- भारत,
- 01-May-2025 02:40 PM IST
Crude Oil Price Down: जहां एक ओर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका और खाड़ी देशों से आई एक आर्थिक खबर ने भारत के लिए राहत की उम्मीदें जगा दी हैं। यह खबर न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत दे रही है, बल्कि रुपए की स्थिति को भी मजबूती दे सकती है। गुरुवार को लेबर डे के चलते भारत का करेंसी मार्केट बंद था, लेकिन शुक्रवार को जब बाजार खुलेगा, तो रुपया डॉलर के मुकाबले रॉकेट की तरह चढ़ता नजर आ सकता है।
क्या है अच्छी खबर?
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखी गई है। खाड़ी देशों का ब्रेंट क्रूड ऑयल अब 61 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है, जबकि अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमत 58 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल चुकी है। इस गिरावट के पीछे प्रमुख वजह अमेरिका की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और संभावित मंदी की आशंका है। विशेषज्ञों के अनुसार, तीन साल में पहली बार अमेरिकी इकोनॉमी में तिमाही गिरावट देखने को मिली है, जिससे वैश्विक डिमांड कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है।
भारत के लिए क्यों है ये फायदेमंद?
भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 80% कच्चा तेल आयात करता है। जब कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो भारत के व्यापार घाटे में सुधार होता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होता है और रुपया मजबूत होता है। पिछले एक महीने में ब्रेंट क्रूड की कीमत 75.47 डॉलर से घटकर 60.48 डॉलर प्रति बैरल आ गई है — यानी करीब 20% की गिरावट। इसी तरह, अमेरिकी क्रूड (WTI) भी 72.28 डॉलर से घटकर 57.57 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है।
रुपए में आई मजबूती
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी निवेश में इजाफे के चलते रुपया पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले काफी मजबूत हुआ है। बीते सत्र में रुपया 84.54 पर बंद हुआ, जो पांच महीनों का उच्चतम स्तर है। वहीं फरवरी में जब रुपया 87.997 के रिकॉर्ड लो पर था, उसके मुकाबले अब तक यह करीब 4% तक मजबूत हो चुका है। शुक्रवार को जब बाजार खुलेगा, तो विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया 50 पैसे से ज्यादा की मजबूती दिखा सकता है और 83 के स्तर के पास पहुंच सकता है।
डॉलर इंडेक्स पर नजर
हालांकि, डॉलर इंडेक्स 100 के स्तर को पार कर चुका है, जो आमतौर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी के लिए चुनौती होता है। लेकिन इस बार स्थिति अलग है, क्योंकि तेल की कीमतों में गिरावट भारत के पक्ष में काम कर रही है और निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजार में बना हुआ है।
