लॉकडाउन / Year Ender 2020: लॉकडाउन में कुछ ऐसी रही जिंदगी

Vikrant Shekhawat : Dec 17, 2020, 07:26 PM
Yearender2020: कोरोना वायरस (Coronavirus) ने जैसे बहुत कुछ बदल दिया. जहां कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के डर के साए में लोग जीने पर मजबूर हुए, वहीं इसकी वजह से लोगों की लाइफस्‍टाइल (Lifestyle) में भी काफी बदलाव आया. संक्रमण न फैले इस आशंका के मद्देनजर लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया, तो लोग घरों में रहने पर मजबूर हुए. इससे कुछ अच्‍छी बातें हुईं, तो कुछ अलग प्रभाव भी लोगों के जीवन पर पड़ा. यानी लाइफ में काफी कुछ बदल गया. बहुत कुछ ऑनलाइन (Online) हुआ, तो बहुत कुछ ऑफलाइन (Offline) भी हुआ. कह सकते हैं कि कोरोना के खतरे ने हमारे जीवन पर काफी असर डाला. अब जबकि यह साल अलविदा कहने को है और वहीं यह अच्‍छी खबर भी सुनने को मिल रही है कि कोरोना की वैक्‍सीन भी बन कर तैयार होने वाली है, तब यह ख्‍याल जरूर आता है कि कोरोना के प्रभाव में यह साल कैसा बीता और इससे हमारे जीवन में क्‍या-क्‍या बदलाव आए. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बदलावों के बारे में.


योग की ऑनलाइन क्‍लासेज में बढ़ी रुचि:

वहीं लॉकडाउन में कोरोना के खतरे को देखते हुए लोग अपनी सेहत को लेकर भी ज्‍यादा सजग हुए. यही वजह है कि इस दौरान सेहत और फिटनेस को लेकर एक बड़ा बदलाव यह आया कि लॉकडाउन में योगा की भी ऑनलाइन क्‍लासेज में बढ़ोतरी हुई. योग की कई अहम संस्‍थाओं की ओर से योग की ऑनलाइन क्‍लासेज कराई जाने लगीं. इस बारे में योगाचार्य अतुल कुमार वर्मा उर्फ अत्रेया का कहना है कि वह अपनी योगात्रेया संस्‍था (Yogatreya) के जरिये अप्रैल महीने से योगा की ऑनलाइन क्‍लासेज करा रहे हैं. वह कहते हैं कि 'ऑनलाइन होने की वजह से काफी बेहतर बदलाव हुए. पहले जब टीचर ट्रेनिंग कोर्स हुआ करता था, तब दिल्‍ली के ही सिर्फ 6-7 लोग भी मुश्किल से मिल पाते थे, मगर अब 24-25 लोग होना भी आम बात है.' वह आगे कहते हैं कि 'मेरे वे फॉलोवर्स जो पहले किसी न किसी वजह से योगा सीख नहीं पाते थे, मगर अब ऑनलाइन योगा क्‍लासेज की वजह से एनआरआई और अलग स्‍टेट में रह रहे लोगों के लिए भी आसानी हुई है. इनकी संख्‍या भी बढ़ी है. इस माध्‍यम की वजह से लोगों का समय भी बचा.'


बच्‍चों के साथ टीचर भी ऑनलाइन:

कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले इसलिए लॉकडाउन लगाया गया. इसमें जहां लोगों का सार्वजनिक तौर पर निकलना, इकट्ठा होना बैन किया गया, वहीं स्‍कूल, कॉलेज भी बंद करवा दिए गए. यही वजह है कि कई माह तक स्कूल पूरी तरह से बंद रहे. मगर इस स्थिति से बच्‍चों की पढ़ाई पर असर न पड़े इसलिए सरकार की ओर से ऑनलाइन क्‍लासेज शुरू करवा दी गईं. शायद इतने बड़े स्‍तर पर यह पहली बार था कि छोटे बच्‍चे भी ऑनलाइन क्लास से जुड़े.


