- भारत,
- 26-Jul-2025 07:20 AM IST
PMVBRY Scheme: श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोजगार योजना (पीएम-वीबीआरवाई) 1 अगस्त, 2025 से लागू होगी। इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। 99,446 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ यह योजना अगले दो वर्षों (1 अगस्त, 2025 से 31 जुलाई, 2027) में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखती है। इसमें 1.92 करोड़ नए कर्मचारी पहली बार कार्यबल में शामिल होंगे। यह योजना भारत के आर्थिक विकास को रोजगार-आधारित रणनीति के माध्यम से गति देने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
योजना का उद्देश्य
प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोजगार योजना का मुख्य उद्देश्य देश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है। यह योजना विकासशील भारत पहल के अनुरूप डिज़ाइन की गई है, जो समावेशी और पर्यावरण-अनुकूल रोजगार अवसरों को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। योजना का विशेष फोकस विनिर्माण क्षेत्र पर है, हालांकि यह सभी क्षेत्रों में नए रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगी। इसका लक्ष्य न केवल रोजगार सृजन करना है, बल्कि आर्थिक विकास को गति देना और कर्मचारियों में वित्तीय साक्षरता और बचत की आदत को बढ़ावा देना भी है।
योजना के मुख्य घटक
योजना को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है: भाग ए और भाग बी। दोनों हिस्से अलग-अलग लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
भाग ए: नए कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन
लाभार्थी: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पहली बार पंजीकृत होने वाले कर्मचारी, जिनका मासिक वेतन 1 लाख रुपये तक है।
प्रोत्साहन राशि: 15,000 रुपये तक का एक महीने का ईपीएफ अंशदान, जो दो किस्तों में प्रदान किया जाएगा:
पहली किस्त: 6 महीने की सेवा पूरी करने के बाद।
दूसरी किस्त: 12 महीने की सेवा और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने के बाद।
बचत को प्रोत्साहन: प्रोत्साहन राशि का एक हिस्सा एक निश्चित अवधि के लिए बचत साधन या जमा खाते में रखा जाएगा, जिसे कर्मचारी बाद में निकाल सकेंगे।
भाग बी: नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन
लाभार्थी: नियोक्ता, जो कम से कम 6 महीने तक लगातार रोजगार प्रदान करते हैं।
प्रोत्साहन राशि: 1 लाख रुपये तक के वेतन वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए सरकार 2 वर्षों तक 3,000 रुपये प्रति माह तक का प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
विनिर्माण क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान: इस क्षेत्र में प्रोत्साहन राशि को तीसरे और चौथे वर्ष तक बढ़ाया जाएगा, ताकि दीर्घकालिक रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले।
योजना की विशेषताएं
समावेशी दृष्टिकोण: यह योजना सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करती है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देती है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
वित्तीय साक्षरता और बचत: कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाने और बचत की आदत को बढ़ावा देने पर जोर।
लंबी अवधि का प्रभाव: दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजन का लक्ष्य, जिसमें 1.92 करोड़ नए कर्मचारी शामिल होंगे।
पर्यावरण-अनुकूल रोजगार: योजना पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रोजगार अवसरों को प्रोत्साहित करती है, जो विकासशील भारत के विजन के अनुरूप है।
