Bhai Dooj 2023 / जानिए कब है भाई दूज, 14 या 15 नवंबर को, किस शुभ मुहूर्त में करें भाई को तिलक?

हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है. रक्षा बंधन की तरह ही यह पर्व भाई बहन के प्रेम और स्नेह के लिए समर्पित होता है. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है और मौली बांधने की परंपरा है. यह त्योहार गोवर्धन पूजा के अगले दिन और दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है.

Vikrant Shekhawat : Nov 13, 2023, 05:30 PM
Bhai Dooj 2023: गोवर्धन पूजा की तरह ही लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि भाई दूज 14 नवंबर को मनाया जाएगा या फिर 15 नवंबर को. शुभ तिथि दो दिन के बीच में पड़ने की वजह से त्योहारों पर अक्सर ये कन्फ्यूजन बन जाता है. अगर आप भी इसी कंफ्यूजन में हैं कि आखिर कब मनाया जाएगा भाई दूज का पर्व और किस शुभ मुहूर्त में करें भाई को तिलक, तो जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है. रक्षा बंधन की तरह ही यह पर्व भाई बहन के प्रेम और स्नेह के लिए समर्पित होता है. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है और मौली बांधने की परंपरा है. यह त्योहार गोवर्धन पूजा के अगले दिन और दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है.

भाई दूज के दिन बहन अपने भाई की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. रक्षाबंधन की तरह ही भाइयों की कलाई पर धागा यानी मौली बांधकर टीका करती हैं. इस दिन भाईयों का मुंह मीठा कराने के बाद उन्हें नारियल देने की परंपरा है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी बहनें अपने भाइयों के लिए श्रृद्धापूर्वक व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं, इससे उनके भाइयों की आयु लंबी होती है. इस दिन तिलक लगाने के बाद भाई को भोजन कराने की मान्यता है.

कब है भाई दूज ?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि 14 नवंबर की दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 15 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इस प्रकार उदया तिथि की वजह से भाई दूज 15 नवंबर को मनाया जाएगा. इस तिथि के दौरान किसी भी समय बहने भाइयों को तिलक कर सकती हैं. 15 नवंबर को भाई दूज के दिन राहुकाल दोपहर 12:03 से 1:24 तक है. ऐसे में राहुकाल के समय में तिलक नहीं करना चाहिए. भाई दूज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:44 से लेकर 9:24 तक रहेगा.

क्यों मनाया जाता है भाई दूज?

भाई दूज का पर्व बहन भाई के रिश्ते को मजबूती देने का प्रतीक माना जाता है. भाई दूज के दिन बहनें नहा धोकर पूजा करती हैं और फिर भाई को तिलक लगाती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं. भाई दूज को मनाने के पीछे पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के बुलाने पर घर गये थे जिसके बाद बहन यमुना ने यम को तिलक लगाकर उनका बहुत आतिथ्य किया और फिर नारियल का गोला भेंट किया था. तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई. इस दिन जो भी भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन करते हैं और उनका सत्कार स्वीकार करते हैं तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

कैसे करें भाई को तिलक?

भाई दूज पर तिलक करने से पहले आपके पास पर्याप्त पूजा सामग्री होना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप एक थाली, छोटा दीया, टीका, रोली, चावल, नारियल, बताशे, पान के पत्ते और मिठाई लें. तिलक करने से पहले बहनें सुबह नहाकर साफ सुथरे कपडे़ पहन लें. फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बिठाकर रोली और अक्षत से तिलक लगाकर नारियल भेंट के तौर पर देना चाहिए. तिलक लगाने से पहले भाई अपने सिर पर कोई कपड़ा या रुमाल अवश्य बांध लें. तिलक लगवाने के बाद भाइयों को बहनों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और कुछ उपहार जरूर दें.

भाई दूज का महत्व

पूरे देश में भाई दूज के पर्व की बहुत धूम देखने को मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन बहनों के हाथ का बना भोजन करने से भाइओं को जीवन की हर खुशी मिलती है. साथ ही इस दिन यमराज और यमुना देवी की पूजा करने से जाने-अनजाने से किए गए पापों से छुटकारा मिलता है. कहा जाता है कि भाई दूज पर शाम के समय चार बत्ती वाला दीया जलाने और दीपदान करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है.