भारत और ब्राजील के बीच रक्षा साझेदारी एक नए और अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचने की ओर अग्रसर है। हालिया घटनाक्रमों से संकेत मिलता है कि ब्राजील ने भारत की अत्याधुनिक आकाश-NG (नई पीढ़ी) सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम में गहरी रुचि दिखाई है। यह रुचि केवल खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि साझा निर्माण (को-प्रोडक्शन) और प्रौद्योगिकी। हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी - ToT) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी बातचीत चल रही है। यह संभावित सहयोग दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम साबित हो सकता है, जिससे न केवल उनकी रक्षा क्षमताओं को मजबूती मिलेगी, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में भी उनकी स्थिति सुदृढ़ होगी।
ब्राजील की बढ़ती रुचि और उच्च-स्तरीय वार्ता
रक्षा सूत्रों के अनुसार, ब्राजील की यह रुचि आकस्मिक नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और रक्षा सहयोग का परिणाम है और पहले ब्राजील ने आकाश मिसाइल के शुरुआती संस्करण में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन अब उसकी प्राथमिकता आकाश-NG तक पहुंच गई है, जो तकनीकी रूप से कहीं अधिक आधुनिक और शक्तिशाली है। इस महत्वपूर्ण विकास की नींव 16 अक्टूबर 2025 को रखी गई थी, जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो आल्कमिन के बीच एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई थी। इस बैठक में, भारत ने ब्राजील की प्रारंभिक रुचि को देखते हुए आकाश मिसाइल सिस्टम के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव रखा था। अब, ब्राजील जल्द ही एक मूल्यांकन दल भारत भेजने की योजना बना रहा है, जिसका उद्देश्य आकाश-NG सिस्टम का बारीकी से अध्ययन करना और उसकी क्षमताओं का आकलन करना होगा। यह कदम संभावित साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
आकाश-NG की अद्वितीय क्षमताएं
आकाश-NG मिसाइल प्रणाली को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है और यह अपनी श्रेणी में एक अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है और सेना के अधिकारियों के अनुसार, इस नई पीढ़ी की मिसाइल में कई असाधारण खासियतें हैं जो इसे अपने पूर्ववर्ती संस्करणों से कहीं अधिक प्रभावी बनाती हैं। इसकी मारक क्षमता को बढ़ाकर 70-80 किलोमीटर तक कर दिया गया है, जिससे यह। दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को लंबी दूरी से ही निशाना बना सकती है। इसमें एक नया ड्यूल पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर लगा है, जो इसे उच्च गति और बेहतर गतिशीलता प्रदान करता है और इसके अलावा, यह मिसाइल अत्याधुनिक AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे) रडार और एक्टिव रडार होमिंग सीकर से लैस है। ये प्रौद्योगिकियां इसे छोटे, तेज और स्टील्थ लक्ष्यों को भी सटीकता से ट्रैक करने और मार गिराने की क्षमता प्रदान करती हैं, जो आधुनिक युद्धक्षेत्र में एक निर्णायक लाभ है और इसकी यह क्षमता इसे किसी भी हवाई खतरे का सामना करने में सक्षम बनाती है, चाहे वह लड़ाकू विमान हो, ड्रोन हो या क्रूज मिसाइल।
सफल परीक्षण और भविष्य की तैयारी
आकाश-NG मिसाइल ने अपनी क्षमताओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। जून 2025 में, ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) में इसका एक महत्वपूर्ण परीक्षण किया गया था और इस परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने “बैंशी” नामक एक टारगेट ड्रोन को सीधा निशाना बनाया और उसे सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। यह सफल परीक्षण मिसाइल प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता का प्रमाण है। इस सफल परीक्षण के बाद, आकाश-NG सिस्टम अब भारतीय वायुसेना और थलसेना के यूजर ट्रायल्स के लिए पूरी तरह से तैयार है और इन ट्रायल्स के सफल होने के बाद, यह मिसाइल भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई रक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करेगी। ब्राजील के मूल्यांकन दल के लिए यह परीक्षण एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु होगा, जो उन्हें इस प्रणाली की वास्तविक युद्धक क्षमताओं को समझने में मदद करेगा।
भारत और ब्राजील के लिए रणनीतिक लाभ
यदि भारत और ब्राजील के बीच यह समझौता मूर्त रूप लेता है, तो इसके दोनों देशों के लिए दूरगामी रणनीतिक और आर्थिक लाभ होंगे। ब्राजील के लिए, यह साझेदारी अपनी घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता के मिशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से, ब्राजील अपने स्वयं के रक्षा उत्पादन क्षमताओं को विकसित कर सकेगा, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर उसकी निर्भरता कम होगी। यह ब्राजील को लैटिन अमेरिका में एक प्रमुख रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा। दूसरी ओर, भारत को लैटिन अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक बड़ा और रणनीतिक खरीदार मिलेगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां अब तक चीन जैसे देशों ने मिसाइल सौदे करके अपनी पैठ बनाई है। ब्राजील के साथ यह साझेदारी भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी।
भारत के रक्षा निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
यह समझौता भारत के बढ़ते रक्षा निर्यात प्रयासों के लिए एक बड़ी सफलता होगी और भारत पहले ही अपनी स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को वैश्विक बाजार में सफलतापूर्वक पेश कर रहा है। आकाश मिसाइल सिस्टम को पहले ही आर्मेनिया को निर्यात किया जा चुका है, जो भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता का एक प्रमाण है। इसके अतिरिक्त, भारत वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों के साथ भी रक्षा सौदों को लेकर बातचीत कर रहा है। यदि ब्राजील आकाश-NG का साझेदार बनता है, तो यह भारत की रक्षा निर्यात क्षमता और वैश्विक छवि दोनों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह भारत को एक विश्वसनीय और सक्षम रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करेगा, जो न। केवल अपने लिए बल्कि मित्र देशों के लिए भी अत्याधुनिक रक्षा समाधान प्रदान कर सकता है। यह साझेदारी 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी पहलों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर। बढ़ावा देगी, जिससे भारत वैश्विक रक्षा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।