ऑनलाइन हुईं शादी की रस्‍में:

कोरोना लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपने कई काम रद्द करने पड़े. शादी जैसे शुभ आयोजन भी टाल दिए गए हैं. हालांकि इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्‍होंने अपनी शादी का आयोजन ऑनलाइन किया. इनमें ब्रिटेन के सोफी ऑस्टिन और बेन जैक्सन भी शामिल हैं. इनकी शादी लॉकडाउन की वजह से टल गई. ऐसे में इन्‍होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शादी की. इन्होंने जूम नामक एक वीडियो कॉन्फ्रेंस एप की मदद ली, जिससे दोस्त, रिश्तेदार इनकी शादी में शामिल हुए और पादरी ने शादी की सभी रस्में पूरी करवाईं. इसी तरह गाजियाबाद के अविनाश और कीर्ति ने भी वीडियो कॉल के जरिए शादी की. इस शादी के सभी कार्यक्रम वीडियो कॉल के जरिए हुए. वहीं इस शादी समारोह में शामिल होने के लिए लोगों को निमंत्रण भी वीडियो कॉल लिंक्स के जरिए भेजा गया था. इसी तरह की कई शादियां लॉकडाउन में हुईं. यानी कोरोना की वजह से यह बड़ा बदलाव देखा गया.


पुजारी भी हो गए हाइटेक:

पूजा और दान जैसे महत्‍वपूर्ण धाार्मिक कार्य भी लॉकडाउन में प्रभावित हुए. यानी आपको मन्नत पूरी करनी हो या फिर घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करानी हो, हवन या अन्य कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करवाना हो तब कोरोना के इस खतरे में पुजारी जी को घर बुलाने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस खतरे केमद्देनजर ज्‍यादातर पुजारी भी हाइटेक हो गए. यानी उन्‍होंने वीडियो कॉल के जरिये ऑनलाइन पूजा किए. वहीं यजमान ने भी नेट बैंकिंग, गूगल पे, पेटीएम से दान दक्षिणा की.


डाक्‍टर और मरीज जुड़े ऑनलाइन: 

कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में बड़ा बदलाव यह भी देखने को मिला कि डॉक्‍टर ऑनलाइन हुए और मरीजों ने भी उनसे वीडियो कॉल, चैट के जरिये सलाह ली. इस दौरान कोरोना संक्रमण के अलावा जो मरीज थे, उनको देखने और उन्‍हें परामर्श देने के लिए डॉक्टरों को भी ऑनलाइन तरीका अपनाना पड़ा. यानी लॉकडाउन और कोरोना के खतरे की वजह से डाक्‍टर और मरीज दोनों ऑनलाइन हुए. उन्‍होंने इस तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करते हुए इसका लाभ उठाया. क्लीनिक में भीड़ बढ़ने से रोकने और कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने के लिए डॉक्टरों ने वीडियो कॉल और व्हॉट्सऐप चैट का सहारा लिया. साथ ही फोन कॉल पर भी मरीजों का इलाज किया गया. इससे पहले शायद ही ऐसे मामले हुए हों.


बढ़ा कुकिंग का शौक, ऑनलाइन ऑर्डर में कमी:

लॉकडाउन में एक बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि इस दौरान लोगों ने घरों पर ही खाना बनाना ज्‍यादा पसंद किया. यानी लॉकडाउन में स्‍वीगी और जोमैटो जैसी खाना डिलीवर करने वाली कंपनियों से ऑर्डर करके खाना मंगाने का चलन कम हुआ. इसकी वजह यह भी रही कि लोगों ने कोरोना के खतरे में एहतियात के तौर पर बाहर से खाना मंगाने से दूरी बनाए रखी. वहीं लोगों ने अपने घरों में रह कर अपने कुकिंग के शौक को पूरा किया और इसके लिए उन्‍होंने इंटरनेट पर रेसिपी सर्च करके खुद कुकिंग की. यानी इससे लोगों की सेल्‍फ मेड पर निर्भरता बढ़ी. इस बहाने उनका शौक भी पूरा हुआ और बचत भी.

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