उत्तर प्रदेश / 10 दिन से भूखी महिला व उसके 5 बच्चे अस्पताल में भर्ती कराए गए, मिली सरकारी मदद

Zoom News : Jun 17, 2021, 12:47 PM
अलीगढ़: कोरोना काल कई परिवारों पर मुसीबत बनकर टूटा है। कोरोना की पहली लहर ने एक विधवा महिला की जबकि दूसरी ने बेटे का रोजगार छीन लिया। इससे घर में खाने के लाले पड़ गए। पिछले 8-10 दिनों से अलीगढ़ में रहने वाले एक परिवार को अन्न का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ। संस्था को जब इस परिवार के बारे में पता चला तो उसने सभी को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया।

छोटी सी कोठरी, मिट्टी के चूल्हे पर पानी में रखे गए आलू और दो-चार बर्तन व कुछ पुराने कपड़े परिवार की मुफलिसी के गवाह बने। घर पर न तो भोजन पकाने का सामान मिला और न ही खाद्यान्न का एक दाना। ऐसे में साफ जाहिर होता है, कि परिवार बुरे हालातों से गुजर रहा था। 

भूख से बिलबिलाता परिवार कई दिनों से जिंदगी से संघर्ष कर रहा था, मगर जिम्मेदारों को हवा तक नहीं लगी। वह तो शुक्र है स्वयंसेवी संस्था का जिसने पांच सदस्यों के कुनबे को नई जिंदगी दी और इन्हें समाज के सामने लाकर खड़ाकर सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी। 

पंचायती राज व्यवस्था में हर परिवार और घर को सरकारी योजना को लाभ देने का प्रावधान है। इसके लिए गांव में छह निगरानी समितियों के साथ ही ग्राम पंचायत सचिव से लेकर एडीओ पंचायत-बीडीओ को जिम्मेदारी दी गई हैं। मगर इन्होंने भी शायद अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी। अगर समय रहते गांव की समितियों और सचिव जिम्मेदारी समझ लेते तो परिवार की यह हालत नहीं होती। 

ग्रामीण बोले- गांव में नहीं आते ग्राम पंचायत सचिव

हिन्दुस्तान की टीम नगला मंदिर गांव पहुंची तो ग्रामीण अपना-अपना दुखड़ा लेकर बैठ गए। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में ग्राम पंचायत सचिव पूरे पांच सालों में पांच बार भी नहीं आया। न ही ग्रामीणों की कोई खोज खबर ली। निगरानी समिति का तो अता-पता भी नहीं था। आकाश ने बताया कि अखबार में खबर छपने के बाद जिस तरह से सचिव की संवेदना जगी है। वैसे अगर पहले ही जग गई होती तो आज परिवार की हालत ऐसी न होती।

हर परिवार को राशन की व्यवस्था कराने वाला विभाग भी निरंकुश

जिले में गरीब तबके के लोगों को राशन कार्ड और खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाले जिम्मेदार महकमें के अधिकारी भी निरंकुश बने रहे। एक परिवार के पास न तो राशन कार्ड और घर में खाद्यान्न का एक दाना भी नहीं था। पूरा परिवार भूख से बिलखता रहा। मगर अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। यहां तक की राशन डीलर ने भी खाद्यान्न नहीं दिया था। ग्रामीणों ने बताया परिवार की हालत दो महीने से बहुत खराब थी। 

गंभीर स्थिति आई तो जगी विभाग की संवेदना

नगला मंदिर गांव में भूख से बिलखते परिवार की खबर अखबार में प्रकाशित हुई तो आपूर्ति विभाग की संवेदना जगी। खुद लोधा ब्लाक के सप्लाई इंस्पेक्टर पीयूष कुमार परिवार को लेकर पोस्ट ऑफिस आधार कार्ड बनवाने पहुंचे। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड का आवेदन करवा दिया गया है। जल्द ही परिवार का आधार कार्ड बन जाएगा और फिर उनका अन्त्योदय कार्ड बनवाया जाएगा।

प्रभारी एडीओ पंचायत बोले नशे का आदी था परिवार

प्रभारी एडीओ पंचायत यतेंद्र कुमार से परिवार के बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि परिवार नशे का आदी था। सब लोग नशा करते हैं, जिसका खामियाजा पड़ोसी भी भुगत रहे हैं। उन्होंने इनके घर में दो माह के पहले से रोटियां दे रहे है। कहा कि यह परिवार कुछ नहीं करता नशा करने के अलावा। वर्तमान प्रधान की शपथ नहीं हुआ। राहत पोर्टल में इनका नाम लिया गया मगर खाता न होने के कारण नाम शामिल नहीं हो सका।

ग्राम पंचायत सचिव बोले जेब से 5,000 की मदद करके आया हूं

ग्राम पंचायत सचिव संजीव चौधरी ने कहा कि परिवार से अस्पताल में मिलकर आया हूं। उन्हें पांच हजार रुपये की मदद जेब से कर के आया हूं। अब गांव में पहुंचकर उनके आधार कार्ड और अंत्योदय कार्ड बनवाने की व्यवस्था बन रहा है। अब सवाल उठता है कि मामला प्रकाश में आने के बाद ही सचिव के जेब से 5,000 रुपये क्यों निकले? जबकि कुछ दिन पहले ही राहत सर्वे में परिवार का नाम आने पर अकाउंट नंबर न होने से उनका नाम शामिल नहीं किया गया? क्या तब सचिव को उनकी फिक्र नही हुई कि आखिर क्यों परिवार का खाता नंबर नहीं है? इसके बारे में गांव में जानकारी क्यों नहीं कराई? उस समय वह जिम्मेदारी निभा रहे थे या जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे थे? अब यह तो वहीं जाने। 

सीडीओ अंकित खंडेलवाल ने कहा, 'प्रशासन की टीम गांव में पहुंची थी। एसडीएम व बीडीओ की टीम गई थी। परिवार की पूरी मदद कराई जा रही है। राशन कार्ड, आधार कार्ड, पेंशन, आयुष्मान कार्ड व जाब कार्ड आदि उनकी पात्रता को लेकर उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही परिवारों की मदद के लिए हम तहसील व ब्लाक स्तर पर कैंप लगाया जाएगा। जहां जरुरतमंद पहुंच कर सरकारी योजनाओं का लाभ पा सकते हैं।

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