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- 30-Jul-2025 10:00 PM IST
India-US Tariff War: छह दशक पहले, 1964 में राज कपूर, राजेंद्र कुमार और वैजयंती माला अभिनीत फिल्म संगम ने दर्शकों के दिलों पर राज किया था। इस फिल्म का क्लाइमेक्स गीत 'दोस्त...दोस्त ना रहा...' आज भी उतना ही प्रासंगिक और लोकप्रिय है। यह गीत आज के दौर में भारत-अमेरिका संबंधों और खासकर डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की कथित दोस्ती पर एक कटाक्ष-सा प्रतीत होता है। ट्रंप के हालिया फैसले ने भारत पर 25% टैरिफ लगाकर इस दोस्ती को नए सिरे से चर्चा में ला दिया है। यह लेख उस टैरिफ के प्रभाव, इसके पीछे के कारणों और भारत के लिए इसके आर्थिक निहितार्थों पर प्रकाश डालता है।
ट्रंप-मोदी की दोस्ती: उम्मीदें और हकीकत
जब डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला, तो पूरी दुनिया को लग रहा था कि भारत और अमेरिका की दोस्ती नई ऊंचाइयों को छुएगी। ट्रंप और मोदी की नजदीकी किसी से छिपी नहीं थी। दोनों नेताओं के बीच 'हाउडी मोदी' और 'नमस्ते ट्रंप' जैसे आयोजनों ने इस रिश्ते को और मजबूत दिखाया था। कई विशेषज्ञों का मानना था कि ट्रंप के नेतृत्व में भारत न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकता सितारा बनेगा, बल्कि चीन के विकल्प के रूप में भी उभरेगा। लेकिन 25% टैरिफ के फैसले ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
25% टैरिफ: भारत पर सबसे बड़ा बोझ
ट्रंप ने भारत पर 1 अगस्त 2025 से 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की, जो अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ से कहीं अधिक है। तुलना करें तो जापान पर 15%, वियतनाम पर 20%, इंडोनेशिया पर 19%, और यूरोपीय देशों पर 15% टैरिफ लगाया गया है। भारत पर यह टैरिफ न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से कठोर है, बल्कि दोनों देशों के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) की वार्ता में गतिरोध का भी संकेत देता है।
ट्रंप ने अपने फैसले के पीछे भारत के उच्च शुल्क, रूस से सैन्य उपकरणों और ऊर्जा की खरीद, और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं को कारण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "भारत हमारा मित्र है, लेकिन उनके शुल्क दुनिया में सबसे अधिक हैं। उनके पास कठोर गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं। इसके अलावा, भारत रूस से सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदता है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में स्वीकार्य नहीं है।"
आर्थिक नुकसान का अनुमान
मार्च 2025 में सिटी रिसर्च की एक रिपोर्ट ने भारत पर टैरिफ के संभावित प्रभावों का अनुमान लगाया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को सालाना लगभग 7 अरब डॉलर (करीब 61 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं:
रसायन (केमिकल्स): भारत के रासायनिक निर्यात, विशेष रूप से पेट्रोकेमिकल्स, जो 2024 में लगभग 4 अरब डॉलर के थे।
धातु उत्पाद (मेटल प्रोडक्ट्स): इनमें स्टील और अन्य धातु से बने उत्पाद शामिल हैं।
आभूषण: 2024 में भारत का 8.5 अरब डॉलर मूल्य के मोती, रत्न और आभूषणों का निर्यात हुआ था।
ऑटोमोबाइल और दवाइयां: दवाइयों का निर्यात 8 अरब डॉलर का था, जबकि ऑटोमोबाइल और खाद्य उत्पाद भी प्रभावित होंगे।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने भी चेतावनी दी थी कि वित्त वर्ष 2026 में भारत का अमेरिका को निर्यात 2 से 7 अरब डॉलर तक कम हो सकता है। भारत ने 2023 में अमेरिका को 74 अरब डॉलर का निर्यात किया था, और 11% का भारित औसत टैरिफ लगाया था, जो अमेरिकी टैरिफ से 8.2% अधिक है।
टैरिफ के पीछे का तर्क
ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार घाटे को अपने फैसले का मुख्य आधार बताया। उनके अनुसार, भारत के उच्च शुल्क और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं अमेरिकी हितों के लिए नुकसानदायक हैं। इसके अलावा, भारत की रूस के साथ सैन्य और ऊर्जा साझेदारी ने भी ट्रंप को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। ट्रंप ने कहा, "हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं बंद करे, लेकिन भारत रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है।"
भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य
भारत ने अभी तक ट्रंप के इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है। पिछले सप्ताह वाशिंगटन में पांचवें दौर की वार्ता पूरी हुई, और अगले महीने अमेरिकी टीम भारत आने वाली है। भारत के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच इस प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे हैं।
