जयपुर. मार्गशीर्ष अथवा अगहन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए व्रत रखकर महालक्ष्मीजी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि नंदा नवमी पर व्रत रखकर लक्ष्मीजी की विधिविधान से पूजा करने से आर्थिक दुरावस्था दूर हो जाती है। महानंदा नवमी व्रत पर मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि महानंदा नवमी पर माता लक्ष्मी की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है। इस दिन लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्त का पाठ जरूर करना चाहिए. नंदा नवमी पर लक्ष्मीजी के मंत्रों का जापकर हवन करने का भी विधान है। कनकधारा स्तोत्र, श्री ललितासहस्रनाम स्तोत्र का पाठ भी त्वरित फल देता है। इस दिन श्रीयंत्र की भी पूजा की जाती है।
आर्थिक स्थिति सुधारने और सुख-समृद्धि के लिए इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा कर जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित पीएस त्रिपाठी के मुताबिक महानंदा नवमी पर स्नान कर सूर्यदेव को जल अर्पित कर माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए व्रत व पूजा का संकल्प लें। रात को घर के पूजास्थल में एक बड़ा दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करते हुए महालक्ष्मी के मंत्र ओं हृीं महालक्ष्म्यै नमः का जाप करें। संभव हो तो रात्रि जागरण करें या रातभर जाप करें।
पूजा या जाप के बाद किसी कन्या को दान आदि देकर उससे आशीर्वाद जरूर लें। दूसरे दिन ब्रम्ह मूहुर्त में घर की सफाई करें और सारा कूड़ा—कचरा एक सूपे में रखकर बाहर फेंक आएं। यह प्रक्रिया अलक्ष्मी का विसर्जन कहलाती है। अब स्नान करे घर के मुख द्वार पर खडे़ होकर लक्ष्मीजी से घर आने का आव्हान करें। अब व्रत का पारण करें। भोग में अर्पित किए गए मिष्ठान्न या फल प्रसाद के रूप में बांट दें।
व्रत रखकर पूजा—पाठ करने से माता लक्ष्मी धन—वैभव, सुख-समृद्धि देती हैं। इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। हो सके तो इस दिन शुरू करते हुए रोज श्रीसूक्त का विश्वासपूर्वक पाठ करें। श्रीसूक्त का पाठ माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। इससे कुछ ही दिनों में आपकी आर्थिक दिक्कत दूर होने लगेगी। खास बात यह है कि नियमित रूप से नंदा नवमी पर व्रत और पूजा से लक्ष्मीजी का घर में स्थाई निवास हो जाता है।