Bhai Dooj 2025 / भाई दूज 2025- नोट कर लें सही तारीख और टीका का शुभ मुहूर्त

साल 2025 में भाई दूज का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बहनें भाइयों को टीका लगाकर उनके लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। टीका का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:19 से 03:35 बजे तक रहेगा। यह पर्व यमराज और यमुना की कहानी से जुड़ा है।

Bhai Dooj 2025: भाई दूज 2025 की तारीख को लेकर कई लोगों में असमंजस है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 22 और 23 अक्टूबर दोनों ही दिन पड़ रही है, लेकिन ज्योतिषीय गणनाओं और उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर 2025 को भाई दूज मनाना अधिक उपयुक्त रहेगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:19 बजे से दोपहर 03:35 बजे तक रहेगा। इस शुभ अवधि में बहनें अपने भाई का टीका कर सकती हैं। यह त्योहार भाऊ बीज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया जैसे अन्य नामों से। भी जाना जाता है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

कैसे मनाते हैं भाई दूज

भाई दूज के दिन बहनें प्रातःकाल उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं और इसके बाद वे अपने भाई को घर पर आमंत्रित करती हैं और पूजा की थाली सजाती हैं। इस थाली में रोली, अक्षत, नारियल, मिठाई और दीपक जैसी पूजन सामग्री होती है। बहनें अपने भाई के माथे पर घी का टीका लगाकर कलावा बांधती हैं और उनकी आरती उतारती हैं। आरती के बाद उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई भी अपनी सामर्थ्यानुसार बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करते हैं, जिससे यह पर्व और भी खास बन जाता है।

भाई दूज क्यों मनाते हैं: पौराणिक कथा

भाई दूज का त्योहार यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी एक पौराणिक कथा पर आधारित है। लोक कथाओं के अनुसार, इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए थे। अपने भाई को देखकर यमुना अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्होंने उनका भव्य स्वागत किया। यमुना ने प्रेमपूर्वक यमराज की आरती उतारी और अपने हाथों से स्वादिष्ट भोजन बनाकर खिलाया। यमराज अपनी बहन के आतिथ्य से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना को वरदान दिया कि जो। भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा और टीका करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है।