दिल्ली / अयोध्या मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

Live Hindustan : Nov 17, 2019, 05:24 PM
अयोध्या विवादित भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लखनऊ में बुलाई गई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक के बाद यह फैसला किया गया बोर्ड की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर किया जाएगा। एआईएमपीएलबी की बैठक में यह  फैसला लिया गया कि मस्जिद के लिए कोई दूसरी जमीन मंजूर नहीं है। बैठक में कहा गया कि हमें वही जमीन चाहिए जिसकी लड़ाई लड़ी गई।

आइये जानते हैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुए ऐलान की पांच मुख्य बातें-

1-एआईएमपीएलबी की बैठक में अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद यह कहा गया कि मस्जिद के लिए दूसरी जगह पर जमीन नहीं स्वीकार की जाएगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिल रसूल इलयास ने कहा कि बोर्ड ने अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है।

2-जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए। मदनी ने कहा कि सौ फीसदी पुनर्विचार याचिका खारिज होगी, उसके बावजूद यह दायर करना हमारा हक है।

3-मदनी ने कहा, 'हमें पता है सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी। लेकिन पुनर्विचार याचिका दाखिल करना हमारा अधिकार है और हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए।'  

4- एआईएमपीएलबी ने कहा कि जमीन की पेशकश को कबूल नहीं करेंगेे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसला देते हुुए मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया था।मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी बैठक बीच में छोड़कर चले गये। वजह नहीं बतायी। मुमताज पीजी कॉलेज से निकल गए जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या के फैसले पर चर्चा करने के लिए एक बैठक हुई।

5-अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के हक में जाने के बाद रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मसले पर बैठक की। बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष राबे हसन नदवी समेत असदुद्दीन ओवैसी और जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहे। बैठक के दो प्रमुख एजेंडे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई जाए या नहीं और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन स्वीकार की जाए या नहीं थे।

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