राजस्थान / भामाशाह ने 25 लाख रुपए से बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, युवाओं के दौडऩे के लिए बनाया ट्रैक

Zoom News : Dec 19, 2020, 07:25 PM

धोद/सीकर। एक भामाशाह ने गांव की सरकारी स्कूल की सूरत बदल दी। गांव के सरकारी स्कूल को संसाधनों से जूझता देख भामाशाह ने कदम उठाए। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कासली अब निजी स्कूलों को भी टक्कर दे रहा है। यहां भामाशाह ने अब तक विद्यालय के सौन्दर्यकरण सहित अन्य कार्यो पर 25 लाख रुपए खर्च किए हैं। स्कूल अब किसी होटल, रेस्टोरेंट, रिसोर्ट से कम नही दिखता। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कासली में सैकण्डरी तक पढ़ाई पूरी करने वाले भामाशाह मनफूल खान के मन में शुरू से ही स्कूल की सूरत बदलने का जुनून था। उन्होंने अपनी जमापूंजी में से बचाकर स्कूल का सौन्दर्यकरण कराया। भामाशाह के स्कूल सहित अन्य क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने पर ग्रामीणों ने खान को वार्ड पंच भी चुन लिया।

ग्रामीणों का संकल्प, सरकारी स्कूल में पढ़ाएंगे बच्चों को
विद्यालय के प्रधानाचार्य बलदेव सिंह फगेडिया ने बताया कि स्कूल में अभी तीन सौ विधार्थी अध्ययनरत हैं। स्कूल की सूरत बदलने से विद्यार्थियों के साथ अभिभावकों में उत्साह है। इस साल भी नामांकन बढ़ गया है। इसके अलावा ग्रामीणों ने बच्चों को गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाने का भी संकल्प लिया है।

सीएचसी में भेंट करेंगे एम्बुलेंस वाहन
मनफूल खान की पत्नी रजिया बानो ने बताया कि मध्यम वर्ग की महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा समय पर नही मिल पाने की उनके मन में पीड़ा है। बानो ने कहा कि डिलेवरी के समय वाहन सुविधा नहीं मिलने से महिलाओं को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसको देखते हुए इस बार अपनी 18 दिसम्बर को सालगिरह पर सीएचसी में एम्बुलेंस वाहन भेंट करेंगे। भामाशाह की ओर से गौशाला से लेकर पंचायत समिति सहित 40 से अधिक स्थानों पर 60 लाख से अलग-अलग सामाजिक कार्य कराए है।

स्कूल में 5 लाख के लगवाए पौधे
भामाशाह मनफूल खान ने स्कूल परिसर में ग्रीन एरिया को बढ़ाने के लिए पार्क बनाकर सैकड़ों पौधे लगा दिए। स्कूल में वासनटोकिया के तीस पेड़ लगाए जिसकी एक पेड़ की कीमत पंद्रह हजार रुपए है।

युवाओं के दौडऩे के लिए बनाया ट्रैक
कासली गांव के लोगों का जुड़ाव हमेशा से ही भारतीय सेना से रहा है। सेना से युवाओं के जुड़ाव को और बढ़ाने के लिए भामाशाह ने युवाओं के लिए ट्रैक, खेलकूद का मैदान तैयार करवा दिया है। जहां स्कूल के अध्यापक व गांव के गौरव सेनानी रोजाना युवाओं को सेना भर्ती की तैयारी कराते हैं।

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