- भारत,
- 05-Sep-2025 07:20 PM IST
India-US Tariff War: भारत सरकार ने हाल ही में आम जनता को राहत देने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक बदलाव किए हैं। कई उत्पादों पर जीएसटी को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है, जबकि कई अन्य पर कर की दरों में कटौती की गई है। इससे आम लोगों को सीधा आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है। हालांकि, अब सरकार का ध्यान एक और बड़े मुद्दे की ओर है—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से प्रभावित भारतीय निर्यातकों को राहत प्रदान करना। सरकारी सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार जल्द ही इन निर्यातकों की मदद के लिए विशेष योजनाओं का ऐलान कर सकती है।
ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका ने जुलाई 2025 में भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू किया था, जिसे बाद में रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के साथ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। इस भारी-भरकम टैरिफ का सबसे अधिक असर कपड़ा, गहने और आभूषण, चमड़ा और फुटवेयर, कृषि, रसायन, इंजीनियरिंग उत्पाद, और समुद्री निर्यात जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ा है। इन क्षेत्रों में निर्यातकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे ऑर्डर रद्द होना, भुगतान में देरी, और माल की आपूर्ति में बाधा। विशेष रूप से, कपड़ा और झींगा निर्यात जैसे क्षेत्रों में 70-80% तक की गिरावट की आशंका जताई जा रही है, जिससे लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
सरकार की राहत योजनाएं
भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति तैयार की है। सरकार का उद्देश्य न केवल तात्कालिक राहत प्रदान करना है, बल्कि दीर्घकालिक निर्यात क्षमता को भी बढ़ाना है। प्रस्तावित योजनाओं में शामिल हैं:
नकदी संकट का समाधान: छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए नकदी प्रवाह की समस्या को हल करने हेतु आपातकालीन ऋण गारंटी योजना (ECLGS) जैसी योजनाओं को फिर से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान इस योजना ने MSME क्षेत्र को दिवालिया होने से बचाया था।
ऋण मोहलत और भुगतान समय-सीमा में वृद्धि: निर्यातकों को कार्यशील पूंजी पर दबाव कम करने के लिए ऋण चुकाने में एक साल तक की मोहलत और निर्यात भुगतान की समय-सीमा बढ़ाने की योजना है।
नए बाजारों की तलाश: सरकार निर्यातकों को अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व, और चीन जैसे नए बाजारों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए 40 से अधिक देशों को लक्षित किया गया है, जहां भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ाई जा सकती है।
एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन: सरकार ने 2025-2031 के लिए ₹25,000 करोड़ के निर्यात प्रोत्साहन मिशन (EPM) की घोषणा की है। इस मिशन का लक्ष्य वैश्विक व्यापार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना और नए बाजारों में भारतीय उत्पादों की मौजूदगी सुनिश्चित करना है।
ई-कॉमर्स निर्यात हब: सरकार ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए केंद्र स्थापित कर रही है, जिसमें आसान रिटर्न लॉजिस्टिक्स, अंतरराज्यीय परिचालन, और जीएसटी रिफंड की सुविधा शामिल होगी। यह MSME क्षेत्र के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा।
दीर्घकालिक रणनीति और आत्मनिर्भरता
सरकार का मानना है कि ट्रंप का टैरिफ एक अस्थायी चुनौती है, जिसे दीर्घकालिक रणनीतियों के माध्यम से अवसर में बदला जा सकता है। वाणिज्य मंत्रालय निर्यात में विविधता लाने और नए बाजारों की तलाश के लिए निर्यातकों के साथ सक्रिय चर्चा कर रहा है। इसके अतिरिक्त, सरकार मौजूदा व्यापार समझौतों को मजबूत करने और नए समझौतों (जैसे यूके, जापान, और आसियान देशों के साथ) पर काम कर रही है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और निर्यातकों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार का यह भी मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू खपत के कारण लचीली बनी रहेगी, और निर्यात जीडीपी का केवल 10% हिस्सा होने के कारण टैरिफ का प्रभाव सीमित रहेगा।
चुनौतियां और अवसर
ट्रंप के टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से कपड़ा, झींगा, और आभूषण क्षेत्रों, के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश के झींगा किसानों को ऑर्डर रद्द होने और कीमतों में कटौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार की योजनाएं इन चुनौतियों को कम करने और निर्यातकों को नए अवसर प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी कटौती से घरेलू मांग बढ़ेगी, लेकिन निर्यातकों को सीधा लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि निर्यात पर जीएसटी लागू नहीं होता। फिर भी, सरकार की राहत योजनाएं और निर्यात प्रोत्साहन मिशन निर्यातकों को इस संकट से उबरने में मदद कर सकते हैं।
