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- 31-Aug-2025 03:20 PM IST
India-America Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के बीच संबंध फिलहाल तनावपूर्ण हैं। हालांकि, यह स्थिति हमेशा ऐसी नहीं थी। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच गर्मजोशी भरे रिश्ते देखे गए थे। 2019 में टेक्सास में भारतीय प्रवासियों की 'हाउडी मोदी' रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप ने एक मंच साझा किया था। इसके कुछ महीनों बाद 2020 में गुजरात में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम के दौरान ट्रंप का भव्य स्वागत हुआ। लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई। आइए जानते हैं, किन कारणों से भारत और ट्रंप के बीच तनाव बढ़ा।
1. सीजफायर का क्रेडिट लेने की जिद
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 17 जून 2025 को G7 समिट से लौटते समय ट्रंप ने PM मोदी से 35 मिनट तक फोन पर बात की। इस दौरान ट्रंप ने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का श्रेय उन्हें जाता है। हालांकि, PM मोदी ने साफ किया कि इस सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। बावजूद इसके, ट्रंप ने इस दावे को 40 से ज्यादा बार दोहराया, जिससे दोनों नेताओं के बीच तनाव बढ़ा।
2. नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन की नाराजगी
इसी फोन कॉल में ट्रंप ने PM मोदी से जिक्र किया कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट करने वाला है। उन्होंने इशारों में कहा कि भारत को भी ऐसा करना चाहिए। भारत ने इस सुझाव को ठुकरा दिया, जिससे ट्रंप नाराज हो गए। गौरतलब है कि इजराइल, कंबोडिया, अजरबैजान और आर्मेनिया जैसे देश ट्रंप को नोबेल के लिए नॉमिनेट कर चुके हैं।
3. G7 समिट में मुलाकात न होना
16-17 जून 2025 को कनाडा में हुई G7 समिट में ट्रंप पहले दिन शामिल हुए और जल्दी चले गए। इस दौरान उनकी और PM मोदी की मुलाकात नहीं हो पाई। ट्रंप ने सुझाव दिया कि मोदी अमेरिका होते हुए भारत लौटें, लेकिन मोदी ने क्रोएशिया जाने का हवाला देकर इनकार कर दिया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी को आशंका थी कि ट्रंप उनकी और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की मुलाकात कराने की कोशिश कर सकते हैं, जो उस समय वॉशिंगटन में थे।
4. कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का प्रस्ताव
उसी फोन कॉल में ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि भारत कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। ट्रंप ने भारत-पाक सीजफायर के बाद भी दावा किया कि वह कश्मीर मसले का हल निकालने में मदद कर सकते हैं, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया।
5. भारत को 'डेड इकोनॉमी' कहना
इस फोन कॉल के बाद ट्रंप ने भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी शुरू कर दी। उन्होंने भारत को 'डेड इकोनॉमी' करार दिया और भारतीय व्यापार नीतियों को 'घटिया' बताया। इसके बाद ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की। ब्लूमबर्ग के अनुसार, जून 2025 की इस बातचीत के बाद से दोनों नेताओं के बीच कोई संपर्क नहीं हुआ है।
6. अमेरिकी फार्मिंग प्रोडक्ट्स पर टैरिफ विवाद
अमेरिका लंबे समय से भारत पर अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए बाजार खोलने का दबाव डाल रहा है। भारत ने अमेरिकी मांगों को खारिज करते हुए घरेलू किसानों के हितों को प्राथमिकता दी। जर्मन अखबार FAZ के मुताबिक, भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) की छठे दौर की बातचीत (25-29 अगस्त 2025) रद्द कर दी और अमेरिकी डेलिगेशन को दिल्ली आने से रोक दिया। जुलाई में पांचवें दौर की बातचीत भी अमेरिकी डेयरी उत्पादों और GM फसलों के आयात पर असहमति के कारण विफल रही थी।
7. रूसी तेल खरीद पर टैरिफ
27 अगस्त 2025 से अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया, जिसमें 25% टैरिफ पेनल्टी के रूप में था। इसका कारण भारत का रूस से तेल खरीदना था, जिसे अमेरिका रूस के युद्ध प्रयासों को समर्थन मानता है। भारत ने इसे राष्ट्रीय हित का मुद्दा बताते हुए रूस से तेल खरीद जारी रखी। अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय देश भी भारत पर टैरिफ लगाएं, लेकिन यूरोपीय यूनियन ने इस पर चुप्पी साध रखी है।
