Israel-Iran War / इजरायल के खिलाफ जंग मे यमन देगा ईरान का साथ, पाकिस्तान, ओमान और कतर ने की US हमले की निंदा

ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद युद्ध का खतरा बढ़ गया है। यमन ने इजरायल के खिलाफ लड़ाई में ईरान का साथ देने का ऐलान किया है। वहीं पाकिस्तान, ओमान और कतर ने हमले की निंदा की है। लेबनान ने संघर्ष में शामिल होने से इनकार किया है।

Israel-Iran War: ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद पश्चिम एशिया में युद्ध का खतरा और अधिक गहरा गया है। इस घटनाक्रम ने पूरे क्षेत्र को एक बार फिर युद्ध की आग में झोंकने की आशंका को बल दिया है। खासकर जब यमन ने आधिकारिक तौर पर इस संघर्ष में शामिल होने की घोषणा कर दी है और इजरायल के खिलाफ ईरान के साथ खड़ा होने का ऐलान किया है।

यमन की सेना ने दी युद्ध की चेतावनी

यमन की सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक बयान जारी करते हुए कहा है, "यमन आधिकारिक रूप से युद्ध में प्रवेश करेगा। कृपया अपनी जहाजों को हमारी जलसीमा से दूर रखें।" यमन के हूती विद्रोही पहले से ही इजरायल के खिलाफ हमास और हिजबुल्लाह का समर्थन कर रहे हैं और अतीत में उन्होंने लाल सागर और अदन की खाड़ी में इजरायली व सहयोगी देशों के जहाजों पर मिसाइल हमले भी किए हैं।

इस नए ऐलान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यमन अब केवल परोक्ष समर्थन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह खुले युद्ध में उतरने को तैयार है।

लेबनान की दूरी, लेकिन तनाव कायम

जहां यमन ने खुलकर युद्ध में शामिल होने की बात कही है, वहीं लेबनान ने इस युद्ध में प्रवेश करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, लेबनान में सक्रिय हिजबुल्लाह संगठन का इजरायल के साथ तनाव लगातार बना हुआ है, और वहां से भी छिटपुट हमले और जवाबी कार्रवाइयों की खबरें मिलती रही हैं। लेकिन सरकार स्तर पर लेबनान ने इस बार संयम बरतते हुए दूरी बनाए रखने का निर्णय लिया है।

पाकिस्तान, ओमान और कतर ने जताई कड़ी आपत्ति

ईरान पर अमेरिकी हमले को लेकर इस्लामिक दुनिया में व्यापक आक्रोश देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है। पाकिस्तान ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "यह हमला परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और वैश्विक शांति की भावना के खिलाफ है।"

इसी तरह ओमान और कतर ने भी अमेरिका की कार्रवाई को गैर-जरूरी और भड़काऊ बताया है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की अपील करते हुए कूटनीतिक समाधान पर जोर दिया है।

नया मोड़ लेता संघर्ष

पश्चिम एशिया में लंबे समय से जारी अस्थिरता ने अब एक और खतरनाक मोड़ ले लिया है। अमेरिका के हमले ने न केवल ईरान को और आक्रामक बना दिया है, बल्कि अब यमन जैसे देशों की सक्रिय भागीदारी से यह संघर्ष और अधिक भयानक रूप ले सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह क्षेत्र किसी बड़े युद्ध की ओर बढ़ता है या फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति एक बार फिर इसे थामने में सफल होती है।