China K-Visa / US ने H-1B वीजा फीस बढ़ाई तो चीन लाया K-वीजा, जॉब ऑफर के बिना भी आवेदन कर सकेंगे

अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस ₹6 लाख से बढ़ाकर ₹88 लाख कर दी है, जिससे प्रोफेशनल्स पर असर पड़ेगा। इसी बीच चीन ने STEM युवाओं और स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए नया K-वीजा लॉन्च किया है, जिसमें नौकरी का ऑफर जरूरी नहीं होगा। ब्रिटेन भी वीजा फीस खत्म करने पर विचार कर रहा है।

China K-Visa: अमेरिका ने 21 सितंबर, 2025 से H-1B वीजा की फीस को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग ₹88 लाख) कर दिया है, जो पहले ₹5.5 से ₹6.7 लाख के बीच थी। यह वीजा, जो उच्च कुशल पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है, अब पहले से कहीं अधिक महंगा हो गया है। नई फीस एकमुश्त लागू होगी, लेकिन रिन्यूअल की स्थिति में अतिरिक्त शुल्क की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है। इस वृद्धि से वैश्विक पेशेवरों, खासकर भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में काम करने की राह मुश्किल हो सकती है। H-1B वीजा सामान्यतः 3 साल के लिए वैध होता है, जिसे दोबारा फीस देकर अगले 3 साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

चीन का नया K-वीजा: STEM प्रोफेशनल्स के लिए आकर्षक विकल्प

इस बीच, चीन ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ (STEM) क्षेत्रों में काम करने वाले युवाओं और कुशल पेशेवरों के लिए नया K-वीजा शुरू करने की घोषणा की है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, यह वीजा 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा। K-वीजा की खासियत यह है कि इसके लिए किसी चीनी कंपनी से नौकरी का ऑफर होना जरूरी नहीं है। STEM क्षेत्रों में शोध करने वाले उम्मीदवार भी इसके लिए आवेदन कर सकेंगे।

चीन वर्तमान में 12 प्रकार के वीजा जारी करता है, जिनमें Z-वीजा (काम के लिए, 1 साल की वैधता) और R-वीजा (180 दिन की वैधता, बिना फीस) शामिल हैं। हालांकि, R-वीजा की जटिल आवेदन प्रक्रिया के कारण यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। K-वीजा में विदेशियों को लंबे समय तक रहने की सुविधा मिलेगी, हालांकि इसकी वैधता की अवधि अभी स्पष्ट नहीं है। Z-वीजा के विपरीत, K-वीजा में नौकरी बदलने पर नया वीजा लेने की आवश्यकता नहीं होगी, और यह शिक्षा व अनुभव के आधार पर सीधे आवेदन की सुविधा देगा।

K-वीजा की फीस के बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। तुलनात्मक रूप से, Z-वीजा की फीस अलग-अलग देशों के लिए भिन्न है:

  • भारतीय नागरिकों के लिए: ₹2,900

  • अमेरिकी नागरिकों के लिए: ₹2,300

  • कनाडाई नागरिकों के लिए: ₹8,500

  • ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के लिए: ₹5,500

इसके अतिरिक्त, वीजा आवेदन में सर्विस चार्ज (भारतीयों के लिए ₹2,000-₹3,000) भी जोड़ा जाता है। K-वीजा से जुड़ी विस्तृत जानकारी चीनी दूतावास और कॉन्सुलेट द्वारा दी जाएगी।

चीन की रणनीति: 2035 तक तकनीकी महाशक्ति बनने का लक्ष्य

चीन 2035 तक वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बनने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए वह विदेशी टैलेंट को आकर्षित करने के लिए दो प्रमुख प्रोग्राम शुरू कर चुका है:

  1. टैलेंटेड यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम: 45 वर्ष तक के एशिया और अफ्रीका के शोधकर्ताओं के लिए, जो चीन में काम और शोध करना चाहते हैं।

  2. आउटस्टैंडिंग यंग साइंटिस्ट फंड प्रोजेक्ट: 40 वर्ष तक के शीर्ष वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को चीन में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु।

इसके अलावा, चीन के प्रमुख विश्वविद्यालय और शोध संस्थान बेहतरीन छात्रों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए आकर्षक वेतन और बोनस की पेशकश कर रहे हैं।

ब्रिटेन की ग्लोबल टैलेंट वीजा योजना: फीस माफी की संभावना

ब्रिटेन भी उच्च कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए अपनी वीजा नीतियों में बदलाव पर विचार कर रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन दुनिया की शीर्ष 5 विश्वविद्यालयों से पढ़े या अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार विजेता व्यक्तियों के लिए ग्लोबल टैलेंट वीजा की फीस (वर्तमान में 766 पाउंड, लगभग ₹90,000) को पूरी तरह माफ करने पर विचार कर रहा है। इस बदलाव की घोषणा 26 नवंबर, 2025 को ब्रिटेन के बजट से पहले हो सकती है।

वैश्विक टैलेंट की दौड़ में नई प्रतिस्पर्धा

अमेरिका की H-1B वीजा फीस में भारी बढ़ोतरी से वैश्विक पेशेवरों के लिए अवसर सीमित हो सकते हैं, जिससे चीन का K-वीजा एक आकर्षक विकल्प बन सकता है। दूसरी ओर, ब्रिटेन की ग्लोबल टैलेंट वीजा फीस माफी की योजना उच्च कुशल व्यक्तियों को आकर्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। ये बदलाव वैश्विक टैलेंट को आकर्षित करने की दौड़ में नई प्रतिस्पर्धा को दर्शाते हैं, जहां देश अपनी नीतियों को और अधिक लचीला और आकर्षक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।