विदेश / दुर्लभ बीमारी के चलते 'पत्थर में बदल रही' यूके की 5 महीने की बच्ची

Zoom News : Jul 04, 2021, 09:17 AM
लंदन: ब्रिटेन (Britain) में एक पांच महीने की बच्ची एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हो गई है और अब वो ‘पत्थर’ में बदलने लगी है. इस दुर्लभ जेनेटिक हालात की वजह से बच्ची के माता-पिता खासा चिंतित हैं. उन्होंने दुनिया भर के माता-पिता को संभावित लक्षणों के बारे में चेतावनी दी है. ये लाइलाज बीमारी इतनी दुर्लभ है कि 20 लाख में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही होती है. इस जीन से जुड़ी घातक बीमारी को Fibrodysplasia Ossificans Progressiva कहा जाता है. इस बीमारी में इंसान का शरीर ‘पत्थर’ का रूप ले लेता है.

इस गंभीर बीमारी से पीड़ित होने वाली बच्ची का नाम लेक्सी रॉबिन्स (Lexi Robins) है. लेक्सी का जन्म 31 जनवरी को हुआ था. उसके माता-पिता एलेक्स और डेव ग्रेट ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर क्षेत्र के रहने वाले हैं. एक दिन उन्होंने पाया कि बच्ची के हाथ के अंगूठे में कोई हलचल नहीं हो रही है. वहीं उसके पैर की उंगलियां काफी बड़ी हैं जो कहीं से भी सामान्य नजर नहीं आया. बचपन की इस घातक बीमारी का इलाज करने में डॉक्टरों को काफी समय लगा.

क्यों इस बीमारी को कहा जाता है शरीर का पत्थर में बदलना?

इस जानलेवा बीमारी में मांसपेशियां और कनेक्टिव टिशु हड्डी में बदल जाते हैं. इस रोग में हड्डियों कंकाल से बाहर आना शुरू हो जाती हैं. इसे अक्सर शरीर को पत्थर में बदलना कहा जाता है. इस रोग से ग्रसित लोगों की मौत महज 20 सालों में ही हो जाती है और उनका जीवन लगभग 40 वर्ष का होता है. लेक्सी का अप्रैल में एक्स-रे हुआ था. उसके पैर के अंगूठे में सूजन पाया गया और उसके हाथ के पैर की उंगलियां आपस में जुड़ी हुई थीं.

कैसे लगा इस बीमारी का पता? मां ने दी जानकारी

लेक्सी की मां एलेक्स ने कहा, शुरुआत में एक्स-रे के बाद हमें बताया गया कि उसे सिंड्रोम है और वह चल नहीं सकती. हमें विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि वह उस समय शारीरिक रूप से बहुत मजबूत थी. वह लात मार रही थी. हमें पूरा यकीन नहीं था इसलिए हमने मई के मध्य में कुछ शोध किया.

उन्होंने कहा कि हमें पता चला कि उसे यह बीमारी है. हम उसे विशेषज्ञ के पास ले गए. हमने अमेरिका में आनुवंशिक रूप से इसका टेस्ट किया था. इसमें उसकी बीमारी का पता चला था. अब इस बच्चे को कोई इंजेक्शन या टीका नहीं लग सकता. वह बच्चे को जन्म भी नहीं दे पाएगी. वैज्ञानिक अब बच्चे की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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