उन्नाव / उन्नाव रेप पीड़िता ने तोड़ा दम, दुनिया छोड़ने से पहले अपने भाई से कहा- मैं जीना चाहती हूं

AajTak : Dec 07, 2019, 07:46 AM
नई दिल्ली | उन्नाव गैंगरेप पीड़िता ने शुक्रवार रात 11.40 बजे दम तोड़ दिया। पीड़िता 95 फीसदी जली हुई हालत में गुरुवार रात दिल्ली लाई गई थी। सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। गुरुवार सुबह ही उन्नाव में 5 आरोपियों ने उस पर पेट्रोल डालकर जला दिया था। आरोपियों में से एक पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप का मुख्य आरोपी है।

अपने गुनहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचते देखने की उसकी ख्वाहिश अधूरी रह गई। उन्नाव की बेटी इन्हीं आखिरी अल्फाज के साथ हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गई। 24 घंटे तक मौत से जूझते-जूझते उसकी सांसें बोझिल हो गई थीं। आखिरकार शनिवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर इंसाफ की अधूरी चाहत के साथ ही वो दुनिया छोड़ गई।

सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ। शलभ कुमार बताते हैं, ‘हमारे बड़े प्रयासों के बावजूद पीड़िता को बचाया नहीं जा सका। शाम में ही उसकी हालत खराब होनी शुरू हो गई थी। रात 11।10 बजे उसे कार्डियक अरेस्‍ट आया। हमने इलाज शुरू किया और उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन रात में 11।40 बजे उसकी मौत हो गई।'

डॉ। शलभ ने बताया कि फिलहाल पीड़िता के शव को मोर्चरी में भेज दिया गया है। अस्पताल में मौजूद पीड़िता की मां, बहन और भाई को इसके बारे में बता दिया गया है। पीड़िता ने मरने से पहले अपने भाई से कहा था कि मैं जीना चाहती हूं। पीड़िता ने यह भी कहा था कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए।

इतना जलने के बाद टूट जाती है हिम्मत

बहरहाल, 95 फीसदी जली हुई हालत में पीड़ित को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इतनी बुरी तरह जलने के बाद अमूमन कोई भी शख्स कुछ कहने या बताने की हालत में नहीं रहता। लेकिन ये बहादुर बेटी अपने गहरे जख्मों से लड़ रही थी, क्योंकि उसे अस्पताल से निकल इंसाफ की बड़ी लड़ाई लड़नी थी।

पीड़िता के भाई ने बताया कि, 'वो जीना चाहती थी, लड़ना चाहती थी, इंसाफ की जंग जीतना चाहती थी। इसलिए बार-बार पूछ रही थी कि मैं बच जाऊंगी ना, मैं मर तो नहीं जाऊंगी।' बहन की बातें मीडिया के सामने बयां करते हुए भाई का गला भर आया था।

इंसाफ की लंबी लड़ाई

गुरुवार को जब हैवानों ने रेप पीड़िता को जिंदा जला डाला तो परिवार को लगा कि इंसाफ की लड़ाई अब कभी पूरी नहीं हो पाएगी। लेकिन अस्पताल में बेटी की हिम्मत और डॉक्टरों की मेहनत देखकर उम्मीद की एक महीन डोर उनका सहारा बनी लेकिन शुक्रवार रात सबकुछ चकनाचूर हो गया।

गैंगरेप के गुनाह पर पर्दा डालने के लिए आरोपियों ने पीड़ित को जलाकर खाक करने की जो साजिश रची थी वो तो कामयाब हो गई। देश की एक और बेटी दरिंदगी के आगे हार गई। अब सवाल हमारी पुलिस, अदालत और सरकार के सामने है कि हैवानियत के बाद बच निकलने की ऐसी साजिश आगे भी कामयाब होती रहेंगी या मौत के बाद ही सही उन्नाव की बेटी की इंसाफ की चाहत पूरी होगी।

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