देश / ट्विटर पर बिफरा हाई कोर्ट, पूछा- क्यों न इसे बंद कर देना चाहिए?

Zoom News : Feb 01, 2022, 06:45 PM
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के अपने आदेशों की अवहेलना करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ-साथ हाई कोर्ट ने कारण बताने के लिए कहा है कि इस मुद्दे पर क्यों न उसे बंद कर दिया जाए।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एम सत्यनारायण मूर्ति की पीठ ने सोमवार को कहा कि आदेश के पालन में ट्विटर की निष्क्रियता अदालत की अवमानना के समान है। पीठ ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को यह बताने के लिए कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए?

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है। अदालत ने ट्विटर को इस तारीख तक इस संबंध में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। इससे पहले, सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि सोशल मीडिया मंच अपने प्लेटफार्म से आपत्तिजनक सामग्री हटाने में सहयोग नही कर रहा है।

इस पर पीठ ने ट्विटर से जानना चाहा कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों नही शुरू की जाए। यूट्यूब के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने अदालत के आदेशों का अनुपालन किया है लेकिन कुछ मीडिया टेलीविजन घराने अभी भी अपने ट्यूब चैनल पर अभी भी इसे चला रहे हैं।

हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी कारणों का हवाला देकर मामले को दबाया नहीं जाना चाहिए। पीठ ने कहा, 'पिछली सुनवाई के दौरान हमने स्पष्ट आदेश दिया था कि आपत्तिजनक सामग्रियां तुरंत हटाई जाएं। ऐसा नहीं करना अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। यदि आपको अपनी सेवाएं जारी रखनी हैं तो आपको इस देश के कानून का सम्मान करना होगा, अन्यथा आप अपनी 'दुकान' बंद कीजिए।'

हाई कोर्ट सत्तारूढ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों और समर्थकों द्वारा कथित तौर पर कोर्ट के खिलाफ विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने का खुद ही संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है और इस सिलसिले में कई व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 

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