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच एक बड़ा व्यापार समझौता अभी रुका हुआ है। ट्रंप ने इस स्थिति को भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद कम करने और अमेरिकी ऊर्जा की खरीद बढ़ाने। से जोड़ा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि कुछ व्यापारिक मुद्दों पर अभी भी गतिरोध बना हुआ है।

ट्रंप का रुख और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

ट्रंप का यह फैसला, जिसे एक कार्यकारी आदेश के जरिए लागू किया गया है, अमेरिका में बढ़ती महंगाई को लेकर लोगों की नाराजगी के बीच आया है। ट्रंप का दावा है कि उनके टैरिफ नियमों से घरेलू खर्च नहीं बढ़े हैं। उन्होंने बढ़ती कीमतों पर जनता की नाराजगी देखते हुए टैरिफ से होने वाली कमाई से लोगों को 2,000 डॉलर के राहत चेक देने और मांस प्रोसेसिंग उद्योग की जांच शुरू करने की बात कही है। हालांकि, अमेरिकी उद्योग समूहों और नीतिगत विशेषज्ञों ने शुल्क कम करने के इस कदम का स्वागत किया है,। लेकिन उनके विरोधियों ने उन पर आरोप लगाया कि वे आम लोगों की आर्थिक मुश्किलों को नजरअंदाज करते हैं। एक आलोचक ने मजाक में कहा कि मेरा बजट और मेरी असल जिंदगी अब एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, जो आम अमेरिकी की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

आर्थिक कठिनाइयों के बीच विवाद

महंगाई और अर्थव्यवस्था को लेकर बहस तब और बढ़ गई जब ट्रंप ने मार-ए-लागो में गैट्सबी थीम पर एक भव्य हेलोवीन पार्टी रखी और एक बड़ा बॉलरूम बनवाना शुरू किया, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह व्हाइट हाउस के बॉलरूम से भी बड़ा होगा। इस घटना ने आलोचकों को एक बार फिर राष्ट्रपति पद में दिखावे और फिजूलखर्ची के मुद्दे को उठाने का मौका दिया, खासकर ऐसे समय में जब आम अमेरिकी नागरिक बढ़ती महंगाई और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। यह विरोधाभास ट्रंप की नीतियों और उनके सार्वजनिक जीवन के बीच एक गहरी खाई को उजागर करता है, जिससे उनकी लोकप्रियता पर और असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर, यह टैरिफ कटौती भारतीय निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह अमेरिकी घरेलू राजनीति और आर्थिक दबावों का भी एक प्रतिबिंब है।