Shehbaz Sharif / PAK के प्रधानमंत्री शहबाज मोहर्रम शुरू होते ही टेंशन में क्यों आ गए?

जैसे ही मोहर्रम शुरू हुआ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चुनौतियां बढ़ गईं। बजट पास कराने के साथ उन्हें देश की कानून-व्यवस्था संभालनी पड़ी। आतंकी घटनाएं, मेजर की शहादत और सुरक्षा निर्देशों ने माहौल तनावपूर्ण बना दिया। अमेरिका से बातचीत में उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापार सहयोग पर जोर दिया।

Shehbaz Sharif: जैसे ही इस्लामी कैलेंडर का पवित्र महीना मोहर्रम शुरू हुआ, पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था में हलचल तेज हो गई। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक ओर 2025-26 का महत्वपूर्ण संघीय बजट पास कराने में व्यस्त रहे, वहीं दूसरी ओर देशभर में मोहर्रम के जुलूसों को लेकर कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी प्राथमिकता बन गया।

बजट पास, लेकिन चुनौती बरकरार

शहबाज शरीफ ने अपनी आर्थिक टीम की तारीफ करते हुए 2025-26 का बजट पेश किया और कैबिनेट की मंजूरी भी हासिल की। हालांकि संसद में यह सफलता मिली, लेकिन सड़कों पर शांति बनाए रखना उनके लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आया। मोहर्रम के दौरान बढ़ती धार्मिक संवेदनशीलता और आतंकी खतरे ने सरकार को चौकन्ना कर दिया है।

सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट

प्रधानमंत्री ने आंतरिक मामलों के मंत्री और सभी प्रांतीय सरकारों को कड़े निर्देश दिए हैं कि मोहर्रम के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं से सख्ती से निपटा जाए। पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और आज़ाद कश्मीर तक सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है। केंद्र और राज्यों की एजेंसियों के बीच समन्वय पर विशेष बल दिया गया है ताकि धार्मिक जुलूसों के दौरान कोई चूक न हो।

आतंकी घटनाएं बनीं चिंता का कारण

हाल ही में दक्षिण वज़ीरिस्तान में एक ऑपरेशन के दौरान मेजर मुजीज अब्बास शाह की शहादत ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। इस घटना को लेकर कैबिनेट में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का संकल्प दोहराया गया। साथ ही गैस उत्पादन और आपूर्ति के मुद्दे पर भी एक विशेष समिति बनाई गई है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।

अमेरिका से कूटनीतिक बातचीत

सुरक्षा और आंतरिक मामलों के बीच प्रधानमंत्री शरीफ की अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस चर्चा में क्षेत्रीय स्थिरता, व्यापारिक साझेदारी और कूटनीतिक सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर सहमति बनी। शरीफ ने ईरान-इज़राइल संघर्ष में अमेरिका की भूमिका की सराहना की और भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में अमेरिका के सक्रिय हस्तक्षेप की मांग दोहराई।